लखनऊ : भारत को युवाओं का देश कहा जाता है. देश का भविष्य युवाओं के ही हाथों में है. लेकिन, अगर यही युवा रास्ते से भटकना शुरू कर दें और शॉर्टकट से पैसा कमाकर रातों-रात अमीर होने की इच्छा रखने लगे तो स्थिति भयावह हो सकती है. युवा 10वीं से ही अपने करियर को लेकर जागरूक हो जाता है. 12वीं के बाद भविष्य के हिसाब से सब्जेक्ट का चयन कर लेता है. वहीं, कुछ युवा पैसा कमाने के फेर में गलत रास्ता अख्तियार करने लगे हैं. उनके परिवार को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है. बलरामपुर अस्पताल में होने वाले साप्ताहिक काउंसलिंग डे में ऐसे कई युवा आ रहे हैं, जो ट्रेडिंग और सट्टे के जरिए अधिक पैसा कमाने के लिए उतरे तो सही, लेकिन अब वे इससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. इससे वे डिप्रेशन के शिकार हो गए.
ऑनलाइन ट्रेडिंग व सट्टेबाजी, पैसा कमाने के दो शॉर्टकट : बलरामपुर के मनोरोग विभाग में हफ्ते में एक बार काउंसलिंग डे का आयोजन किया जाता है. इसमें मनोचिकित्सक और काउंसलर मौजूद रहते हैं. मनोचिकित्सक डॉक्टर अभय सिंह ने बताया कि उनके पास सबसे अधिक युवा काउंसलिंग के लिए आते हैं, जिसमें मौजूदा समय ऐसे युवाओं की संख्या अधिक है, जो लग्जरी लाइफ जीने के लिए शॉर्टकट से पैसा कमाना चाहते हैं. इसके लिए इनकी पहली पसंद ऑनलाइन ट्रेडिंग हैं. डॉक्टर अभय सिंह के मुताबिक, युवाओं से बातचीत के दौरान पता चलता है, कि ये युवा सोशल मीडिया के अलग अलग प्लेटफार्म पर ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए चलाई जा रही इन्वेस्टमेंट की बारीकियों को सीखते हैं. इसके बाद वो पैसा लगाते हैं.
अगर एक या दो बार उनका तुक्का फिट बैठता है, तो अच्छी खासी कमाई हो जाती है. बस यही कमाई उन्हें ऑनलाइन ट्रेडिंग की लत डाल देती है. वहीं दूसरा शॉर्टकट युवाओं का सट्टा है. काउंसलिंग के दौरान पता चलता है, कि ऑनलाइन एप्लीकेशन के जरिए क्रिकेट मैच और देश दुनिया में चल रहे अलग अलग खेल प्रतियोगिताओं में पैसा लगाकर उसे कई गुना करने के चक्कर में सट्टा लगा रहे हैं.
ग्रेजुएशन को जुगाड़ वाला कॉलेज : मनो चिकित्सक डॉ. देवाशीष शुक्ला कहते हैं कि जब युवा शॉर्टकट तरीकों खासकर ऑनलाइन ट्रेडिंग या सट्टे के जरिए कमाई शुरू कर देता है तो उसका पढ़ाई के प्रति रुझान कम होने लगता है. उन्हें लगने लगता है, कि 12वीं करने के बाद वह शार्टकट तरीकों से अपने जीवन को सैटल कर लेंगे, लेकिन, जब शॉर्टकट की उनकी लत पड़ जाती है और फिर खुद की सेविंग और परिजनों के पैसे हराने लगते हैं तो डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं. कुछ हम जैसे विशेषज्ञों के पास काउंसलिंग के लिए आते है. डॉ देवाशीष कहते है, कि बीते दो वर्षों में ऐसे ही युवाओं की काउंसलिंग के लिए आने की संख्या बढ़ी है. हालांकि, कुछ हद तक मनोचिकित्सक और काउंसलर बच्चों को इस लत से मुक्ति और पढ़ाई की ओर ध्यान रखने में सफलता मिली है.
पिता बेटे को लेकर काउंसलिंग में लाया, डॉक्टर समझाने में हुए कामयाब : डॉक्टर अभय सिंह के मुताबिक, हाल ही में हुई काउंसलिंग के दौरान एक पिता अपने बेटे को लेकर उनके पास आए थे. वह लखनऊ के पॉश इलाके के रहने वाले थे. उन्होंने डॉक्टर को बताया था, कि उनके बेटे ने इंस्टाग्राम में ऑनलाइन ट्रेडिंग से जुड़ा एक वीडियो देखा और फिर वह ऑनलाइन ऐप से ट्रेडिंग करने लगा. उनका बच्चा महज 11 वीं पास था. लेकिन, आगे की पढ़ाई नहीं करना चाह रहा था. काउंसलिंग के दौरान उनके बेटे को समझाया गया. तीन बार की काउंसलिंग में उस आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए राजी कर लिया गया.
साइबर अपराधी भी शॉर्टकट से पैसा कमाने वाले युवाओं को टारगेट कर रहे : ऐसा नहीं है कि ऑनलाइन ट्रेडिंग और सट्टे की लत के चलते युवा सिर्फ अपना भविष्य और सेहत खराब कर रहे हैं. बल्कि इसका फायदा साइबर अपराधी भी खूब उठा रहे हैं. साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे कहते है, कि ऑनलाइन ट्रेडिंग कर कई गुना पैसे कमाने का लालच साइबर अपराधियों द्वारा दिया जा रहा है. कई एप्लीकेशन को इंस्टॉल कर उसमें पैसे इन्वेस्ट करा ठगी करते हैं. इतना ही नहीं, कई ऑनलाइन सट्टे की एप्लिकेशन भी मौजूद है जो सट्टा खिलाती है और ये ट्रैप होता है. शुरू में रिटर्न देते हैं, फिर बड़ा अमाउंट इन्वेस्ट करा कर गायब हो जाते हैं. अमित दुबे कहते है, कि इस तरह की ठगी करने वालों के निशाने पर युवा ही रहते है, जो शॉर्टकट तरीकों से पैसा कमाना चाहते है.