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भारत में टॉप साइबर खतरे के रूप में उभरा रैंसमवेयर-मैलवेयर! - cyber threat in India Ransomware - CYBER THREAT IN INDIA RANSOMWARE

Cyber Threat In India : एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में टॉप साइबर खतरे के रूप में रैंसमवेयर और मैलवेयर भारत में इस साल के सबसे बड़े साइबर खतरे के रूप में उभरे हैं. यहां पढ़ें पूरी खबर.

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By IANS

Published : Mar 21, 2024, 9:48 PM IST

नई दिल्ली: रैंसमवेयर और मैलवेयर भारत में 2024 के सबसे बड़े साइबर खतरे के रूप में उभरे हैं. 42 प्रतिशत आईटी और सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स ने उन्हें सबसे तेजी से बढ़ते खतरे के रूप में पहचाना है. आईटी कंपनी थेल्स के अनुसार सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (सास) एप्लिकेशन, क्लाउड-बेस्ड स्टोरेज और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट सहित क्लाउड एसेट्स ऐसे हमलों के लिए प्राइमरी टारगेट बने हुए हैं.

भारत में थेल्स के उपाध्यक्ष आशीष सराफ ने कहा कि भारत और दुनिया भर में डेटा प्राइवेसी नियमों में लगातार बदलाव के साथ उद्यमों को बने रहने के किसी भी अवसर के लिए अपने संगठन में अच्छी विजिबिलिटी की जरूरत है. आशीष सराफ ने कहा कि इस साल के रिसर्च से महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकला है, जो कि काफी महत्वपूर्ण रहा है. वास्तव में जिन जवाबकर्ताओं की अपनी अनुपालन प्रक्रियाओं पर अच्छी पकड़ थी और उन्होंने अपने सभी ऑडिट पास कर लिए थे, उन पर अटैक की संभावना कम थी.

गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार 11 प्रतिशत जवाबकर्ताओं ने माना कि वे भारत में पिछले साल रैंसमवेयर हमले का शिकार हुए, जिनमें से 10 प्रतिशत ने फिरौती का भुगतान किया. रिपोर्ट में 37 इंडस्ट्रीज में 18 देशों के लगभग 3 हजार आईटी और सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स का सर्वे किया गया.

रैंसमवेयर को देश में टॉप बढ़ते खतरे के रूप में जगह दिए जाने के बावजूद केवल 20 प्रतिशत जवाबकर्ताओं के पास औपचारिक रैंसमवेयर योजना है. इसके अलावा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लगातार दूसरे साल मानवीय गलतियां डेटा संबंधी नियमों का उल्लंघन का प्रमुख कारण बनी हुई है. 34 प्रतिशत उद्यमों ने इसे मूल कारण बताया है. रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तर पर 93 प्रतिशत आईटी प्रोफेशनल्स का मानना है कि सुरक्षा खतरे बढ़ रहे हैं, जो पिछले साल 47 प्रतिशत से उल्लेखनीय वृद्धि है.

यह भी पढ़ें: पृथ्वी के इतने करीब से गुजरेगा 60 फुट का एस्टेरॉयड, नासा ने बताया कितनी है स्पीड - 60 Foot Asteroid To Pass Earth

नई दिल्ली: रैंसमवेयर और मैलवेयर भारत में 2024 के सबसे बड़े साइबर खतरे के रूप में उभरे हैं. 42 प्रतिशत आईटी और सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स ने उन्हें सबसे तेजी से बढ़ते खतरे के रूप में पहचाना है. आईटी कंपनी थेल्स के अनुसार सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (सास) एप्लिकेशन, क्लाउड-बेस्ड स्टोरेज और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट सहित क्लाउड एसेट्स ऐसे हमलों के लिए प्राइमरी टारगेट बने हुए हैं.

भारत में थेल्स के उपाध्यक्ष आशीष सराफ ने कहा कि भारत और दुनिया भर में डेटा प्राइवेसी नियमों में लगातार बदलाव के साथ उद्यमों को बने रहने के किसी भी अवसर के लिए अपने संगठन में अच्छी विजिबिलिटी की जरूरत है. आशीष सराफ ने कहा कि इस साल के रिसर्च से महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकला है, जो कि काफी महत्वपूर्ण रहा है. वास्तव में जिन जवाबकर्ताओं की अपनी अनुपालन प्रक्रियाओं पर अच्छी पकड़ थी और उन्होंने अपने सभी ऑडिट पास कर लिए थे, उन पर अटैक की संभावना कम थी.

गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार 11 प्रतिशत जवाबकर्ताओं ने माना कि वे भारत में पिछले साल रैंसमवेयर हमले का शिकार हुए, जिनमें से 10 प्रतिशत ने फिरौती का भुगतान किया. रिपोर्ट में 37 इंडस्ट्रीज में 18 देशों के लगभग 3 हजार आईटी और सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स का सर्वे किया गया.

रैंसमवेयर को देश में टॉप बढ़ते खतरे के रूप में जगह दिए जाने के बावजूद केवल 20 प्रतिशत जवाबकर्ताओं के पास औपचारिक रैंसमवेयर योजना है. इसके अलावा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लगातार दूसरे साल मानवीय गलतियां डेटा संबंधी नियमों का उल्लंघन का प्रमुख कारण बनी हुई है. 34 प्रतिशत उद्यमों ने इसे मूल कारण बताया है. रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तर पर 93 प्रतिशत आईटी प्रोफेशनल्स का मानना है कि सुरक्षा खतरे बढ़ रहे हैं, जो पिछले साल 47 प्रतिशत से उल्लेखनीय वृद्धि है.

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