हैदराबाद: कई वर्षों की कड़ी मेहनत और समर्पण के बाद, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का Proba-3 उपग्रह बुधवार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित होने के लिए तैयार है. इस उपग्रह को ISRO के PSLV-C59 यान द्वारा ले जाया जाएगा, जिसमें दो छोटे अंतरिक्ष यान होंगे. इनमें पहला कोरोनोग्राफ स्पेसक्राफ्ट (सीएससी) और दूसरा ऑकुल्टर स्पेसक्राफ्ट (ओएससी) है, जिन्हें एक स्टैक्ड कॉन्फ़िगरेशन में रखा जाएगा.
PSLV-C59 का सफल प्रक्षेपण इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा प्रक्षेपित किया जाने वाला 61वां ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान और 26वां PSLV-XL उपग्रह बना देगा. ESA ने Proba-3 अंतरिक्ष मिशन को प्रक्षेपित करने के लिए ISRO को चुना, जो जटिल कक्षीय डिलीवरी के लिए PSLV की विश्वसनीयता को दर्शाता है.
🚀 Liftoff Day is Here!
— ISRO (@isro) December 4, 2024
PSLV-C59, showcasing the proven expertise of ISRO, is ready to deliver ESA’s PROBA-3 satellites into orbit. This mission, powered by NSIL with ISRO’s engineering excellence, reflects the strength of international collaboration.
🌌 A proud milestone in… pic.twitter.com/KUTe5zeyIb
Proba-3 मिशन: कब और कहां देखें लाइव
Proba-3 मिशन बुधवार शाम 4:08 बजे (IST) सरिहरिकोटा के SDSC से उड़ान भरने वाला है. Proba-3 के प्रक्षेपण को देखने में रुचि रखने वाले लोग इसे ISRO के आधिकारिक YouTube चैनल पर लाइव देख सकते हैं. स्ट्रीम दोपहर 3:30 बजे (IST) से शुरू होगी.
Proba-3 मिशन का उद्देश्य
इस अंतरिक्ष मिशन का उद्देश्य कोरोनोग्राफ और ऑकुल्टर अंतरिक्षयान दोनों की सटीक उड़ान का प्रदर्शन करना है. लॉन्च किया गया उपग्रह लंबी अवधि के लिए अंतरिक्ष में खुद को स्थापित करने के लिए सटीक नियंत्रण तकनीकों और मापों का उपयोग करेगा.
कोरोनाग्राफ और ऑकुल्टर दोनों ही एक विशेष उपकरण, सोलर कोरोनोग्राफ बनाएंगे जो सूर्य के सबसे बाहरी हिस्से, जिसे कोरोना कहा जाता है, का निरीक्षण करेगा. इस हिस्से का बारीकी से निरीक्षण करना कठिन है, क्योंकि कोरोना का तापमान 2 मिलियन डिग्री फ़ारेनहाइट तक पहुंच जाता है. सूर्य का अध्ययन महत्वपूर्ण है, क्योंकि कोरोना से उत्पन्न होने वाले सौर तूफान और हवाएं पृथ्वी पर नेविगेशन, पावर ग्रिड और उपग्रह संचार को बाधित करती हैं.
कोरोनोग्राफ और ऑकुल्टर एक साथ मिलकर एक एकल उपग्रह के रूप में स्थापित होंगे और एक सूर्य ग्रहण बनाएंगे, जो एक बार में छह घंटे तक चलेगा, जबकि प्राकृतिक ग्रहण के दौरान दस मिनट लगते हैं. अपने सफल प्रक्षेपण के बाद, Proba-3 दुनिया का पहला 'सटीक संरचना उड़ान' उपग्रह बन जाएगा.