नई दिल्ली: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शपथ लेने के करीब तीन महीने बाद पहली बार दिल्ली दौरे पर निकले हैं. अपने इस दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनके आवास 10 जनपथ पर मुलाकात की. इस दौरान उनके साथ उनके बेटे आदित्य ठाकरे और शिवसेना के नेता संजय राउत भी मौजूद थे तो वहीं कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र के प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे भी इस बैठक में शामिल हुए.
लगभग एक घंटे तक चली इस बैठक को भले ही औपचारिक भेंट का नाम दिया गया लेकिन सोनिया गांधी के साथ हुई इस मुलाकात के कई कयास लगाए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी और अमित शाह से मिलने और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ हुई बैठक से यही माना जा सकता है कि उद्धव ठाकरे का यह दिल्ली दौरा कांग्रेस के साथ आई छोटे-मोटे दरारों को भरने और भाजपा के साथ बुरे वक्त में संभावनाओं को तलाशने का दौरा था.
जहां एक तरफ कांग्रेस शुरुआत से ही एनपीआर का विरोध करती आई है तो वहीं उद्धव ठाकरे ने एक प्रेस वार्ता के दौरान यह घोषणा यह कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है एनपीआर में किसी को घर से नहीं निकाला जाएगा. यह वैसे ही है जैसे हर 10 साल पर जनगणना होती है. इसे यही स्पष्ट होता है कि उद्धव ठाकरे एनपीआर को महाराष्ट्र में लागू करने के लिए तैयार है. हालांकि महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी मलिकार्जुन खड़गे ने इस बात को पूर्ण रूप से नकारते हुए कहा है कि एनपीआर लागू करने का निर्णय कोआर्डिनेशन कमेटी की के दौरान किया जाएगा.
बता दें कि इससे पहले भीमा कोरेगांव केस को एनआईए को सौंपने के मामले पर उद्धव ठाकरे एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार को नाराज कर चुके हैं,जिसके बाद उन्हें कांग्रेस और एनसीपी दोनों की तरफ से गठबंधन के धर्म का पालन करने की हिदायत भी दी गई थी तो वहीं राहुल गांधी के वीर सावरकर पर टिप्पणी करने के मुद्दे को लेकर शिवसेना और कांग्रेस के बीच में भी मतभेद दिखाई देने लगी थी. इन सभी घटनाओं के बाद उद्धव ठाकरे दिल्ली दौरा दोनो पार्टियों के रिश्तो में सीमेटिंग करने के तौर पर देखा जा सकता है.
ये भी पढ़ें-पीएम मोदी से भेंट के बाद लाल कृष्ण आडवाणी और सोनिया गांधी से मिले उद्धव ठाकरे
वहीं दूसरी तरफ भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद भी उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करना शिवसेना अभी भी रिश्ते भाजपा के साथ खत्म नहीं करना चाहती है. गौरतलब है कि बाकी नेता भले ही महाराष्ट्र में सरकार बनने के बाद शिवसेना पर तंज कसते रहते हों लेकिन मोदी-शाह ने अभी तक पार्टी के बारे में कुछ नहीं कहा है. इससे यही कयास लगाया जा सकता है कि भले ही राजनीतिक तौर पर दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया हो लेकिन विचारधारों में अभी भी समानता है.