नई दिल्ली : मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट आने वाली एक फरवरी को पेश किया जाएगा. इस बजट से कृषि क्षेत्र को क्या उम्मीदें हैं और खेती-किसानी के लिए इस बजट में क्या संभावनाएं हैं. इस पर चर्चा करने के लिए ईटीवी भारत ने इंडियन चैंबर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के चेयरमैन एम.जे. खान से सास बातचीत की.
एम.जे. खान का मानना है कि चूंकि अभी किसी राज्य में चुनाव नहीं है और अगर दिल्ली में है तो उसका कृषि क्षेत्र से कुछ खास लेना-देना नहीं है, लिहाजा जाहिर तौर पर इस बजट में किसी लोकलुभावन योजना के आने की उम्मीद कम हो जाती है.
एक विशेषज्ञ के तौर पर एम.जे. खान का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में एक्सपोर्ट को दोगुना करने की बात कही थी, जिस पर काम करने की जरूरत है और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले बजट में इसके लिए कुछ प्रावधान जरूर होंगे. चूंकि भारत में कृषि क्षेत्र के विकास से देश के आर्थिक विकास का सीधा सीधा संबंध है तो देश की अर्थव्यवस्था को देखते हुए कृषि क्षेत्र में नई योजनाएं लाए जाने की जरूरत है और हो सकता है कि आने वाले बजट में कुछ नीतिगत चीजों पर बदलाव किए जाएं. जैसे कि उत्पाद आधारित कृषि की बजाए फूड प्रोसेसिंग, ट्रेडिंग, वैल्यू चैन इत्यादि पर अगर सरकार ध्यान दें तो किसानों की आमदनी बढ़ाने में तो मदद मिलेगी ही, साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को भी इससे मजबूती मिलेगी.
इसके साथ ही विशेषज्ञ ने बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए भी आने वाले बजट में प्रावधान होने चाहिए. बीते कुछ दिनों में प्याज की स्थिति और उसकी बढ़ती-घटती कीमतों का उदाहरण देते हुए विशेषज्ञ का कहना था कि अगर देश में इस तरह की सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाए कि प्याज आज सिर्फ एक क्षेत्र विशेष तक अपने उत्पाद के लिए निर्भर ना रहे. बल्कि बड़े क्लस्टर डेवलप किए जाएं, जिनमें प्याज का उत्पादन हो तो इस बात से फर्क नहीं पड़े कि मौसम की मार की वजह से एक क्षेत्र विशेष में प्याज का उत्पादन कम हुआ तो पूरे देश में प्याज की कीमतों पर उसका असर पड़ा.
बतौर एम.जे. खान, अगर सरकार को 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य प्राप्त करना है तो उसके लिए खुले व्यापार को बढ़ावा देने की जरूरत है. किसान को खुली छूट होनी चाहिए कि वह कहीं से भी खरीदे और कहीं पर भी बेच सके. इसके साथ ही एफपीओ स्कीम को और ज्यादा व्यापार से जोड़ने की जरूरत है.
कुल मिलाकर ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले बजट में किसी लोकलुभावन योजना की बजाय इन तकनीकी चीजों पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा और उसके लिए प्रावधान भी किए जाएंगे.