गया : आज के दौर में हमारे बीच से पक्षी धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं. गैर-सरकारी संगठनों और पक्षी संरक्षण संगठनों के प्रयासों के अलावा कुछ लोगों ने स्वेच्छा से पक्षियों की घटती संख्या को संरक्षित किया है. बिहार के गया जिले के रहने वाले तंजील-उर-रहमान खान पक्षियों से बेहद प्यार करते हैं. तंजील ने एक पक्षी चिकित्सक से भी संपर्क कर रखा है जो, बीमार पक्षियों का इलाज करते हैं.
गया के बोध गया ब्लॉक के चेरकी थाना क्षेत्र के नस्का गांव के रहने वाले तंजील-उर-रहमान खान न केवल पक्षियों के प्रशंसक हैं, बल्कि पर्यावरण को भी संतुलित रखने की कोशिश भी कर रहे हैं. तंजील-उर-रहमान का पूरा परिवार पक्षियों से बहुत प्यार करता है. तंजीर कहते हैं पक्षी धीरे-धीरे हमारे घरों से गायब हो रहे हैं. हमने बचपन में पक्षियों को अपने आंगन में देखा और आज उसे संरक्षित कर रहे हैं.
तंजील-उर-रहमान ने कहा कि पक्षियों की चहचहाहट सुनने के लिए हमने उनको रहने के लिए मिट्टी का घोंसला बनाया. तंजील-उर-रहमान खान ने पक्षियों और विशेष रूप से गौरैया के संरक्षण के लिए काम किया. पक्षियों के प्रति उनके अद्वितीय प्रेम के परिणामस्वरूप, उन्होंने अपने घर को पक्षियों का बसेरा बनाया हैं.
पढ़ें- शिकायत करने पर 24 घंटे में हटाना होगा कंटेंट, सोशल मीडिया के लिए सरकार की गाइडलाइन
उनके जीवन का उद्देश्य केवल गौरैया की रक्षा करना नहीं, बल्कि सभी पक्षियों की रक्षा करना है. तंजील-उर-रहमान खान पक्षियों से इतना प्यार करते हैं कि अगर कोई पक्षियों को मारता है, तो उससे लड़ाई कर लेते हैं.
खान ने ईटीवी भारत को बताया कि शुरू में जब उन्होंने पक्षियों के लिए छोटे आश्रय बनाने शुरू किए तो उनमें से केवल एक या दो पक्षी, विशेष रूप से गौरैया और कबूतर रहते थे. लेकिन धीरे-धीरे संख्या में वृद्धि हुई.
खान और उनके सहायक पक्षियों के लिए खाद्यान्न और पानी का प्रबंधन करते हैं और उन्हें प्राकृतिक तरीके से भोजन देते हैं. उसने अपने बगीचे से घर तक मिट्टी के बर्तन लटकाए हैं, जो पक्षियों के लिए घोंसले का काम करते हैं.
सैकड़ों पक्षी, विशेष रूप से गौरैया,ने खान के निवास के माहौल को बदल दिया है. सुबह-शाम चहकते हुए पक्षियों को देखने से एक सुखद अनुभूति मिलती है.