भोपाल: (विश्वास चतुर्वेदी) मध्य प्रदेश में आगामी 24 और 25 फरवरी को राजधानी में ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि इस बार इंवेस्टर्स समिट सारे रिकार्ड तोड़ देगी. इसमें 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश की संभावना जताई जा रही है.
प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित उद्योगपतियों के साथ संवाद के दौरान कहा कि "बहुत सारी इन्वेस्टर समिट होती है, पर वो इवेंट बनकर रह जाती हैं. लेकिन भोपाल में होने जा रही समिट इवेंट बनकर नहीं रहेगी. उन्होंने दावा किया कि इससे मध्यप्रदेश में 20 लाख लोगों को राजगार मिलेगा."
मध्य प्रदेश में 26.17 लाख युवा बेरोजगार
दिसंबर 2024 में आयोजित विधानसभा सत्र के दौरान सरकार ने सदन में बताया था कि मध्य प्रदेश में 26.17 लाख लोग बेरोजगार है. अब यदि ये इंवेस्टर्स समिट सफल रहती है तो प्रदेश में 75 प्रतिशत से भी अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा. हालांकि मंत्री कैलाश विजयवर्गीय स्वयं भी स्वीकार चुके हैं कि इससे पहले बहुत इंवेस्टर्स समिट हुई लेकिन वो इवेंट बनकर रह गईं.
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मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि "इस बार की इन्वेस्टर्स समिट में सरकार सिर्फ समझौते साइन करने तक सीमित नहीं रहेगी." बता दें कि अब तक हुईं 7 इंवेस्टर्स समिट में से साल 2019 में हुई समिट के दौरान कांग्रेस की सरकार थी, जबकि अन्य 6 समिट के दौरान मध्य प्रदेश में भाजपा शासन में रही है.
7 समिट में 33 लाख करोड़ के प्रस्ताव, धरातल पर 10 प्रतिशत भी नहीं उतरे
बता दें कि मध्य प्रदेश में उद्योग और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल 2007 में इंदौर शहर से ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट की शुरूआत की थी. तब से साल 2023 तक कुल 7 इंवेस्टर्स समिट मध्य प्रदेश में हो चुकी हैं. 17 साल में पहली बार ऐसा है कि ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट इंदौर से भोपाल शिफ्ट किया गया है. इन 7 समिट में अब तक मध्य प्रदेश को 33.19 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिल चुके हैं, लेकिन असलियत में धरातल पर 10 प्रतिशत निवेश भी नहीं आया.
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बीते 7 जीआईएस में निवेश की स्थिति
- 2007: साल 2007 में जीआईएस की शुरुआत हुई. तब पहली बार कुल 1.20 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव राज्य सरकार को प्राप्त हुए थे. लेकिन 17,311 करोड़ के प्रस्ताव ही धरातल पर आए. इससे करीब 50 हजार लोगों को रोजगार मिलने का दावा किया गया.
- 2010: साल 2010 में 2.35 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले, इसमें से धरातल पर 26,879 करोड़ के करार आए. इससे प्रदेश के 25 हजार को रोजगार मिलने का दावा किया गया.
- 2012: साल 2012 में 3.50 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए. धरातल पर 26 हजार करोड़ के करार ही हुए. इससे 32 हजार लोगों को रोजगार मिला.
- 2014: साल 2014 में 4.35 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिलने का दावा सरकार ने किया. लेकिन धरातल पर 49,272 करोड़ के करार ही आए. जिसमें 39 हजार लोगों को रोजगार मिला.
- 2016: साल 2016 में 5.63 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए, जिसमें से केवल 32,597 करोड़ का निवेश धरातल पर उतरा. इससे 92 हजार लोगों को रोजगार देने का दावा किया गया.
साल 2023 की समिट का टूटेगा रिकार्ड
बता दें कि साल 2020 और 21 में कोरोना लॉकडाउन के कारण मध्य प्रदेश में जीआईएस का आयोजन नहीं हुआ. जबकि इससे पहले साल 2019 में कांग्रेस सरकार ने ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट का आयोजन कराया था. जिसमें 74 हजार करोड़ रुपये का निवेश धरातल पर आया. फिर कोरोना के बाद सरकार बदली और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साल 2023 में इंवेस्टर्स समिट का आयोजन कराया. जो अब तक कि सबसे सफल इंवेस्टर्स समिट रही.
इसमें सर्वाधिक 15 लाख 42 हजार 550 करोड़ रुपए के निवेश आए थे. इससे दावा था कि 29 लाख से अधिक रोजगार के द्वार खुलेंगे. हालांकि यदि इतने लोगों को रोजगार मिलता, तो प्रदेश में बेरोजगारी समाप्त हो जाती. वहीं इस बार सरकार दावा कर रही है कि जीआईएस 2025 में अब तक का सर्वाधिक निवेश आएगा. यह आंकड़ा 20 लाख करोड़ के पार जा सकता है. इसमें करीब पौने 4 लाख करोड़ के प्रस्ताव तो मिल चुके हैं.
अब तक 2.55 लाख करोड़ का निवेश, ढाई लाख को रोजगार
अब तक बीते 17 सालों में 7 जीआईएस में करीब 2.55 लाख करोड़ रुपये का निवेश मध्य प्रदेश में किया गया है. इससे करीब 2.50 लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिला. फिलहाल मध्य प्रदेश में 320 बड़ी औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं. वहीं छोटे और मध्यम उद्योगों की संख्या 26 लाख तक पहुंच गई है.
इसके साथ ही राज्य सरकार क्षेत्रीय स्तर पर उद्योग व रोजगार को बढ़ावा देने के लिए रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन भी कर रही है. अब तक करीब 7 संभागों में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लवे में सरकार को 3.75 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिल चुके हैं. इससे करीब ढाई लाख नए लोगों को रोजगार का अवसर मिलेगा.
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'सिंगल विंडो से 30 दिन में मिल रही जरूरी परमिशन'
मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के एमडी चंद्रमौली शुक्ला ने बताया कि "मध्य प्रदेश में उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल है. सरकार बीते 15 दिनों में जीआईएस से पहले एमएसएमई, स्टार्टअप, ईवी, टॉउनशिप, विमानन और नवकरणीय उर्जा समेत 14 पॉलिसी बदल चुकी है. जिससे निवेशकों को परेशानी से बचाया जा सकेगा. मध्यप्रदेश उद्योगों के लिए झंझट मुक्त प्रदेश है. यहां सिंगल विंडो से उद्योगों की स्थापना संभव है."
उन्होंने बताया कि "यहां स्टार्ट योर बिजनेस इन 30 डेज की अवधारणा लागू है. अब नया उद्योग लगाने के लिए 8 विभागों की 44 सेवाओं की अनुमति 30 दिन के भीतर उपलब्ध कराने की सुविधा देने वाला यह एकमात्र प्रदेश है. इसलिए मध्य प्रदेश में उद्योगपति निवेश करने में रुचि दिखा रहे हैं. शुक्ला ने बताया कि सरकार इसके अलावा उद्योगपतियों को व्यवसाय के लिए किफायती दामों पर जमीन और बिजली के साथ सब्सिडी भी दे रही है."