अशोकनगर। हार जाती तो मां कैसे कहलाती, उसे तो उम्र भर हालात से लड़ना है, उसे तो अपनी बेटी की एक झलक देखने मीलों मीलों चलना है. उसने हर मुश्किल से किया दो-दो हाथ, फर्राटा भरती गाड़ियों से घबराती नहीं वो. हाईवे पर अपने हाथों से ट्राईसाइकिल के पहिए घुमाती चलती जाती वो. इस एक तस्वीर की कितनी जज़्बाती कहानी है, इस एक तस्वीर में बेटी और मां के रिश्ते के नए मानी हैं. तस्वीर में दिखाई दे रही महिला का नाम लीबियाबाई की जगह कुछ और भी हो सकता था. गौर इस पर कीजिए कि करीब 90 वर्ष की बताई जा रही ये महिला एक मां है जो आग उगलते सूरज को अंगूठा दिखाकर बढ़ी है. 180 किलोमीटर का सफर इस ट्राइसाइकिल पर तय कर रही हैं सिर्फ एक ख्वाहिश में कि उसे अपनी बेटी से मिलना है.
बेटी से मिलने की जिद और जुनून हाईवे का भी डर नहीं: अपनी बेटी की एक झलक देखने की जिद और जुनून ही तो है कि अशोक नगर की रहने वाली 90 बरस की ये महिला लीबिया बाई ट्राइसाइकिल पर अपना बोरिया बिस्तरा बांधे अपनी मंजिल की तरफ निकल चली हैं आठ दिन में केवल 80 किलोमीटर का सफर तय हुआ है. मंजिल तक का सफर 180 किलोमीटर का है. ये वीडियो राजगढ़ पचोर हाईवे का बताया जा रहा है. जहां किसी राहगीर ने ही ये वीडियो बनाया और फिर ये वीडियो वायरल हो गया. बातचीत की भी कोशिश की गई लेकिन अपने नाम से ज्यादा नहीं बता सकी लीबिया बाई. जानकारी के मुताबिक ये वीडियो उसी दौरान का है जब लीबिया अपनी बेटी से मिलने निकली थी.
ये तस्वीर प्रेरणा है या सवाल: इस वीडियो के दो हिस्से हैं. एक हिस्से में बेशक ये मां की जिद और जुनून की कहानी दिखाई दे. एक हिस्से में बेशक ये वीडियो प्रेरणा दे कि उम्र को भी मात दे जाती है जिद. प्रेम से पगी मां बेटी की डोर में फिर ना तमतमाता सूरज आता है. ना हाईवे पर फर्राटा भरते ट्रक और बसें.. लेकिन यही तस्वीर सवाल भी है. सवाल समाज से क्यों सड़कों पर इस बुजुर्ग के यूं निकलने की नौबत आई. सवाल सिस्टम से भी है. तीर्थ यात्रा करवाने वाली सरकार इस अम्मा को उसके तीर्थ उसकी अपनी बेटी के घर तक नहीं पहुंचा पाई.