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लॉकडाउन में बंगाल से बिहार पैदल जाने को मजबूर हुए मजदूर

लॉकडाउन के कारण देशभर से अधिकांश मजदूर अपने-अपने घरों को पलायन कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल के एक फैक्ट्री में काम करने वाले 19 मजदूर आज दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर हैं. लॉकडाउन के कारण उन सभी की नौकरी चली गई. अब जब जेब में पैसे नहीं हैं तो वे सभी पैदल ही घर की तरफ चल दिए हैं.

सोर
मजदूर
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Published : Apr 20, 2020, 2:10 PM IST

कोलकाता . देशभर में लॉकडाउन को 3 मई तक फिर बढ़ा दिया गया है. इधर पश्चिम बंगाल के सियालदह में एक स्टील कारखाने में काम करने वाले 19 मजदूरों ने वापस अपने घर बिहार जाने का फैसला कर लिया है. ये सभी बारसोई के रहने वाले हैं.

पश्चिम बंगाल में 19 मजदूर जो सियालदह क्षेत्र में स्टील काम करते हैं, लॉकडाउन क चलते काम बंद होने की वजह से उनके लिए वापस लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.

एक मजूदर ने बताया कि बिना पैसे, भोजन और नौकरी का गुजारा नहीं चल सकता है. इसलिए वे सभी अपने घर वापस जा रहे हैं. सड़क पर वाहनों की मौजूदगी नहीं होने के कारण वे सभी पैदल ही बिहार की तरफ कूच कर गए.

कोलकाता से बारसोई 419 किलोमीटर है. हालांकि सभी मजदूर फरक्का पहुंच चुके हैं. यह सभी 96 किलोमीटर पैदल चलकर तकरीबन 292 किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं.

एक मजदूर ने बताया कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो उनके पास कुछ ही पैसे बचे थे, जो एक सप्ताह के भीतर समाप्त हो गए. फैक्ट्री के मालिक ने सहायता करने से साफ इनकार कर दिया. मजदूरों का कहना था कि रास्ते में पुलिस ने उन लोगों के साथ कोई ज्यादती नहीं की. रास्ते में स्थानीय लोगों ने उन लोगों को खाना और रुपये-पैसे देकर सहायता की.

कोलकाता . देशभर में लॉकडाउन को 3 मई तक फिर बढ़ा दिया गया है. इधर पश्चिम बंगाल के सियालदह में एक स्टील कारखाने में काम करने वाले 19 मजदूरों ने वापस अपने घर बिहार जाने का फैसला कर लिया है. ये सभी बारसोई के रहने वाले हैं.

पश्चिम बंगाल में 19 मजदूर जो सियालदह क्षेत्र में स्टील काम करते हैं, लॉकडाउन क चलते काम बंद होने की वजह से उनके लिए वापस लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.

एक मजूदर ने बताया कि बिना पैसे, भोजन और नौकरी का गुजारा नहीं चल सकता है. इसलिए वे सभी अपने घर वापस जा रहे हैं. सड़क पर वाहनों की मौजूदगी नहीं होने के कारण वे सभी पैदल ही बिहार की तरफ कूच कर गए.

कोलकाता से बारसोई 419 किलोमीटर है. हालांकि सभी मजदूर फरक्का पहुंच चुके हैं. यह सभी 96 किलोमीटर पैदल चलकर तकरीबन 292 किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं.

एक मजदूर ने बताया कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो उनके पास कुछ ही पैसे बचे थे, जो एक सप्ताह के भीतर समाप्त हो गए. फैक्ट्री के मालिक ने सहायता करने से साफ इनकार कर दिया. मजदूरों का कहना था कि रास्ते में पुलिस ने उन लोगों के साथ कोई ज्यादती नहीं की. रास्ते में स्थानीय लोगों ने उन लोगों को खाना और रुपये-पैसे देकर सहायता की.

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