रामपुर : थाना मिलक क्षेत्र के सिलई बड़ा गांव में मंगलवार को बाबा भीमराव आंबेडकर के चित्र वाला बोर्ड हटाने को लेकर दो पक्षों में विवाद हो गया था. इसके बाद एक पक्ष ने पुलिस और प्रशासन का सहारा लिया और स्थल को ग्राम समाज का बताते हुए बोर्ड हटाने की मांग शुरू कर दी. इस पर दलित समाज ने जमकर विरोध किया. इसी विरोध प्रदर्शन के बीच फायरिंग में एक दलित युवक (सुमेश) की मौत हो गई और दो लोग घायल हो गए थे. परिजनों का आरोप था कि दलित युवक की मौत पुलिस की गोली से हुई है.
इस घटना को 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण घटनास्थल पर पहुंच गए. हालांकि उनके पहुंचने से पहले प्रशासन ने आनन फानन में मृतक सुमेश का दाह संस्कार करा दिया. इसके बाद ही चंद्रशेखर रावण को गांव में जाने की अनुमति मिली. भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण ने दलित युवक की हत्या पर जमकर योगी और मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार दलित विरोधी है. उन्होंने सुमेश के परिजनों के लिए 50 लाख रुपये मुआवजे तथा परिवार में एक सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की. हालांकि उन्होंने कहा कि हमें सरकार से उम्मीद नहीं है. मरने वाला दलित युवक था, जबकि इससे पहले हुई घटनाओं में सरकार ने 50 लाख रुपये मुआवजा दिया है.
सुमेश के अंतिम संस्कार पर सवाल खड़े करते हुए चंद्रशेखर कहा कि यह ऐसा ही है जैसे मथुरा में एक दलित बेटी की जबरन अंतिम संस्कार कर दिया गया था. ऐसे ही यहां पर पुलिस ने लाठियां बरसाकर जबरन दलित युवक का अंतिम संस्कार कर दिया. उन्होंने कहा कि युवक के सिर में गोली मारी गई, जबकि अगर कानून व्यवस्था की बात होती है तो पैरों में गोली चलाई जाती है, लेकिन दलित युवक को सिर में गोली मारी गई. भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस पर सीधे तौर पर निशाना साधते हुए भीम आर्मी चीफ ने कहा कि वह बाबा साहब के संविधान को खत्म करने की बात कहते हैं. सुमेश ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के पार्क से बोर्ड हटाए जाने पर अपने प्राणों की बलिदान देकर यह साबित कर दिया कि अगर बाबा साहब का संविधान हटाने की कोशिश की गई तो लाखों सोमेश अपने प्राणों के बलिदान दे देंगे, लेकिन संविधान पर आंच नहीं आने देंगे.
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