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नागालैंड : राज्यपाल चाहते हैं अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण का अधिकार

नागालैंड के गवर्नर आरएन रवि राज्य में वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण करने का पूर्ण अधिकार चाहते हैं. उनका कहना है कि राज्य में सशस्त्र गिरोहों द्वारा बड़े पैमाने पर जबरन वसूली और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है. इस कारण राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. इसलिए जिला स्तर से ऊपर के अधिकारियों की नियुक्त अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही होनी चाहिए. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

आरएन रवि
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Published : Jun 25, 2020, 7:48 PM IST

Updated : Jun 26, 2020, 7:38 AM IST

हैदराबाद : नागालैंड के राज्यपाल आरएन रवि राज्य में वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण करने का पूर्ण अधिकार चाहते हैं. उन्होंने कहा कि सशस्त्र गिरोहों द्वारा राज्य में बड़े पैमाने पर जबरन वसूली और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है. इस कारण राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है.

आरएन रवि ने पिछले सप्ताह राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. पत्र में राज्यपाल ने लिखा है कि राज्य में विकट परिदृश्य है. कानून और व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई हैं. इतना ही नहीं सशस्त्र गिरोहों द्वारा संवैधानिक रूप से स्थापित राज्य सरकार को दिन-प्रतिदिन चुनौती दी जा रही है, जो राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता पर सवाल उठाते हैं, जबकि कानून और व्यवस्था के उपकरण पूरी तरह से गैर जिम्मेदार हैं.'

उन्होंने कहा, 'ऐसी स्थिति में मैं अब भारत के संविधान के अनुच्छेद 371 ए (1) (बी) के तहत राज्य में कानून और व्यवस्था के लिए अपने संवैधानिक दायित्वों से पीछे नहीं हट सकता हूं. इसके तहत जिला स्तर से ऊपर के अधिकारियों की नियुक्ति अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही होनी चाहिए.'

राज्यपाल रवि आगे लिखते हैं कि रोजाना आधा दर्जन से अधिक हथियारबंद लोगों द्वारा सरकार को कथित तौर पर चुनौती दी जाती है. इसका राज्य सरकार किसी भी प्रकार से विरोध नहीं करती है. इससे राज्य की कानून और व्यवस्था पर विश्वास का संकट पैदा हो रहा है. इन गिरोहों के 'टाउन कमांड' (गिरोह के सदस्य) लोगों को कस्बों और मोहल्लों में आए दिन परेशान करते रहते हैं.

नागा मुद्दे का समाधान करना अब मुश्किल दौर में है. इसलिए अब यह समझौता होना दूर की बात दिखाई पड़ता है.

बता दें, लगभग सात दशक पुराने नागा मुद्दे को समाप्त करने के लिए भारत सरकार और एनएससीएन-आईएम के बीच करीब 22 साल पहले बातचीत शुरू हुई थी.

2015 में, दोनों पक्षों के बीच एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन तब से बहुत प्रगति नहीं हुई है. इसके अलावा भारत सरकार ने नागाओं की एक अलग संविधान और एक अलग ध्वज की मांग को पहले ही ठुकरा दिया था.

अतीत में नागा विद्रोह आंदोलन का चीन के साथ घनिष्ठ संबंध रहा है. एशियाई दिग्गज चीन उन देशों में से एक था, जिनसे नागा विद्रोहियों को मदद और समर्थन मिलता था. इतना नहीं आंदोलन में भाग लेने वाले कुछ नागाओं ने चीन में हथियारों और विचारधारा का प्रशिक्षण लिया था.

केंद्र सरकार एक्ट ईस्ट पॉलिसी (AEP) के कारण अब पूर्वोत्तर क्षेत्र पर पहले से ज्यादा नजर बनाए हुए है, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर के साथ सांस्कृतिक संबंधों और संपन्नताओं पर जोर देकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और राजनीतिक संबंध स्थापित करना है. भारत के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में शांति और स्थिरता जरूरी है.

हालांकि एक भावना यह भी है कि अधिक से अधिक शक्तियों का हनन राज्य सरकारों की कीमत पर होता है और इसलिए यह अधिक केंद्रीय नियंत्रण की ओर बढ़ा है.

हैदराबाद : नागालैंड के राज्यपाल आरएन रवि राज्य में वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति और स्थानांतरण करने का पूर्ण अधिकार चाहते हैं. उन्होंने कहा कि सशस्त्र गिरोहों द्वारा राज्य में बड़े पैमाने पर जबरन वसूली और अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है. इस कारण राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है.

आरएन रवि ने पिछले सप्ताह राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. पत्र में राज्यपाल ने लिखा है कि राज्य में विकट परिदृश्य है. कानून और व्यवस्थाएं ध्वस्त हो गई हैं. इतना ही नहीं सशस्त्र गिरोहों द्वारा संवैधानिक रूप से स्थापित राज्य सरकार को दिन-प्रतिदिन चुनौती दी जा रही है, जो राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता पर सवाल उठाते हैं, जबकि कानून और व्यवस्था के उपकरण पूरी तरह से गैर जिम्मेदार हैं.'

उन्होंने कहा, 'ऐसी स्थिति में मैं अब भारत के संविधान के अनुच्छेद 371 ए (1) (बी) के तहत राज्य में कानून और व्यवस्था के लिए अपने संवैधानिक दायित्वों से पीछे नहीं हट सकता हूं. इसके तहत जिला स्तर से ऊपर के अधिकारियों की नियुक्ति अब राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही होनी चाहिए.'

राज्यपाल रवि आगे लिखते हैं कि रोजाना आधा दर्जन से अधिक हथियारबंद लोगों द्वारा सरकार को कथित तौर पर चुनौती दी जाती है. इसका राज्य सरकार किसी भी प्रकार से विरोध नहीं करती है. इससे राज्य की कानून और व्यवस्था पर विश्वास का संकट पैदा हो रहा है. इन गिरोहों के 'टाउन कमांड' (गिरोह के सदस्य) लोगों को कस्बों और मोहल्लों में आए दिन परेशान करते रहते हैं.

नागा मुद्दे का समाधान करना अब मुश्किल दौर में है. इसलिए अब यह समझौता होना दूर की बात दिखाई पड़ता है.

बता दें, लगभग सात दशक पुराने नागा मुद्दे को समाप्त करने के लिए भारत सरकार और एनएससीएन-आईएम के बीच करीब 22 साल पहले बातचीत शुरू हुई थी.

2015 में, दोनों पक्षों के बीच एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, लेकिन तब से बहुत प्रगति नहीं हुई है. इसके अलावा भारत सरकार ने नागाओं की एक अलग संविधान और एक अलग ध्वज की मांग को पहले ही ठुकरा दिया था.

अतीत में नागा विद्रोह आंदोलन का चीन के साथ घनिष्ठ संबंध रहा है. एशियाई दिग्गज चीन उन देशों में से एक था, जिनसे नागा विद्रोहियों को मदद और समर्थन मिलता था. इतना नहीं आंदोलन में भाग लेने वाले कुछ नागाओं ने चीन में हथियारों और विचारधारा का प्रशिक्षण लिया था.

केंद्र सरकार एक्ट ईस्ट पॉलिसी (AEP) के कारण अब पूर्वोत्तर क्षेत्र पर पहले से ज्यादा नजर बनाए हुए है, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर के साथ सांस्कृतिक संबंधों और संपन्नताओं पर जोर देकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक और राजनीतिक संबंध स्थापित करना है. भारत के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में शांति और स्थिरता जरूरी है.

हालांकि एक भावना यह भी है कि अधिक से अधिक शक्तियों का हनन राज्य सरकारों की कीमत पर होता है और इसलिए यह अधिक केंद्रीय नियंत्रण की ओर बढ़ा है.

Last Updated : Jun 26, 2020, 7:38 AM IST
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