पटना: बिहार के लाल द्वारा बनाई गई शॉर्ट फिल्म 'चंपारण मटन' देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना डंका बजा रही है. ऑस्कर स्टूडेंट एकेडमी के सेमीफाइनल में इस फिल्म को शामिल किया जा चुका है. अब 22वें अंतर्राष्ट्रीय छात्र फिल्म और वीडियो फेस्टिवल के लिए भी चंपारण मटन को शॉर्ट लिस्ट किया गया है.
ऑस्कर के बाद अब बीजिंग में ' चंपारण मटन' की स्क्रीनिंग: इस बार 22वें अंतर्राष्ट्रीय छात्र फिल्म और वीडियो फेस्टिवल के लिए 95 देशों से कुल 2360 फिल्मों का चयन हुआ है.अब इस फिल्म को देश के साथ ही पूरी दुनिया देखेगी. इस बार 22वें अंतर्राष्ट्रीय छात्र फिल्म और वीडियो फेस्टिवल के लिए 95 देशों से कुल 2360 फिल्मों के कार्यों का चयन हुआ. इसके बाद चालीस प्रारंभिक न्यायाधीशों ने समीक्षा कर 77 उत्कृष्ट कार्यों को इस साल शॉर्टलिस्ट किया. यह फेस्टिवल बीजिंग फिल्म अकादमी में 17-24 नवंबर तक आयोजित की जाएगी.
'चंपारण मटन की चर्चा हर जगह'-रंजन कुमार: फिल्म चंपारण मटन के डायरेक्टर रंजन कुमार ने फोन ईटीवी भारत से टेलीफोनिक बातचीत के दौरान बताया कि चंपारण मटन की जो प्रसिद्ध है उसी के आधार पर यह फिल्म बनाई गई है. आज देश और विदेश में मूवी डंका बजा रही है. उन्होंने कहा कि मैं बिहारी होने के नाते गर्व से कहता हूं कि बिहार के चंपारण मटन की चर्चा हर जगह हो रही है. फिल्म स्क्रीनिंग में शामिल होने के लिए मैं भी ब्राजील जाऊंगा.कोशिश करूंगा कि चंपारण मटन लेकर जाऊं, वहां पर अधिकारियों को खिलाऊ जिससे कि चंपारण मटन का टेस्ट भी लोगों को पता चले.
"यह शॉर्ट फिल्म है. ऑस्कर स्टूडेंट एकेडमी सेमीफाइनल मैं पहुंचने वाला देश का इकलौता फिल्म है. अब चंपारण मटन का चीन के लोग भी टेस्ट करेंगे और देखेंगे. इंटरनेशनल स्टूडेंट फिल्म अवार्ड वीडियो फेस्टिवल के लिए शॉर्टलिस्ट हो गई है. 22वें अंतरराष्ट्रीय छात्र फिल्म और वीडियो फेस्टिवल के लिए 95 देश से कल 2360 फिल्मों का चयन किया गया है, इसको फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जाएगा."-रंजन कुमार, डायरेक्टर, शॉर्ट फिल्म चंपारण मटन
हाजीपर के हैं रंजन: बीजिंग फिल्म अकादमी में बिहार के कलाकारों से सजी 'चंपारण मटन' फिल्म की स्क्रीनिंग की जानी है. सभी चयनित कार्यों को करने वालों को इस फेस्टिवल में मौजूद रहना होगा. इससे पहले ईटीवी भारत से खास बातचीत में हाजीपुर के रहने वाले फिल्म के डायरेक्टर रंजन कुमार ने इस फिल्म की कई अनछुए पहलुओं को साझा किया था. रंजन कुमार ने पुणे स्थित फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से डायरेक्शन की पढ़ाई की है. उन्होंने कहा कि यह फिल्म फाइनल ईयर प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई है.
फिल्म का नाम 'चंपारण मटन'?: इस फिल्म के नाम को लेकर लोगों के बीच उत्सुकता बनी हुई है. सभी जानना चाहते हैं कि आखिर चंपारण मटन फिल्म को नाम क्यों दिया गया. तो चलिए इसका कारण हम आपको बताते हैं. दरअसल फिल्म के डायरेक्टर का कहना है कि उनका पूरा बचपन उनके ननिहाल में बीता जो चंपारण में है. चंपारण को लोगों के बीच मटन का काफी क्रेज है इसलिए फिल्म का नाम चंपारण मटन रखा गया.
"मेरी मां ने काफी समय से चंपारण में बिताया है. चंपारण के लोग मटन के दीवाने हैं. सुबह हो या शाम लोग मटन चिकन खाना पसंद करते हैं. इसलिए इस फिल्म की कहानी भी मटन के इर्द-गिर्द घूमती है.-.""- रंजन कुमार,डायरेक्टर, शॉर्ट फिल्म चंपारण मटन
दुनिया में बजा बिहार का डंका: बता दें कि यह फिल्म अपनी कैटेगरी में पहली भारतीय मूवी है. 'चंपारण मटन' आधे घंटे की फिल्म है. इसके निर्देशक रंजन कुमार हैं और मुख्य भूमिका भी उन्होंने ही निभाया है. इससे पहले रंजन कुमार की इस उपलब्धि के लिए उन्हें बिहार के कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री जितेंद्र कुमार राय सम्मानित भी कर चुके हैं.
कहानी में बिहार बसता है: वहीं फिल्म की अभिनेत्री फलक खान भी विश्व के फलक पर छा गई हैं. इससे पहले आरजेडी कार्यालय में सम्मानित किया गया था. आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने उन्हें अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया था. फलक खान ने कहा था कि फिल्म के कारण काफी सम्मान मिल रहा है. मेरी कहानी में बिहार बसता है.
"सम्मान पाकर काफी खुशी हो रही है. मैं फिल्म की सफलता से खुश हूं. फिल्म बिहार को लेकर बनाई गई है. बिहार के खास जिले की रेसिपी की चर्चा है. फिल्म का नाम सुनकर ही काम करने की हामी भर दी थी."- फलक खान, अभिनेत्री