नई दिल्ली : भारत में साल 2017 और 2019 के बीच वन्यजीव के अवैध व्यापार और लुप्तप्राय जानवरों के अवैध शिकार के कुल 1,256 मामले दर्ज किए गए और 2,313 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया. पर्यावरण मंत्रालय ने शनिवार को संसद को यह जानकारी दी है.
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सांसद बिनॉय विश्वम के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि अवैध शिकार और वन्यजीव के अवैध व्यापार के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के तहत, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) द्वारा वर्ष 2017 से 2020 के बीच 313 अलर्ट और सलाह जारी किए गए.
उन्होंने कहा कि वनों और वन्यजीवों का प्रबंधन मुख्य रूप से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा कि संकटग्रस्त प्रजातियों सहित वन्यजीव को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने, उनके आवास में सुधार और जंगली जानवरों के साथ मानव बस्तियों के सामंजस्यपूर्ण अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए वन्यजीव आवासों के समेकित विकास की केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
डब्ल्यूसीसीबी के पास उपलब्ध आंकड़ों तथा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए मंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 में 478 लुप्तप्राय जानवरों की मौत हुई, जबकि वर्ष 2018 में 492 तथा वर्ष 2019 में 286 लुप्तप्राय जानवर मारे गए. जानवर अवैध शिकार और अवैध तस्करी के शिकार बने थे.
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उन्होंने कहा कि वन्यजीव के अवैध शिकार और जंगली जानवरों की अवैध तस्करी के लिए वर्ष 2017 में 880 अपराधी, वर्ष 2018 में 858 और वर्ष 2019 में 575 अपराधी गिरफ्तार किए गए.