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निर्भया केस : दोषियों के डेथ वॉरंट पर सुनवाई सात जनवरी तक के लिए टली

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निर्भया केस के चारो दोषी.
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Published : Dec 18, 2019, 1:27 PM IST

Updated : Dec 18, 2019, 7:48 PM IST

15:00 December 18

दोषियों के डेथ वारंट पर टला फैसला

नई दिल्ली : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने निर्भया के दोषियों पर डेथ वॉरंट पर फैसला 7 जनवरी तक के लिए टाल दिया है. कोर्ट ने कहा कि दोषी अपने सभी अधिकार यूज कर लें. कोर्ट ने कहा कि दोषी सभी बचे रास्ते का इस्तेमाल करने को स्वतंत्र हैं.

खबर के मुताबिक, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने सात जनवरी के लिए मामले को स्थगित कर दिया. निर्भया के माता-पिता ने चारों दोषियों, मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को जल्द-से-जल्द फांस दिए जाने की मांग के साथ कोर्ट से डेथ वॉरंट जारी करने की गुहार लगाई थी.

इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय कुमार सिंह द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया.

उन्होंने तिहाड़ जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दोषियों को नए सिरे से नोटिस जारी कर उनके कानूनी उपायों का उपयोग करने का समय प्रदान करें.

सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने दोषियों के खिलाफ मौत के वारंट जारी करने के लिए एक आवेदन दायर किया.

न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की शीर्ष अदालत की एक खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका को योग्यता के आधार पर खारिज कर दिया.

पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान निर्भया की मां भावुक हो गईं. इस पर कोर्ट ने कहा, 'हमें आपके साथ पूरी सहानुभूति है. हम जानते हैं कि किसी की मृत्यु हो गई है, लेकिन उनके (दोषियों) भी अधिकार  हैं. हम यहां आपको सुनने के लिए हैं, लेकिन कानून से भी बंधे हैं.'

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दोषी अक्षय सिंह के वकील ने कहा कि जनता के दबाव के आगे सारे मेरिट्स खत्म हो जाती है. दया याचिका के समय तक कोई डेथ वारंट जारी नहीं हो सकता है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 7 दिन का समय संविधान में दिया गया है.

13:16 December 18

निर्भया केस : दोषियों के डेथ वॉरंट पर सुनवाई सात जनवरी तक के लिए टली

एपी सिंह

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने पुनर्विचार याचिका खारिज की. पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका किसी अपील पर बार-बार सुनवाई के लिए नहीं होती. 

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, 'हमें 2017 में दिए गए मौत की सजा के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं मिला.'

पीठ द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज करने का फैसला सुनाते ही मुजरिम अक्षय के वकील वकील ए. पी सिंह ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा.

दिल्ली सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कानून में दया याचिका दायर करने के लिये एक सप्ताह के समय का प्रावधान है.

पीठ ने कहा, 'हम इस सबंध में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं. यदि कानून के अनुसार याचिकाकर्ता को कोई समय उपलब्ध है तो यह याचिकाकर्ता पर निर्भर है कि वह इस समय सीमा के भीतर दया याचिका दायर करने के अवसर का इस्तेमाल करे.

इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें ‘‘मानवता रोती’’ है और यह मामला उन्हीं में से एक है.

मेहता ने कहा था, 'कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान बच्ची (पीड़िता) को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे. ऐसे अपराधों में मौत की सजा को कम नहीं करना चाहिए.'

उन्होंने यह भी कहा कि जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए.

वहीं दोषी की ओ से पेश हुए वकील ए. पी सिंह ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में वायु और जल प्रदूषण की वजह से पहले ही लोगों की उम्र कम हो रही है और इसलिए दोषियों को मौत की सजा देने की कोई जरूरत नहीं है.

15:00 December 18

दोषियों के डेथ वारंट पर टला फैसला

नई दिल्ली : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने निर्भया के दोषियों पर डेथ वॉरंट पर फैसला 7 जनवरी तक के लिए टाल दिया है. कोर्ट ने कहा कि दोषी अपने सभी अधिकार यूज कर लें. कोर्ट ने कहा कि दोषी सभी बचे रास्ते का इस्तेमाल करने को स्वतंत्र हैं.

खबर के मुताबिक, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने सात जनवरी के लिए मामले को स्थगित कर दिया. निर्भया के माता-पिता ने चारों दोषियों, मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को जल्द-से-जल्द फांस दिए जाने की मांग के साथ कोर्ट से डेथ वॉरंट जारी करने की गुहार लगाई थी.

इससे पहले दिन में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय कुमार सिंह द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया.

उन्होंने तिहाड़ जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे दोषियों को नए सिरे से नोटिस जारी कर उनके कानूनी उपायों का उपयोग करने का समय प्रदान करें.

सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने दोषियों के खिलाफ मौत के वारंट जारी करने के लिए एक आवेदन दायर किया.

न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति आर. भानुमति की शीर्ष अदालत की एक खंडपीठ ने पुनर्विचार याचिका को योग्यता के आधार पर खारिज कर दिया.

पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान निर्भया की मां भावुक हो गईं. इस पर कोर्ट ने कहा, 'हमें आपके साथ पूरी सहानुभूति है. हम जानते हैं कि किसी की मृत्यु हो गई है, लेकिन उनके (दोषियों) भी अधिकार  हैं. हम यहां आपको सुनने के लिए हैं, लेकिन कानून से भी बंधे हैं.'

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दोषी अक्षय सिंह के वकील ने कहा कि जनता के दबाव के आगे सारे मेरिट्स खत्म हो जाती है. दया याचिका के समय तक कोई डेथ वारंट जारी नहीं हो सकता है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि 7 दिन का समय संविधान में दिया गया है.

13:16 December 18

निर्भया केस : दोषियों के डेथ वॉरंट पर सुनवाई सात जनवरी तक के लिए टली

एपी सिंह

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने पुनर्विचार याचिका खारिज की. पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका किसी अपील पर बार-बार सुनवाई के लिए नहीं होती. 

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, 'हमें 2017 में दिए गए मौत की सजा के फैसले पर पुनर्विचार का कोई आधार नहीं मिला.'

पीठ द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज करने का फैसला सुनाते ही मुजरिम अक्षय के वकील वकील ए. पी सिंह ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा.

दिल्ली सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कानून में दया याचिका दायर करने के लिये एक सप्ताह के समय का प्रावधान है.

पीठ ने कहा, 'हम इस सबंध में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं. यदि कानून के अनुसार याचिकाकर्ता को कोई समय उपलब्ध है तो यह याचिकाकर्ता पर निर्भर है कि वह इस समय सीमा के भीतर दया याचिका दायर करने के अवसर का इस्तेमाल करे.

इससे पहले दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें ‘‘मानवता रोती’’ है और यह मामला उन्हीं में से एक है.

मेहता ने कहा था, 'कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान बच्ची (पीड़िता) को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे. ऐसे अपराधों में मौत की सजा को कम नहीं करना चाहिए.'

उन्होंने यह भी कहा कि जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए.

वहीं दोषी की ओ से पेश हुए वकील ए. पी सिंह ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में वायु और जल प्रदूषण की वजह से पहले ही लोगों की उम्र कम हो रही है और इसलिए दोषियों को मौत की सजा देने की कोई जरूरत नहीं है.

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Last Updated : Dec 18, 2019, 7:48 PM IST
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