जयपुर. राजस्थान के लिए बीते चुनाव में वोटिंग के अहम मुद्दों में पेपर लीक के मामले चर्चा में रहे. लिहाजा प्रदेश की जनता ने और खास तौर पर युवाओं ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ मतदान किया और उन्हें सरकार बनाने से रोक दिया. इन सब तस्वीरों के बीच अहम बात राजस्थान में पेपर लीक पर गठित एसआईटी और कानून की रही, जिस पर गाहे-बगाहे सियासत होती रही है, इस बीच सोमवार को संसद में पेपर लीक के खिलाफ आए कानून ने युवाओं में फिर से भर्तियों को लेकर उम्मीदें जगा दी है.
पेपर लीक के खिलाफ पेश किया विधेयक: सरकारी भर्ती परीक्षा में पेपर लीक, नकल या फिर फर्जी वेबसाइट्स जैसी गड़बड़ियों पर लगाम कसने के मकसद से सोमवार को संसद में एक बिल पेश किया गया. सार्वजनिक परीक्षा विधेयक, 2024 में नाम से रखे गए बिल में किसी व्यक्ति, समूह या संस्थान की ओर से पर्चा लीक किए जाने के दोषी पाए जाने पर इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है. दोषी शख्स को इस बिल में बताई गई सजा के मुताबिक 3 से 5 साल कैद और 10 लाख जुर्माने का प्रावधान है.
वहीं संगठित अपराध से जुड़े मामले में 5 से 10 साल की कैद और कम से कम एक करोड़ रुपए जुर्माने का प्रस्ताव भी किया गया है. यहां तक की दोषी पाए जाने पर सर्विस प्रोवाइडर पर 1 करोड़ तक जुर्माने के अलावा परीक्षा की लागत वसूलने का प्रावधान है. साथ ही सर्विस प्रोवाइडर पर सार्वजनिक परीक्षा को लेकर चार साल तक प्रतिबंध भी लगेगा. इससे पहले प्रदेश में राजस्थान परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय) (संशोधन) कानून लागू किया जा चुका है.
इस कानून के मुताबिक पेपर लीक पर उम्र कैद के अलावा धोखाधड़ी पर 10 साल तक कैद और 10 करोड़ जुर्माना तय किया गया था. लेकिन अहम सवाल सूबे की उन संस्थाओं का है, जिनके जिम्मे परीक्षा का आयोजन करना होता है. इन संस्थानों ने राज्य की साख पर समूचे देश में असर डाला है. लिहाजा पेपर लीक का इतिहास राजस्थान के माथे पर कलंक के रूप में अंकित है, जिस पर पूर्ण लगाम को लेकर राज्य के युवा आज भी उम्मीदें जोड़कर देखते हैं.
तीन परीक्षाएं भजनलाल सरकार की कामयाबी-बैरवा: सूबे के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने सोमवार को पेपर लीक बिल के संसद में पेश किए जाने के बाद भीलवाड़ा में एक बयान दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि हमारी सरकार के दौर में तीन परीक्षाएं आयोजित की जा चुकी है, पर एक भी पेपर लीक नहीं हुआ है. उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की ओर से बिल पर की गई बयानबाजी को लेकर तंज कसा और कहा कि बीजेपी और कांग्रेस में फर्क इसी के साथ नजर आता है. गौरतलब है कि पीसीसी चीफ डोटासरा ने राज्य के बिल में पेपर लीक के खिलाफ केन्द्र के बिल में सजा को काफी कम बताकर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने गुजरात में 20 पेपर लीक की बात कही थी.
पूर्ववर्ती सरकार के संरक्षण में हुए पेपर लीक-सीपी जोशी: भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने पेपर लीक के खिलाफ केन्द्र के कानून को लेकर राज्य की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार को जिम्मेदार बताया है. दिल्ली में मीडिया से बातचीत में जोशी ने कहा कि पहले की सरकार के संरक्षण में युवाओं के हितों के साथ कुठाराघात किया गया था. उन्होंने राज्य में गठित एसआईटी के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का आभार जताया, तो केंद्र की पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया.
रीट पेपर लीक से गिरी RPSC की साख: राजस्थान में पेपर लीक का सबसे ज्यादा चर्चित मामला साल 2021 में रीट भर्ती परीक्षा से जुड़ा रहा. इस मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार भी किया गया था. इस पूरे मामले में अब तक 105 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. गिरफ्तार किए गए लोगों में पेपर लीक माफिया और अभ्यर्थी दोनों ही शामिल हैं. जबकि इस मामले में गठित एसआईटी आज भी पेपर लीक केस में फरार चल रहे कई आरोपियों की तलाश कर रही है.
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इसके पहले साल 2018 की आरएएस भर्ती परीक्षा ने RPSC की साख पर सवाल खड़े कर दिए थे. तब 11 अप्रैल, 2018 को 1017 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरु की गई थी, जो 3 साल तक पूरी नहीं हो पाई. 5 अगस्त, 2018 को परीक्षा में 15615 अभ्यर्थियों को सफल माना गया, लेकिन कट ऑफ के कारण परीक्षा स्थगित हो गई. फिर मुख्य परीक्षा जून 2019 में हुई और जुलाई 2020 में रिजल्ट आरी हुआ, लेकिन ओबीसी और जनरल की कट ऑफ विवाद में हाईकोर्ट ने नतीजे पर रोक लगा दी.
इसके बाद सरकार ने संशोधन की वजह से 34 पदों की बढ़ोतरी के साथ 1051 पद किए गए, इसके बाद आखिर में इसी साल 13 जुलाई को नतीजा आया. 2018 की इस भर्ती में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा पर समधि के बेटे और बेटी को परीक्षा में अच्छे नंबर दिलाने का आरोप लगा. हाल ही में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी विधानसभा में इसी मामले को लेकर डोटासरा पर तंज कसा था.
10 सालों में भर्ती परीक्षाओं का कलंकित इतिहास:
- आरएएस 2013 को लेकर 978 पदों के लिए प्री-परीक्षा 26 अक्टूबर, 2013 में कराई गई थी, जिसका परिणाम 11 जून, 2014 को जारी हुआ था. गड़बड़ी का अंदेशा होने के बाद 11 जुलाई, 2014 को परीक्षा रद्द कर दी गई.
- एलडीसी भर्ती परीक्षा 2013 में करीब 7 हजार पदों के लिए आरपीएससी ने 11 जनवरी, 2014 को परीक्षा आयोजित करवाई थी. दिसम्बर 2015 में परीक्षा को रद्द कर दिया गया. यह भर्ती बाद में 3 साल बाद पूरी हुई.
- जेल प्रहरी भर्ती परीक्षा 2015 के तहत 925 पदों के लिए आयोजित परीक्षा में 6 लाख अभ्यर्थियों ने इम्तिहान दिया. परीक्षा से पहले ही सॉल्व पेपर वाट्सऐप पर वायरल हो गया, जिसके कारण परीक्षा होने के बाद शाम को पेपर को रद्द कर दिया गया.
- कांस्टेबल भर्ती 2018 में पुलिस मुख्यालय की ओर से परीक्षा का आयोजन किया गया था. 11 मार्च, 2018 को पुलिस को पेपर लीक की जानकारी मिली. इसके बाद 17 मार्च, 2018 को इस परीक्षा को रद्द किया गया.
- लाइब्रेरियन भर्ती 2018 में कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से 29 दिसंबर, 2019 को परीक्षा आयोजित की गई थी. जिसे पेपर लीक के कारण रद्द कर दिया गया.
- जेईएन सिविल भर्ती 2018 का आयोजन भी कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से किया गया. 6 दिसंबर, 2020 को इस परीक्षा को एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड ने पेपर लीक मानते हुए रद्द कर दिया.
- रीट लेवल-2 परीक्षा का आयोजन राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से 26 सितंबर, 2021 को हुआ. इसके बाद परीक्षा का पर्चा लीक होने की बात सामने आई. परीक्षा के करीब 4 माह बाद पेपर लीक मानते हुए सरकार ने इसे रद्द कर दिया.
- बिजली विभाग की टेक्निकल हेल्पर भर्ती 2022 का एग्जाम ऑनलाइन हुआ था. इस परीक्षा में पेपर लीक को लेकर बवाल मचा और तकनीकी खामी भी सामने आई, इसके बाद 6 केंद्रों की परीक्षा रद्द की गई.
- कांस्टेबल भर्ती 2022 का आयोजन पुलिस मुख्यालय की ओर से किया गया था. इस परीक्षा में भी 14 मई, 2022 को दूसरी पारी का पेपर वायरल हो गया था. इस पारी के पेपर को रद्द कर फिर से परीक्षा कराई गई थी.
- वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2020 में कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से 12 नवंबर, 2022 को आयोजित दूसरी पारी के पेपर के विकल्प सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. इस पारी की परीक्षा को बोर्ड ने रद्द कर दिया.
- इन भर्ती परीक्षाओं के अलावा भी कनिष्ठ अभियंता भर्ती परीक्षा 2020, चिकित्सा अधिकारी भर्ती परीक्षा 2021, वरिष्ठ अध्यापक प्रतियोगी परीक्षा 2022, हाईकोर्ट LDC भर्ती परीक्षा 2022, एसआई भर्ती परीक्षा 2022 और सीएचओ भर्ती परीक्षा 2022 विवादों में रही थी.