रायपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे है. लेकिन उससे पहले ही संसद भवन उद्घाटन को लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ट्वीट ने एक नई बहस छेड़ दी है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि "नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं !". इसे रीट्वीट करते हुए सीएम भूपेश बघेल ने इसे आदिवासियों का अपमान बताया.
सीएम ने पीएम को घेरा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राहुल गांधी के ट्वीट पर सहमति जताते हुए रीट्वीट किया. सीएम ने लिखा कि "बिल्कुल ठीक कहा है. भाजपा आदिवासियों का अपमान करती है. यह जग जाहिर है. विश्व आदिवासी दिवस के दिन इन्होंने छत्तीसगढ़ भाजपा के आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को हटाया था. फिर भाजपा के सर्वोच्च आदिवासी नेता नंद कुमार साय जी का अपमान किया. महामहिम आदिवासी वर्ग से आती हैं, प्रथम नागरिक हैं वह देश की, देश के लिए यह गौरव का पल होगा. क्या प्रधानमंत्री जी ऐसा करने देंगे?"
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बिल्कुल ठीक कहा है.
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भाजपा आदिवासियों का अपमान करती है. यह जग जाहिर है. विश्व आदिवासी दिवस के दिन इन्होंने छत्तीसगढ़ भाजपा के आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को हटाया था. फिर भाजपा के सर्वोच्च आदिवासी नेता श्री नंद कुमार साय जी का अपमान किया.
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— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) May 22, 2023
भाजपा आदिवासियों का अपमान करती है. यह जग जाहिर है. विश्व आदिवासी दिवस के दिन इन्होंने छत्तीसगढ़ भाजपा के आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को हटाया था. फिर भाजपा के सर्वोच्च आदिवासी नेता श्री नंद कुमार साय जी का अपमान किया.
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भाजपा आदिवासियों का अपमान करती है. यह जग जाहिर है. विश्व आदिवासी दिवस के दिन इन्होंने छत्तीसगढ़ भाजपा के आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष को हटाया था. फिर भाजपा के सर्वोच्च आदिवासी नेता श्री नंद कुमार साय जी का अपमान किया.
महामहिम आदिवासी वर्ग से आती हैं, प्रथम नागरिक… https://t.co/dTYvpwcOjx
टीएस सिंहदेव ने कही ये बात: स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव ने ट्वीट कर लिखा कि "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के माननीय राष्ट्रपति को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. ऐसा पहली बार नहीं है जब बीजेपी सरकार ने ऐसा किया है. यहां तक कि राष्ट्रपति कोविंद को भी संसद भवन की नींव रखने के लिए नहीं बुलाया गया था. इन दोनों अवसरों पर, भारत के लिए यह एक महान अवसर होता कि वह दो राष्ट्रपतियों के साथ भारतीय लोकतंत्र के वास्तविक मूल्यों को दुनिया के सामने प्रदर्शित करता, जो कि वंचित समुदायों के प्रतिनिधि भी हैं. लेकिन, एक अहंकारी और पीआर की लालसा वाली सरकार ने पीएम को घटना का चेहरा बनाने का फैसला किया. पूर्वाग्रह की एक स्पष्ट स्थिति और वास्तव में संसद या विधायिका की संपूर्णता का प्रतिनिधित्व नहीं."