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फैजाबाद मालिकाना, पुरानी बाजार का ताजिया बना आकर्षण का केंद्र, मोहर्रम को लेकर युवाओं की जबरदस्त तैयारी - Muhrram 2024

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 15, 2024, 7:02 PM IST

Muhrram 2024: देशभर में आगामी 17 जुलाई को मोहर्रम पर्व मनाया जाना है, जिसको लेकर पटना के मसौढ़ी में ताजिया बनाने के लिए मुस्लिम मोहल्ले में युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा है. बता दें कि मसौढ़ी में कुल 6 जगह से ताजिया जुलूस निकाला जाता है. अभी सभी मुस्लिम मोहल्ले में ताजिया बनाने की होड़ मची हुई है, कलाकार तरह-तरह की कलाकारी कर ताजिया को आकर्षक बनाने की कोशिश कर रहे है.

Muhrram 2024
मसौढ़ी में मोहर्रम को लेकर ताजिया बना रहे युवाओं में दिख रहा उत्साह (ETV Bharat)

मसौढ़ी: राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में पिछले कई सालों से ताजिया जुलूस निकाला जा रहा है. इस दौरान युवा दिन रात एक कर अलग-अलग तरह का ताजिया बनाते है. इस साल भी कुछ ऐसा ही माहौल देखने को मिल रहा है. मसौढ़ी के फैजाबाद मालिकाना, पुरानी बाजार रहमतगंज और तारेगाना में मुसलमान नवयुवक ताजिया बनाने में दिन रात जुटे हुए हैं.

इमाम हुसैन के रोजा पर ताजिया: इस संबंध में जमा मस्जिद के मौलाना जहूर ने कहा कि कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार और अन्य साथियों की कुर्बानी को याद करने के लिए मुस्लिम शिया धर्मावलंबी मोहर्रम के चालीस दिनों बाद चेहल्लुम मनाकर 72 शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करते हैं. उन्होंने बताया कि इराक में इमाम हुसैन का मुबारक दरगाह है, जिसकी हूबहू शक्ल के रूप में ताजिया बनाया जा रहा है.

Muhrram 2024
मसौढ़ी में मोहर्रम को लेकर ताजिया बना रहे युवाओं में दिख रहा उत्साह (ETV Bharat)

चांद निकलते ही रखा जाता ताजिया: वहीं, मोहम्मद शाहनवाज ने बताया कि मोहर्रम का चांद निकलने की पहली तारीख को ही ताजिया रखने का सिलसिला शुरू हो जाता है. फिर उन्हें 10 मोहरम को कर्बला में दफन कर दिया जाता है. ताजियादारी की शुरुआत भारत से हुई है. तत्कालीन बादशाह तैमूर लंग ने मोहर्रम के महीने में इमाम हुसैन के रोजा ए मुबारक यानी दरगाह की तरह बनवाया गया और उसे ताजिया का नाम दिया था, यही से ताजिया की शुरुआत हुई थी.

8 जगहों पर निकलता ताजिया जुलूस: मसौढ़ी में कुल आठ जगहों से ताजिया जुलूस निकाली जाती है, जिसमें तारेगना रहमतगंज, कश्मीरगंज, पुरानी बाजार, मालिकाना, फैजाबाद मोहल्ले शामिल है. जो इमाम हुसैन की शहादत के गम में मातम मजलिस होती है. अकिदत के साथ मसौढ़ी मे मातम जुलूस निकाल कर शहर में भ्रमण कराया जाता और देर शाम तक पुरानी बाजार दरगाह पर पहलाम किया जाता है.

"मसौढ़ी में ताजिया बनाने का साइको चालू का इतिहास रहा है मसौढी में कुल 8 जगह से ताजिया जुलूस निकाला जाता है .अभी सभी मुस्लिम मोहल्ले में ताजिया बनाने की होड़ मची हुई है तरह-तरह के कलाकारी से आकर्षक रूप बनाया जा रहा है." - मोहम्मद मिराज, स्थानीय युवक

युवाओं में जबरदस्त उत्साह: गौरतलब हो कि ताजिया बनाने को लेकर युवाओं में उत्साह देखते ही बन रहा है. हर कोई अपने हुनर और कलाकारी से तरह-तरह के रंगों का ताजिया बना रहे हैं, युवा में कोी कोई ताजमहल का रूप दे रहा है तो कोई जमा मस्जिद का रूप दे रहा है. तो कोई सऊदी अरब और मक्का मदीना का स्वरूप दे रहा है.

इसे भी पढ़े- Muhrram 2023 : 'या हुसैन' के नारों से इमाम हुसैन को किया याद, मसौढ़ी में निकला ताजिया जुलूस

मसौढ़ी: राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में पिछले कई सालों से ताजिया जुलूस निकाला जा रहा है. इस दौरान युवा दिन रात एक कर अलग-अलग तरह का ताजिया बनाते है. इस साल भी कुछ ऐसा ही माहौल देखने को मिल रहा है. मसौढ़ी के फैजाबाद मालिकाना, पुरानी बाजार रहमतगंज और तारेगाना में मुसलमान नवयुवक ताजिया बनाने में दिन रात जुटे हुए हैं.

इमाम हुसैन के रोजा पर ताजिया: इस संबंध में जमा मस्जिद के मौलाना जहूर ने कहा कि कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार और अन्य साथियों की कुर्बानी को याद करने के लिए मुस्लिम शिया धर्मावलंबी मोहर्रम के चालीस दिनों बाद चेहल्लुम मनाकर 72 शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करते हैं. उन्होंने बताया कि इराक में इमाम हुसैन का मुबारक दरगाह है, जिसकी हूबहू शक्ल के रूप में ताजिया बनाया जा रहा है.

Muhrram 2024
मसौढ़ी में मोहर्रम को लेकर ताजिया बना रहे युवाओं में दिख रहा उत्साह (ETV Bharat)

चांद निकलते ही रखा जाता ताजिया: वहीं, मोहम्मद शाहनवाज ने बताया कि मोहर्रम का चांद निकलने की पहली तारीख को ही ताजिया रखने का सिलसिला शुरू हो जाता है. फिर उन्हें 10 मोहरम को कर्बला में दफन कर दिया जाता है. ताजियादारी की शुरुआत भारत से हुई है. तत्कालीन बादशाह तैमूर लंग ने मोहर्रम के महीने में इमाम हुसैन के रोजा ए मुबारक यानी दरगाह की तरह बनवाया गया और उसे ताजिया का नाम दिया था, यही से ताजिया की शुरुआत हुई थी.

8 जगहों पर निकलता ताजिया जुलूस: मसौढ़ी में कुल आठ जगहों से ताजिया जुलूस निकाली जाती है, जिसमें तारेगना रहमतगंज, कश्मीरगंज, पुरानी बाजार, मालिकाना, फैजाबाद मोहल्ले शामिल है. जो इमाम हुसैन की शहादत के गम में मातम मजलिस होती है. अकिदत के साथ मसौढ़ी मे मातम जुलूस निकाल कर शहर में भ्रमण कराया जाता और देर शाम तक पुरानी बाजार दरगाह पर पहलाम किया जाता है.

"मसौढ़ी में ताजिया बनाने का साइको चालू का इतिहास रहा है मसौढी में कुल 8 जगह से ताजिया जुलूस निकाला जाता है .अभी सभी मुस्लिम मोहल्ले में ताजिया बनाने की होड़ मची हुई है तरह-तरह के कलाकारी से आकर्षक रूप बनाया जा रहा है." - मोहम्मद मिराज, स्थानीय युवक

युवाओं में जबरदस्त उत्साह: गौरतलब हो कि ताजिया बनाने को लेकर युवाओं में उत्साह देखते ही बन रहा है. हर कोई अपने हुनर और कलाकारी से तरह-तरह के रंगों का ताजिया बना रहे हैं, युवा में कोी कोई ताजमहल का रूप दे रहा है तो कोई जमा मस्जिद का रूप दे रहा है. तो कोई सऊदी अरब और मक्का मदीना का स्वरूप दे रहा है.

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