नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने चुनाव आयोग में मत भिन्नता की खबरों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि किसी भी संस्था में यह बहुत ही स्वाभाविक है. यह जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति एक दूसरे का क्लोन हो और अपनी अलग राय ना रखता हो.
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने चुनाव आयोग के सदस्य अशोक लवासा पर बयान जारी किया. आपको बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त की प्रतिक्रिया उस समय आई है, जब मीडिया में चुनाव आयोग के एक सदस्य अशोक लवासा का एक बयान सामने आया है. इसमें कहा गया है कि अशोक लवासा आचार संहिता के मामले में पीएम को क्लीन चिट देने पर सहमत नहीं थे. वह चाहते थे कि उन्हें अपना मत दर्ज करने दिया जाए. लेकिन ऐसा नहीं हो सका.सीईसी सुनील अरोड़ा ने कहा कि आम तौर पर ऐसी बातें आयोग के बाहर नहीं जाती हैं. जब कोई अधिकारी रिटायर हो जाता है और अपनी यादें किसी किताब में दर्ज करता है, तब जाकर कुछ अंश बाहर आ पाते हैं. जब भी इस तरह की स्थिति आती है, तो मैं खुली बहस के पक्ष में रहता हूं. लेकिन हर चीज का एक वक्त होता है. अरोड़ा ने कहा कि यह कोई पहली बार ऐसा हो रहा है, ऐसी बात नहीं है. पहले भी कई मौकों पर अलग-अलग राय रही है. और यह होना भी चाहिए. सूत्रों के अनुसार अशोक लवासा ने नाराजगी के कारण चार मई से ही चुनाव आचार संहिता के मुद्दे पर चर्चा करने वाली सभी बैठकों से खुद को अलग कर लिया है.चुनाव आयोग के के तीसरे सदस्य सुशील चंद्रा हैं.चुनाव आयोग की धारा 10 के अनुसार चुनाव आयोग के सभी काम सर्वसम्मति से होने चाहिए. लेकिन विरोध होने पर बहुमत के आधार पर फैसला लिया जाएगा.
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कांग्रेस पार्टी ने पूरे मामले पर तीखी टिप्पणी की है. पार्टी ने इसके जरिए फिर से पीएम मोदी पर निशाना साधा है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक खबर शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'चुनाव आयोग है या चूक आयोग. लोकतंत्र के लिए एक और काला दिन. चुनाव आयोग के सदस्य ने बैठकों में शामिल होने से इनकार किया. जब चुनाव मोदी-शाह जोड़ी को क्लीनचिट देने में व्यस्त था तब लवासा ने कई मौकों पर असहमति जताई'