किशनगढ़ (अजमेर). बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री देखने के आरोप में राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के 10 छात्रों को 14 दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए उन्हें विश्वविद्यालय से सस्पेंड किया है. इस कार्रवाई को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अनुशासनात्मक बताया है. हालांकि इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने मीडिया से दूरी बना ली है.
विश्वविद्यालय से निकाले जाने के बाद रात में छात्रों ने जयपुर में ही रात बिताई. पीएम मोदी पर केंद्रित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर रोक लगाई गई है मगर छात्रों का कहना है कि फोन पर इस विवादित डॉक्यूमेंट्री को देखने पर उन्हें सस्पेंड किया गया है. निलंबित छात्रों में कुछ केरल और बाकी आसपास क्षेत्र के बताए जा रहे हैं.
पीएम मोदी और गुजरात दंगे पर केंद्रित बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री स्क्रीनिंग पर रोक लगा रखी है. जानकारी के अनुसार राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय में गणतंत्र दिवस की शाम को बीबीसी की मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री देखने के मामले में दस छात्रों को 14 दिन के लिए विश्वविद्यालय से सस्पेंड कर हॉस्टल से भी निकाल दिया गया है.
इस कार्रवाई को विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनुशासनात्मक कार्रवाई बताया है लेकिन सस्पेंड छात्र डॉक्यमेंट्री देखने को कार्रवाई की वजह बता रहे हैं. इस मामले पर कॉलेज प्रशासन की तरफ से भी कोई रिएक्शन नहीं आया है. छात्रों ने बताया कि पहले हमें जाने के लिए कहा गया लेकिन हम फ़ोन पर डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे. आठ बजे तक डॉक्यूमेंट्री देखने के बाद हम हॉस्टल चले गए. इस दौरान कोई नारेबाजी नहीं हुई लेकिन थोड़ी बहस ज़रूर हुई थी. एक छात्र ने बताया कि बहस के कुछ देर बाद वहां एबीवीपी से जुड़े स्टूडेंट नारेबाजी करने लगे. आरोप है कि हॉस्टल के कुछ व्हाट्सएप ग्रुप में एबीवीपी वाले चैट कर रहे थे कि यह हमारी पहचान पर खतरा है सब बास्केटबॉल कोर्ट पहुंचे, उन्होंने वहां नारेबाजी करते हुए कहने लगे कि देश विरोधी गतिविधियां नहीं होने देंगे.
इस दौरान मौके पर पहुंचे सीयूआर प्रशासन के अधिकारियों ने 10 छात्रों को 14 दिनों के लिए यूनिवर्सिटी व हॉस्टल से सस्पेंड कर दिया. सीयूआर प्रशासन ने अनुशासनात्मक कार्रवाई का हवाला देते हुए छात्रों को सस्पेंड करने की बात कही है. मामले में PUCL राजस्थान ने यूनिवर्सिटी प्रशासन की कार्रवाई को अनुचित बताते हुए छात्रों के निष्कासन को रद्द करने के लिए सीयूआर प्रशासन को पत्र लिखा है. वहीं पूरे मामले में केंद्रीय विश्वविद्यालय ने मीडिया से दूरी बना रखी है.
एबीवीपी की लिस्ट पर कार्रवाई का आरोपः एक निलंबित छात्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि 26 जनवरी की देर रात तक कैंपस में हंगामा होता रहा. 27 जनवरी को विश्वविद्यालय प्रशासन ने आदेश जारी कर कुछ छात्रों को सस्पेंड कर दिया. 28 जनवरी को फिर एक आदेश जारी किया और इस दिन कुछ और छात्रों को सस्पेंड किया. छात्र का आरोप है कि विश्वविद्यालय की सिक्योरिटी के गार्डों ने इस दिन 10 छात्रों को यूनिवर्सिटी से बाहर निकाल दिया. निलंबित छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रॉक्टर ने उनसे बात तक नहीं की और न ही उन्हें पक्ष रखने का मौका दिया गया. उनका आरोप है कि एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने प्रशासन को जो लिस्ट बना कर दी उसके आधार पर ही 10 छात्रों को सस्पेंड किया गया है. सभी 10 छात्रों के सस्पेंशन लेटर ईमेल के जरिए भेजे गए हैं. घटना से निलंबित छात्र घबराए हुए हैं. निलंबित छात्र ने बताया कि संस्पेंशन लेटर में यूनिवर्सिटी ने शिक्षकों और अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार करने और सोची समझी साजिश के तहत भीड़ जुटाने का का आरोप लगाया गया है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रखा है जिसमें श्री राम के नारे लगाए जा रहे हैं, यह वीडियो यूनिवर्सिटी कैंपस में 26 जनवरी की रात का बताया जा रहा है. हालांकि वायरल वीडियो को लेकर यूनिवर्सिटी के किसी भी अधिकारी ने पुष्टि नहीं की है.
पदाधिकारी बोले एबीवीपी का लेना देना नहींः ईटीवी भारत ने अजमेर के एबीवीपी के पूर्व विभाग संगठन मंत्री महिपाल सिंह देवड़ा से बातचीत की. देवड़ा का कहना है कि सार्वजनिक स्थान पर विवादित डॉक्यूमेंट्री देखने के मामले में केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रशासन ने 10 विद्यार्थियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की है. इस प्रकरण में एबीवीपी का कोई लेना देना नहीं है. नारेबाजी करने वाले छात्र भी यूनिवर्सिटी के हैं. यह कार्रवाई यूनिवर्सिटी ने की है. एबीपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य आशु राम डूकिया ने कहा कि विवादित डॉक्यूमेंट्री देखने वाले विद्यार्थियों की संख्या 10 से अधिक बताई जा रही है. उनका आरोप है कि इसमें प्रशासन के कुछ लोग भी शामिल होने की बात सामने आ रही है. डूकिया ने इस प्रकरण में निष्पक्ष जांच की मांग की है. साथ ही यूनिवर्सिटी प्रशासन को मामले में थाने में मुकदमा दर्ज करवाने की भी मांग की है.