गामपेला (बुर्किना फासो) : पूरी दूनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है. भारत सहित दुनिया के कई देशों में इस महामारी से बचने के लिए वैक्सीन बनाई जा रही है. जिनमें से कई वैक्सीन अपने अंतिम चरण पर हैं. जिनसे उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही लोगों को इस घातक वायरस से बचने के लिए वैक्सीन मिलेगी, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वैक्सीन बनने के बाद यह महामारी यही खत्म हो जाएगी.
दुनिया के हर कोने तक लोगों को टीके उपलब्ध कराना कम बड़ी चुनौती नहीं है. हर किसी तक टीके को पहुंचाने और उसे प्रभावी बनाए रखने के लिए कोल्ड चेन की आवश्यकता होगी, जिसका कई दुनिया में अभाव है.
फैक्ट्री से सीरिंज तक, दुनिया के लगभग सभी संभावित कोरोना वैक्सीन को नॉन-स्टॉप रेफ्रिजरेशन की जरूरत होगी जिससे इसे सुरक्षित और असरकारक बनाया रख सके, लेकिन दुनियाभर की 7.8 अरब आबादी में से तीन अरब लोग ऐसे जगहों पर रहते हैं जहां टीके के लिए पर्याप्त कोल्ड रेस्टोरेट की व्यवस्था नहीं है.
वैक्सीन के लिए कोल्ड चेन गरीब देशों के लिए वैक्सीन का अभाव पैदा कर सकती है क्योकि यह अमीर देशों के लिए भी आसान नहीं होगा. खासकर यह उन लोगों के लिए आता है जिन्हें शून्य से 70 डिग्री सेल्सियस (माइनस 94 एफ) के आसपास के तापमान की आवश्यकता होती है.
प्रभावित कोरोना वायरस की वजह से इस साल शुरू हुए वैक्सीन विकास के मुकाबले बुनियादी सुविधाओं और कूलिंग टेक्नॉलाजी में निवेश पिछड़ रहा है. महामारी को आठ महीने हो चुके हैं विशेषज्ञो का कहना है कि देश के अधिक्तर हिस्सों में रेफ्रिजरेशन का अभाव है.