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इतने घंटे से ज्‍यादा चलाते हैं फोन तो आप हैं खुद के दुश्मन, World Health Day पर जानें कैसे बनें अपने बेस्ट फ्रेंड - World Health Day 2024

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 7, 2024, 9:26 PM IST

World Health Day 2024 : यदि आप फोन पर ज्यादा समय स्पेंड करते हैं तो वास्तव में आप अपने ही दुश्मन हैं. वर्ल्ड हेल्थ डे पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि स्क्रीन पर आपको कितना समय बिताना चाहिए.

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हैदराबाद: ये कड़वी सच्चाई है कि आज के समय में मोबाइल फोन हर हाथ में जरूरी है. कॉलिंग, एंटरटेनमेंट से लेकर छोटा और बड़ा हर काम मोबाइल से जुड़ा हुआ है. वहीं, आज बड़े तो बड़े, छोटे बच्चे भी फोन की लत में बुरी तरह से फंस चुके हैं. वह इस तरह से फोन चलाते हैं कि इसे नशा कहा जाए तो गलत नहीं होगा. आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है और आपको अवेयर करने के लिए हम लेकर आए हैं आपके लिए बड़ी जानकारी. जी हां! स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना न केवल न्यूरोलॉजिकल डेवलपमेंट बल्कि सोशल लाइफ के लिए भी बेहद हानिकारक है. छोटे बच्चों के लिए तो ज्यादा मोबाइल चलाना खुद ही चश्मा लगवाने को निमंत्रण देने जैसा है. यहां समझिए आपके और आपके अपनों के लिए कितना खतरनाक है ज्यादा समय तक मोबाइल चलाना.

Mobile phone effects on eyes
वर्ल्ड हेल्थ डे

तो क्या कड़वा सच बन चुका है मोबाइल?
बता दें कि आधुनिक परिवेश में सांस लेने के लिए टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना वक्त की मांग कह सकते हैं. लेकिन इस बीच समझना होगा कि बच्चों के ऑनलाइन पढ़ाई या अपनी कुछ जरुरतों के बाद मोबाइल में देर तक आंखें गड़ाए रखना वास्तव में कितना खतरनाक है. मोबाइल पर ज्यादा समय स्पेंड करने से तंत्रिका-संज्ञानात्मक सीखने के विकारों को जन्म देती है, जो कि बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है. वहीं, बचपन और यंगस्टर्स में टीवी, वीडियो गेम, मोबाइल फोन और टैबलेट के सामने ज्यादा समय बिताने से जिंदगी गतिहीन बन जाती है. एक अध्ययन के अनुसार ऐसे में बच्चों में हार्ट फेल और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है.

Mobile phone effects on eyes
वर्ल्ड हेल्थ डे

बढ़ता जा रहा है आंखों का नंबर
आगे बता दें कि स्‍क्रीन पर 2 से 3 घंटे तक बच्चों के रहने पर भले ही पेरेंट्स टेंशन फ्री हों कि टाइम कम है मगर आपको जानकर हैरत होगी कि यह अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है. जी हां! बच्चों में चश्मा लगने की एक वजह भी बनता जा रहा है. इससे न केवल बच्चों बल्कि बड़ों की आंखों का नंबर भी बढ़ता जा रहा है.

Mobile phone effects on eyes
वर्ल्ड हेल्थ डे

बच्चों-बड़ों को लग रही इन बिमारियों की नजर
बच्चों के साथ ही बड़ों के ज्यादा समय तक मोबाइल चलाने से आंखों की कई बीमारियां जन्म ले सकती हैं. बिमारियों की इन लिस्ट में रिफरेक्टिव एरर और मायोपिया भी शामिल हैं. ऐसे में यदि आप खुद को और अपनों को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो इन प्वाइंट्स को ध्यान से देखिए-

Mobile phone effects on eyes
वर्ल्ड हेल्थ डे

यह जरूर करें-
मोबाइल, कंप्‍यूटर, लैपटॉप या टेबलेट को कम चलाएं और चलाना जरूरी हो तो 5 या 10 मिनट का गैप जरूर रखें.
बच्चों को मोबाइल की दुनिया में न फंसने दें और उन्हें वहां से दूर ही रखें.
स्‍क्रीन से दूर हटने पर आंखों पर पानी का छिंटा दें.
मोबाइल पर किसी भी कीमत पर 2 घंटे से कम का समय रखें.
गाजर और संतुलित भोजन करें.
बच्चों को वीडियो और मोबाइल गेम्स की बजाय ऑफलाइन या आउटडोर-इनडोर गेम्स खेलाएं.
योगा करें और अपने खास दोस्त बनें.

यह भी पढ़ें: Hello...इस नंबर से आ रहा है फोन कॉल तो हो जाएं अलर्ट! सरकार ने दी चेतावनी, ऐसे करें रिपोर्ट

हैदराबाद: ये कड़वी सच्चाई है कि आज के समय में मोबाइल फोन हर हाथ में जरूरी है. कॉलिंग, एंटरटेनमेंट से लेकर छोटा और बड़ा हर काम मोबाइल से जुड़ा हुआ है. वहीं, आज बड़े तो बड़े, छोटे बच्चे भी फोन की लत में बुरी तरह से फंस चुके हैं. वह इस तरह से फोन चलाते हैं कि इसे नशा कहा जाए तो गलत नहीं होगा. आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है और आपको अवेयर करने के लिए हम लेकर आए हैं आपके लिए बड़ी जानकारी. जी हां! स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना न केवल न्यूरोलॉजिकल डेवलपमेंट बल्कि सोशल लाइफ के लिए भी बेहद हानिकारक है. छोटे बच्चों के लिए तो ज्यादा मोबाइल चलाना खुद ही चश्मा लगवाने को निमंत्रण देने जैसा है. यहां समझिए आपके और आपके अपनों के लिए कितना खतरनाक है ज्यादा समय तक मोबाइल चलाना.

Mobile phone effects on eyes
वर्ल्ड हेल्थ डे

तो क्या कड़वा सच बन चुका है मोबाइल?
बता दें कि आधुनिक परिवेश में सांस लेने के लिए टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना वक्त की मांग कह सकते हैं. लेकिन इस बीच समझना होगा कि बच्चों के ऑनलाइन पढ़ाई या अपनी कुछ जरुरतों के बाद मोबाइल में देर तक आंखें गड़ाए रखना वास्तव में कितना खतरनाक है. मोबाइल पर ज्यादा समय स्पेंड करने से तंत्रिका-संज्ञानात्मक सीखने के विकारों को जन्म देती है, जो कि बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है. वहीं, बचपन और यंगस्टर्स में टीवी, वीडियो गेम, मोबाइल फोन और टैबलेट के सामने ज्यादा समय बिताने से जिंदगी गतिहीन बन जाती है. एक अध्ययन के अनुसार ऐसे में बच्चों में हार्ट फेल और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है.

Mobile phone effects on eyes
वर्ल्ड हेल्थ डे

बढ़ता जा रहा है आंखों का नंबर
आगे बता दें कि स्‍क्रीन पर 2 से 3 घंटे तक बच्चों के रहने पर भले ही पेरेंट्स टेंशन फ्री हों कि टाइम कम है मगर आपको जानकर हैरत होगी कि यह अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है. जी हां! बच्चों में चश्मा लगने की एक वजह भी बनता जा रहा है. इससे न केवल बच्चों बल्कि बड़ों की आंखों का नंबर भी बढ़ता जा रहा है.

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बच्चों-बड़ों को लग रही इन बिमारियों की नजर
बच्चों के साथ ही बड़ों के ज्यादा समय तक मोबाइल चलाने से आंखों की कई बीमारियां जन्म ले सकती हैं. बिमारियों की इन लिस्ट में रिफरेक्टिव एरर और मायोपिया भी शामिल हैं. ऐसे में यदि आप खुद को और अपनों को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो इन प्वाइंट्स को ध्यान से देखिए-

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वर्ल्ड हेल्थ डे

यह जरूर करें-
मोबाइल, कंप्‍यूटर, लैपटॉप या टेबलेट को कम चलाएं और चलाना जरूरी हो तो 5 या 10 मिनट का गैप जरूर रखें.
बच्चों को मोबाइल की दुनिया में न फंसने दें और उन्हें वहां से दूर ही रखें.
स्‍क्रीन से दूर हटने पर आंखों पर पानी का छिंटा दें.
मोबाइल पर किसी भी कीमत पर 2 घंटे से कम का समय रखें.
गाजर और संतुलित भोजन करें.
बच्चों को वीडियो और मोबाइल गेम्स की बजाय ऑफलाइन या आउटडोर-इनडोर गेम्स खेलाएं.
योगा करें और अपने खास दोस्त बनें.

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