नई दिल्ली : मिसइनफॉर्मेशन कॉम्बैट एलायंस (एमसीए) ने सोमवार को कहा कि उसने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करके बने मीडिया से निपटने के प्रयास के तहत भारत में व्हाट्सएप पर एक समर्पित फैक्ट-चेकिंग हेल्पलाइन शुरू करने के लिए मेटा (पूर्व में फेसबुक) के साथ करार किया है. यह हेल्पलाइन इस साल मार्च में आम लोगों के उपयोग के लिए उपलब्ध होगी.
यह पहल एमसीए और उसके संबद्ध नेटवर्क को वायरल गलत सूचनाओं - विशेष रूप से डीपफेक - को संबोधित करने की अनुमति देगी. व्हाट्सएप हेल्पलाइन पर प्राप्त होने वाले सभी इनबाउंड संदेशों को प्रबंधित करने के लिए एमसीए एक केंद्रीय 'डीपफेक एनालिसिस यूनिट' (डीएयू) स्थापित करेगा.
मिसइनफॉर्मेशन कॉम्बैट एलायंस के अध्यक्ष भरत गुप्ता ने एक बयान में कहा, 'डीपफेक एनालिसिस यूनिट देश में सोशल मीडिया और इंटरनेट यूजरों के बीच एआई-सक्षम गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण और समय पर हस्तक्षेप के रूप में काम करेगी.'
उन्होंने कहा, 'इस पहल में मेटा के सहयोग से आईएफसीएन के हस्ताक्षरकर्ता तथ्य-जांचकर्ता, पत्रकार, आम तकनीकी पेशेवर, अनुसंधान प्रयोगशालाएं और फोरेंसिक विशेषज्ञ एक साथ आएंगे.'
लोग डीपफेक को व्हाट्सएप चैटबॉट पर अग्रेषित करके रिपोर्ट कर सकेंगे, जो अंग्रेजी और तीन क्षेत्रीय भाषाओं - हिंदी, तमिल और तेलुगु में बहुभाषी समर्थन प्रदान करेगा.'
भारत में मेटा के सार्वजनिक नीति निदेशक शिवनाथ ठुकराल ने कहा, 'लोगों को वास्तविक रूप से धोखा देने वाले डीपफेक को उजागर करने के लिए समर्पित एक व्हाट्सएप हेल्पलाइन शुरू करने के लिए एमसीए के साथ हमारा सहयोग 2024 के चुनावों में एआई के भ्रामक उपयोग को रोकने के लिए तकनीकी समझौते के तहत हमारी प्रतिज्ञा के अनुरूप है.'
देश में मेटा के तथ्य-जांच कार्यक्रम में 11 स्वतंत्र तथ्य-जांच संगठनों के साथ साझेदारी शामिल है जो यूजरों को जानकारी की पहचान करने, समीक्षा करने, सत्यापित करने और इसके प्लेटफार्मों पर गलत सूचना के प्रसार को रोकने में मदद करती है. एमसीए एक क्रॉस-इंडस्ट्री गठबंधन है जो कंपनियों, संगठनों, संस्थानों, उद्योग संघों और संस्थाओं को गलत सूचना और उसके प्रभाव से सामूहिक रूप से लड़ने के लिए एक साथ लाता है.