नई दिल्ली: लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में मंगलवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कोर्ट को सूचित किया कि केंद्र सरकार ने लालू यादव सहित तीन अन्य रेलवे अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दे दी है. केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने सीबीआई को यह अनुमति दी है. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि उसे एक सप्ताह में मामले के अन्य आरोपितों के खिलाफ भी केस चलाने की अनुमति मिल जाएगी.
केंद्र ने सीबीआई को यह अनुमति लालू यादव सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ दाखिल की गई नई चार्जशीट के आधार पर केस चलाने को लेकर दी है. जबकि इसी चार्जशीट में आरोपित बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ संज्ञान लेने के लिए कोर्ट अगली तारीख पर विचार करेगा. इसके साथ ही विशेष सीबीआई जज गीतांजलि गोयल ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 21 सितंबर को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.
बता दें कि लैंड फॉर जॉब मामले में तीन जुलाई को पेश की गई इस नई सप्लीमेंट्री चार्जशीट में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी आरोपी बनाया गया है, जबकि लालू यादव, राबड़ी देवी सहित अन्य लोग भी इस चार्जेशीट में भी आरोपित हैं. इस मामले में लालू, राबड़ी और मीसा भारती पहले ही जमानत पर हैं. इससे पहले 12 जुलाई को हुई सुनवाई में सीबीआई ने कोर्ट को सूचित किया था कि पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और कुछ रेलवे अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने (अभियोजन मंजूरी) की मंजूरी हासिल करने में एक महीने का समय लगेगा.
अदालत ने इन दलीलों के बाद चार्जशीट पर संज्ञान के बिंदु पर बहस 8 अगस्त के लिए टाल दी थी. उल्लेखनीय है कि लैंड फॉर जॉब घोटाले में तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) के तत्कालीन जीएम, डब्ल्यूसीआर के दो सीपीओ और निजी व्यक्तियों सहित कुल 17 आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने तीन जुलाई को राउज एवेन्यू कोर्ट में दूसरी चार्जशीट दाखिल की थी. इससे पहले सीबीआई ने 18 मई 2022 को तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री और उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित 15 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
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आरोप लगाया गया था कि 2004-2009 की अवधि के दौरान तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ने समूह डी के अलग-अलग पदों पर नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भूमि और अन्य संपत्ति के हस्तांतरण आदि के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था. आगे यह भी आरोप लगाया गया कि इसके बदले में लोग, जो स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से पटना के निवासी थे, ने उक्त मंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में पटना स्थित अपनी जमीन बेच दी और उपहार में दे दी, जो उक्त परिवार के सदस्यों के नाम पर ऐसी अचल संपत्तियों के हस्तांतरण में भी शामिल था.
यह भी आरोप लगाया गया कि जोनल रेलवे में एक व्यक्ति की जगह दूसरे को नौकरी देने की ऐसी नियुक्तियों के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी, फिर भी जो नियुक्त व्यक्ति पटना के निवासी थे, उन्हें मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था. पहले दिल्ली और बिहार आदि सहित कई स्थानों पर तलाशी ली गई थी.
जांच के दौरान, यह पाया गया कि तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ने उन स्थानों पर स्थित भूमि पार्सल का अधिग्रहण करने के इरादे से, जहां उनके परिवार के पास पहले से ही भूमि पार्सल थे या जो स्थान पहले से ही उनसे जुड़े हुए थे, उन्होंने सहयोगियों और परिवार के सदस्यों के साथ साजिश रची और कथित तौर पर रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी की पेशकश/प्रदान करके विभिन्न भूमि मालिकों की जमीन हड़पने की योजना बनाई.
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