हैदराबाद : साल में बारह मास में 12 अमावस्या आती हैं और हिंदी पांचांग के अनुसार अमावस्या वह दिन होता है, जिस दिन हमें चन्द्रमा की एक झलक भी दिखाई नहीं देती है.अमावस्या के दिन को हिन्दू शास्त्रों में बहुत ही खास बताया गया है. मार्गशीर्ष मास की अमावस्या 4 दिसम्बर को है और अमावस्या के दिन को पितरों के नाम से भी जाना जाता है. मार्गशीर्ष अमावस्या इस बार शनिवार (Amavasya Saturday) के दिन पड़ रही है. कारण इसे शनैश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya 2021) या शनि अमावस्या (Shani Amavasya 2021) कहा जाता है.
अमावस्या के दिन पूजा पाठ करना और अपने पूर्वजों के नाम पर दान पुण्य करना बहुत ही शुभ होता है. साथ ही इस दिन जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और कोई भी गलत काम नहीं करना चाहिए. इस दिन पितरों के नाम पर पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है. आप अपने मृत पूर्वजों को श्रद्धा अर्पित कर सभी दोषों को दूर करने, अपने परिवार के लिए आनंदमय और खुशहाली से भरपूर जीवन का आशीर्वाद पा सकते हैं. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन भगवान कृष्ण की पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है.
आचार्य दीपकुमार शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, भगवान कृष्ण का आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों को अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुंड आदि में स्नान करना चाहिए. यदि आप ऐसी जगह पर नहीं जा सकते हैं तो घर में ही समय से उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए. मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन यदि आप पितरों के नाम पर हवन करते हैं, गरीबों को भोजन करवाते हैं और जरूरतमंदों की मदद करते हैं या अन्य कोई भी दान धर्म का कार्य करते हैं तो इसका शुभ फल जीवन में प्राप्त होता है. आप चाहे तो इस दिन व्रत कर सकते हैं. शनि अमावस्या के दिन जप, तप और दान आदि करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. धार्मिक दृष्टि से शनि अमावस्या के दिन दान आदि से जीवन में दुख, संकट, दरिद्रता आदि समस्याओं का नाश होता है.