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रतन टाटा ने भारत में क्यों लॉन्च की थी Tata Nano, कैसे हो गई बाजार से गायब, जानें यहां

Tata Group के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का निधन हो गया है, जिन्होंने देश की सबसे सस्ती कार Tata Nano को बाजार में उतारा था.

Tata Nano and Ratan Tata
Tata Nano और Ratan Tata (फोटो - Getty Images)
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By ETV Bharat Tech Team

Published : Oct 10, 2024, 4:22 PM IST

हैदराबाद: देश के जाने-माने Tata Group के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बीती रात निधन हो गया. पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है. रतन टाटा वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने देश के मध्यम वर्ग के परिवार को भी कार उपलब्ध कराने का सपना देखा था. इसी सपने का साकार रूप था Tata Nano. इसे देश में 'लखटकिया कार' के तौर पर भी जाना गया.

रतन टाटा ने कब की इसकी घोषणा
दिवंगत रतन टाटा ने सार्वजनिक रूप से सिंगूर फैक्ट्री की घोषणा की थी, जहां उन्होंने 1 लाख रुपए की कीमत में Tata Nano के उत्पादन का सपना देखा था, जो जल्द ही देश की सबसे सस्ती कार बनने वाली थी. उनके इस विजन पर Tata Motors की टीम ने दिन रात काम किया और साल 2008 में नई दिल्ली में हुए Auto Expo में पहली बार Tata Nano को दुनिया के सामने पेश किया गया.

इसके बाद साल 2009 में कंपनी ने Tata Nano को लॉन्च कर दिया. भारतीय बाजार में इस कार ने 'लखटकिया' कार के नाम से खूब सुर्खियाँ बटोरीं. इसकी कीमत मध्यम वर्ग की पहुंच में आने के लिए सिर्फ 1 लाख रुपये रखी गई थी. साल 2008 Auto Expo में Tata Nano को पेश करते हुए, रतन टाटा ने कहा था कि "हमने देश को एक किफायती कार दी है और देश का बड़ा हिस्सा इसमें बैठ सकेगा."

मार्च 2009 में Tata Nano के लॉन्च होने के समय किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि यह कार बाजार में असफल हो जाएगी. इसके बजाय, भारत की अग्रणी ऑटो कंपनी के लिए यह एक चिंता का विषय बन गई थी. नैनो से व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही थी कि यह कार कंपनी की बिक्री की बढ़ाने के लिए एक वरदान साबित होगी.

लॉन्च के साथ ही इसकी कीमत का खुलासा हुआ और Tata Nano की शुरुआती कीमत 1 लाख रुपये रखी गई. इस कार को शुरू में उत्तराखंड के पंतनगर में उनकी फैक्ट्री में बनाया जाना था. लॉन्च के साथ ही कार की शुरुआती बुकिंग ने सभी को हैरान कर दिया और इसकी 2,00,000 यूनिट बुक हो गईं. Tata Motors ने इसकी बुकिंग से 2,500 करोड़ रुपये एकत्र किए.

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है Tata Nano का नाम
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Tata Nano ने पूरे देश की सबसे लंबी यात्रा करने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था. Nano ने यह कारनामा 10 दिनों में पूरा कर लिया था. इस यात्रा की शुरुआत दक्षिणी तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और Tata Nano ने 10,218 किलोमीटर की दूरी तय की और बेंगलुरु में अपनी यात्रा समाप्त की.

Tata Nano की टाइमलाइन

2007: जनवरी में, सिंगुर में Tata Motors की फैक्ट्री का निर्माण शुरू हुआ. जून में ममता बनर्जी ने किसानों से ज़मीन लेकर कार निर्माता को सौंपने में कथित भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन शुरू किया. विरोध बढ़ने और तनाव बढ़ने पर Tata Motors ने सिंगुर परियोजना को छोड़ने का फ़ैसला किया. 3 अक्टूबर, 2008 को Ratan Tata ने घोषणा की कि Tata Nano का उत्पादन गुजरात के साणंद में स्थानांतरित किया जाएगा, जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना का खुले दिल से स्वागत किया.

2008: पहली Tata Nano पहली बार प्रदर्शित हुई.

2009: Tata Motors ने Nano को भारत की सबसे छोटी कार के रूप में लॉन्च किया.

2010: Tata Motors के साणंद प्लांट की शुरुआत हुई.

नवंबर 2010: कंपनी ने एक ऑफर के तहत दोपहिया वाहन के बदले Tata Nano के लिए एक्सचेंज योजना की घोषणा की.

मार्च 2011: Tata Nano का विदेशी बाजारों में निर्यात शुरू हुआ. इसे श्रीलंका और नेपाल में निर्यात किया जाने लगा.

अक्टूबर 2013: Tata Nano का वर्जन लॉन्च किया गया. कंपनी ने Nano CNG eMax वेरिएंट को लॉन्च किया, जिसकी कीमत 2.45 लाख रुपये थी.

जनवरी 2014: Tata Nano को पावर स्टीयरिंग वेरिएंट दिया गया. कंपनी ने इलेक्ट्रिक पावर स्टीयरिंग के साथ Nano Twist लॉन्च किया, इसकी कीमत मौजूदा टॉप-एंड मॉडल से 14,000 रुपये अधिक थी.

मई 2015: Tata Nano की नेक्स्ट-जनरेशन लॉन्च की गई. टाटा मोटर्स ने नैनो की दूसरी-जनरेशन, Tata Nano GenX लॉन्च की, जिसकी कीमत 1.99 लाख रुपये से 2.89 लाख रुपये तक थी.

मार्च 2017: सिर्फ दो साल के समय में Tata Nano की बिक्री गिरने लगी और मार्च 2017 में इसकी मात्र 174 यूनिट्स बेची गईं, जो इसके सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी. अप्रैल 2016 से मार्च 2017 के बीच कंपनी ने केवल 7,591 Nano बेचीं, जो 63 प्रतिशत कम थी.

मई 2018: टाटा के पूर्व चेयरमैन ने कहा कि Tata Nano का अंत हो गया है. तत्कालीन चैयरमैन साइरस मिस्त्री ने Tata Nano को एक असफल परियोजना बताया. उनका दावा था कि Tata Nano ने लगातार मूल्य खो दिया, जिसकी कीमत 1,000 करोड़ रुपये थी.

Tata Nano के इंजन
Tata Nano को जब लॉन्च किया गया था, तब इसे 'लोगों की कार' या 'लखटकिया कार' के नाम से जाना जाता था. कार के पीछे मुख्य विचार हर भारतीय को कार का एक्सपीरिएंस/सुरक्षा प्रदान करना था. इस कार में 624cc पेट्रोल इंजन दिया गया था, जो 33 बीएचपी की पावर प्रदान करता था. यह उस समय देश की सबसे अधिक ईंधन कुशल कार थी, जिसका ARAI माइलेज 23.1 किलोमीटर प्रति लीटर था. कार का इंजन पीछे की तरफ लगा था और यह रियर व्हील ड्राइव थी.

हैदराबाद: देश के जाने-माने Tata Group के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बीती रात निधन हो गया. पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित रतन टाटा के निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है. रतन टाटा वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने देश के मध्यम वर्ग के परिवार को भी कार उपलब्ध कराने का सपना देखा था. इसी सपने का साकार रूप था Tata Nano. इसे देश में 'लखटकिया कार' के तौर पर भी जाना गया.

रतन टाटा ने कब की इसकी घोषणा
दिवंगत रतन टाटा ने सार्वजनिक रूप से सिंगूर फैक्ट्री की घोषणा की थी, जहां उन्होंने 1 लाख रुपए की कीमत में Tata Nano के उत्पादन का सपना देखा था, जो जल्द ही देश की सबसे सस्ती कार बनने वाली थी. उनके इस विजन पर Tata Motors की टीम ने दिन रात काम किया और साल 2008 में नई दिल्ली में हुए Auto Expo में पहली बार Tata Nano को दुनिया के सामने पेश किया गया.

इसके बाद साल 2009 में कंपनी ने Tata Nano को लॉन्च कर दिया. भारतीय बाजार में इस कार ने 'लखटकिया' कार के नाम से खूब सुर्खियाँ बटोरीं. इसकी कीमत मध्यम वर्ग की पहुंच में आने के लिए सिर्फ 1 लाख रुपये रखी गई थी. साल 2008 Auto Expo में Tata Nano को पेश करते हुए, रतन टाटा ने कहा था कि "हमने देश को एक किफायती कार दी है और देश का बड़ा हिस्सा इसमें बैठ सकेगा."

मार्च 2009 में Tata Nano के लॉन्च होने के समय किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि यह कार बाजार में असफल हो जाएगी. इसके बजाय, भारत की अग्रणी ऑटो कंपनी के लिए यह एक चिंता का विषय बन गई थी. नैनो से व्यापक रूप से उम्मीद की जा रही थी कि यह कार कंपनी की बिक्री की बढ़ाने के लिए एक वरदान साबित होगी.

लॉन्च के साथ ही इसकी कीमत का खुलासा हुआ और Tata Nano की शुरुआती कीमत 1 लाख रुपये रखी गई. इस कार को शुरू में उत्तराखंड के पंतनगर में उनकी फैक्ट्री में बनाया जाना था. लॉन्च के साथ ही कार की शुरुआती बुकिंग ने सभी को हैरान कर दिया और इसकी 2,00,000 यूनिट बुक हो गईं. Tata Motors ने इसकी बुकिंग से 2,500 करोड़ रुपये एकत्र किए.

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है Tata Nano का नाम
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Tata Nano ने पूरे देश की सबसे लंबी यात्रा करने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था. Nano ने यह कारनामा 10 दिनों में पूरा कर लिया था. इस यात्रा की शुरुआत दक्षिणी तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और Tata Nano ने 10,218 किलोमीटर की दूरी तय की और बेंगलुरु में अपनी यात्रा समाप्त की.

Tata Nano की टाइमलाइन

2007: जनवरी में, सिंगुर में Tata Motors की फैक्ट्री का निर्माण शुरू हुआ. जून में ममता बनर्जी ने किसानों से ज़मीन लेकर कार निर्माता को सौंपने में कथित भ्रष्टाचार को लेकर आंदोलन शुरू किया. विरोध बढ़ने और तनाव बढ़ने पर Tata Motors ने सिंगुर परियोजना को छोड़ने का फ़ैसला किया. 3 अक्टूबर, 2008 को Ratan Tata ने घोषणा की कि Tata Nano का उत्पादन गुजरात के साणंद में स्थानांतरित किया जाएगा, जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस परियोजना का खुले दिल से स्वागत किया.

2008: पहली Tata Nano पहली बार प्रदर्शित हुई.

2009: Tata Motors ने Nano को भारत की सबसे छोटी कार के रूप में लॉन्च किया.

2010: Tata Motors के साणंद प्लांट की शुरुआत हुई.

नवंबर 2010: कंपनी ने एक ऑफर के तहत दोपहिया वाहन के बदले Tata Nano के लिए एक्सचेंज योजना की घोषणा की.

मार्च 2011: Tata Nano का विदेशी बाजारों में निर्यात शुरू हुआ. इसे श्रीलंका और नेपाल में निर्यात किया जाने लगा.

अक्टूबर 2013: Tata Nano का वर्जन लॉन्च किया गया. कंपनी ने Nano CNG eMax वेरिएंट को लॉन्च किया, जिसकी कीमत 2.45 लाख रुपये थी.

जनवरी 2014: Tata Nano को पावर स्टीयरिंग वेरिएंट दिया गया. कंपनी ने इलेक्ट्रिक पावर स्टीयरिंग के साथ Nano Twist लॉन्च किया, इसकी कीमत मौजूदा टॉप-एंड मॉडल से 14,000 रुपये अधिक थी.

मई 2015: Tata Nano की नेक्स्ट-जनरेशन लॉन्च की गई. टाटा मोटर्स ने नैनो की दूसरी-जनरेशन, Tata Nano GenX लॉन्च की, जिसकी कीमत 1.99 लाख रुपये से 2.89 लाख रुपये तक थी.

मार्च 2017: सिर्फ दो साल के समय में Tata Nano की बिक्री गिरने लगी और मार्च 2017 में इसकी मात्र 174 यूनिट्स बेची गईं, जो इसके सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी. अप्रैल 2016 से मार्च 2017 के बीच कंपनी ने केवल 7,591 Nano बेचीं, जो 63 प्रतिशत कम थी.

मई 2018: टाटा के पूर्व चेयरमैन ने कहा कि Tata Nano का अंत हो गया है. तत्कालीन चैयरमैन साइरस मिस्त्री ने Tata Nano को एक असफल परियोजना बताया. उनका दावा था कि Tata Nano ने लगातार मूल्य खो दिया, जिसकी कीमत 1,000 करोड़ रुपये थी.

Tata Nano के इंजन
Tata Nano को जब लॉन्च किया गया था, तब इसे 'लोगों की कार' या 'लखटकिया कार' के नाम से जाना जाता था. कार के पीछे मुख्य विचार हर भारतीय को कार का एक्सपीरिएंस/सुरक्षा प्रदान करना था. इस कार में 624cc पेट्रोल इंजन दिया गया था, जो 33 बीएचपी की पावर प्रदान करता था. यह उस समय देश की सबसे अधिक ईंधन कुशल कार थी, जिसका ARAI माइलेज 23.1 किलोमीटर प्रति लीटर था. कार का इंजन पीछे की तरफ लगा था और यह रियर व्हील ड्राइव थी.

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