नालंदाः ज्ञान की धरती नालंदा शिक्षा के साथ खेल के भी क्षेत्रों में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पहचान के लिए जानी जाती है. एक नाम अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी जफर इकबाल का भी आता है जिनका जन्म इसी नालंदा की धरती पर हुआ था. हालांकि अब वे उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में रहते हैं लेकिन बिहार से खासा लगाव है. यही कारण है कि जफर इकबाल नाराज हैं. इसका कारण है राजगीर हॉकी चैंपियनशिप में निमंत्रण नहीं मिलना. इसकी जानकारी उन्होंने खुद दी.
"बचपन से ही हॉकी से लगाव था. कड़ी मेहनत से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय तक पहुंचे. कैंप में दो घंटे पहले ही पहुंच जाते थे. 1997 में भारतीय हॉकी टीम में चयन किया गया था. इसके बाद कई मैच खेले. अगर राजगीर में हो रहे हॉकी चैंपियनशिप में दावत मिलता तो जरूर जाते लेकिन अभी तक नहीं मिला है." -जफर इकबाल, पूर्व भारतीय हॉकी खिलाड़ी
बचपन में ही उत्तर प्रदेश में शिफ्ट हो गएः बिहार में अगर हॉकी की बात हो तो जफर इकबाल के नाम के बिना खेलों के इतिहास अधूरी रह जाएगी. 10 वर्षों तक हॉकी ग्राउंड के बेताज बादशाह रहे अस्थावां प्रखंड के हरगावां में जन्में जफर इकबाल की कहानियों को याद करते नहीं थकते हैं. जफर इकबाल का जन्म 12 जून 1956 को उनके ननिहाल अस्थावां में हुआ था. पैतृक गांव पटना के बाढ़ कस्बे का दरबे है. उन्होंने यहां 4 से 5 साल तक रहे थे. फिर पिता प्रोफेसर स्व. शहाबुद्दीन अहमद मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने चले गए और इनका परिवार अलीगढ़ शिफ्ट कर गया.
2 घंटे पहले पहुंच जाते थे ग्राउंडः जफर इकबाल ने ईटीवी से टेलीफोनिक वार्ता कर बताया कि बचपन से ही हॉकी के प्रति उनकी दीवानगी थी. इस कारण वे कड़ी मेहनत करने लगे. भरी गर्मी में जब शाम को 4 बजे कैंप के लिए उन्हें बुलाया जाता तो वे 2:30 बजे ही कैम्प पहुंच जाते थे. मैदान के चक्कर लगाना शुरु कर देते थे. जफर इकबाल को उनके रफ्तार के लिए भी जाना जाता था. विश्वविद्यालय की टीम से खेलने के दौरान भारतीय हॉकी टीम ने वर्ष 1977 में उनका चयन हो गया.
16 खिलाड़ी में जफर का भी हुआ था चयनः बताया जाता है कि उस समय हॉलैंड की टीम भारत के दौरे पर थी. भारतीय टीम के 16 खिलाड़ियों में जफर इकबाल को भी शामिल कर लिया गया था. फिर वर्ष 1978 में बैंकाक एशियाई खेलों में भारत ने रजत पदक जीता. उस टीम में भी जफर इकबाल थे. उसके बाद वर्ष 1980 के मॉस्को ओलंपिक में भारत में स्वर्ण पदक जीता था. उस टीम में भी जफर इकबाल थे.
पाकिस्तान के खिलाफ पहला गोल किया थाः वर्ष 1982 के दिल्ली एशियाई खेलों में भारत का पाकिस्तान से फाइनल में मुकाबला हुआ था. उस मैच का पहला गोल जफर इकबाल ने ही किया था. लेकिन, उसके बाद पाकिस्तान ने लगातार सात गोल किए और भारत एक के मुकाबले 7 गोलों से पराजित हो गया था. इतना ही नहीं वर्ष 1984 के लॉस एंजिल्स खेलों में जफर इकबाल भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे. उद्घाटन समारोह में भारतीय टीम का नेतृत्व सामने झंडा लेकर चलने वाले का सौभाग्य भी जफर इकबाल साहब को ही मिला है.
अर्जुन और पद्मश्री सम्मान से सम्मानितः कुल मिलाकर 10 वर्षों तक जफर इकबाल भारतीय हॉकी टीम के अभिन्न अंग बन कर रहे. कप्तानी भी किया. वे लेफ्ट आउट पोजिशन पर खेलते थे. 1983 में अर्जुन पुरस्कार और 2012 में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किए गए. 1994 में यश भारती पुरस्कार एवं 2012 में ही गोल्डन ग्रेटस से सम्मानित हुए. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने D. Litt और अलीगढ़ नगर निगम का एक मार्ग भी हॉकी खिलाड़ी जफर इकबाल के नाम से नामित है.
11 से 20 नवंबर तक मैचः बता दें कि 11 से 20 नवंबर तक नालंदा के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक स्थल राजगीर में महिला एशियाई हॉकी चैम्पियनशिप का आयोजन हो रहा है. जिसको लेकर जिला प्रशासन ने उसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली है. बिहार में इतने बड़े आयोजन के लिए ट्रॉफी गौरव यात्रा के जरिए खेल प्रेमियों को जागरूक किया जा रहा है.
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