नई दिल्ली : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने निर्भया के दोषियों पर डेथ वॉरंट पर फैसला 7 जनवरी तक के लिए टाल दिया है. कोर्ट ने कहा कि दोषी अपने सभी अधिकार यूज कर लें. कोर्ट ने कहा कि दोषी सभी बचे रास्ते का इस्तेमाल करने को स्वतंत्र हैं.
खबर के मुताबिक, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने सात जनवरी के लिए मामले को स्थगित कर दिया. निर्भया के माता-पिता ने चारों दोषियों, मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को जल्द-से-जल्द फांस दिए जाने की मांग के साथ कोर्ट से डेथ वॉरंट जारी करने की गुहार लगाई थी.
इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय कुमार सिंह द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया.
उन्होंने तिहाड़ जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दोषियों को नए सिरे से नोटिस जारी कर उनके कानूनी उपायों का उपयोग करने का समय प्रदान करें.
सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने दोषियों के खिलाफ मौत के वारंट जारी करने के लिए एक आवेदन दायर किया.
न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की शीर्ष अदालत की एक खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका को योग्यता के आधार पर खारिज कर दिया.
पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान निर्भया की मां भावुक हो गईं. इस पर कोर्ट ने कहा, 'हमें आपके साथ पूरी सहानुभूति है. हम जानते हैं कि किसी की मृत्यु हो गई है, लेकिन उनके (दोषियों) भी अधिकार हैं. हम यहां आपको सुनने के लिए हैं, लेकिन कानून से भी बंधे हैं.'
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दोषी अक्षय सिंह के वकील ने कहा कि जनता के दबाव के आगे सारे मेरिट्स खत्म हो जाती है. दया याचिका के समय तक कोई डेथ वारंट जारी नहीं हो सकता है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 7 दिन का समय संविधान में दिया गया है.