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नक्सली जिस जगह पर लगाते थे जनअदालत! उस जगह पर महिलाएं और बच्चे दिखा रहे अपनी बहादुरी - Changes in Naxal affected areas

Changes in Naxal-affected areas. झारखंड में नक्सली जिस जगह पर अपनी जनअदालत लगाते थे. जहां के लोग नक्सलियों के नाम से कांपते थे. अब उस इलाके में महिलाएं और बच्चे अपनी बहादुरी दिखा रहे हैं. यहां लोगों से धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाया.

Changes in Naxal-affected areas
महिलाओं के साथ एसपी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 16, 2024, 8:58 PM IST

पलामू: प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी जिस जगह पर जनअदालत लगा कर अपनी फरमान जारी करते थे. उस जगह की महिलाएं और बच्चे अपनी बहादुरी दिखा रही है. महिलाएं और बच्चा यह संदेश दे रहे हैं कि माहौल बदल गया है.

जिस गांव से नक्सली कमांडर निकला करते थे उस गांव के युवा और महिलाएं मुख्यधारा में शामिल होकर हालात बदल रहे हैं और राष्ट्रीय समारोहों में भाग ले रहे हैं. यह बदला माहौल है पलामू के मनातू के इलाके का है. नक्सली इलाके में माओवादी स्वतंत्रता दिवस समारोह के सबसे बड़े बाधक थे. उनके खौफ के कारण लोग राष्ट्रीय पर्व का हिस्सा नहीं बनते थे. मनातू के कार्तिक उरांव हाई स्कूल के मैदान पर नक्सली अपनी जान अदालत लगते थे और स्वतंत्रता दिवस का विरोध करते रहे थे.

Changes in Naxal-affected areas
बच्ची के साथ पलामू एसपी (ईटीवी भारत)

नक्सली इसी मैदान पर काला झंडा लगाते थे. पलामू के मनातू के इलाके में स्वतंत्रता दिवस को लेकर 2024 में कई बदलाव देखने को मिले हैं. स्वतंत्रता दिवस को लेकर कार्तिक उरांव हाई स्कूल के मैदान में लगातार कई कार्यक्रम आयोजित हुए. इन कार्यक्रम में उन गांव की महिलाओं और बच्चों ने भाग लिया. 15 लाख के इनामी नक्सली आक्रमण गंझू मनातू थाना क्षेत्र के डुमरी, जबकि जबकि 10 लाख के इनामी नक्सली शशिकांत गंझू केदल का रहने वाला है.

दोनों गांव के दर्जनों महिलाओं और बच्चों ने स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया. नक्सल इलाके के महिला और बच्चे का हौसला बढ़ाने के लिए खुद पलामू एसपी रीष्मा रमेशन मौजूद थीं. इस दौरान एसपी ने खुद बच्चों और महिलाओं से बातचीत किया और उनके हौसले को बढ़ाया. इस दौरान इन्होंने उनकी समस्याएं भी सुनीं.

इलाके का माहौल बदल रहा है पुलिस सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करवा रही है. लोग यह धीरे-धीरे समझने गए हैं कि मुख्यधारा से जुड़कर विदेश और समाज को मजबूत करेंगे. पुलिस इलाके के युवाओं एवं महिलाओं को हर संभव मदद कर रही है. उनके समस्याओं का समाधान किया जा रहा है और मुख्य धारा में बने रहने के लिए लगातार अपील की जा रही है. - रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू

पहले गांव में नक्सली आते थे और धमका कर चले जाते थे. फिर कोई भी झंडा फहराने नाहीं जाता था. अब उनके मन मे उत्साह है और खुश है - सुनीता गंझू, स्थानीय महिला, डुमरी

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जिस गांव से नक्सली कमांडर निकला करते थे उस गांव के युवा और महिलाएं मुख्यधारा में शामिल होकर हालात बदल रहे हैं और राष्ट्रीय समारोहों में भाग ले रहे हैं. यह बदला माहौल है पलामू के मनातू के इलाके का है. नक्सली इलाके में माओवादी स्वतंत्रता दिवस समारोह के सबसे बड़े बाधक थे. उनके खौफ के कारण लोग राष्ट्रीय पर्व का हिस्सा नहीं बनते थे. मनातू के कार्तिक उरांव हाई स्कूल के मैदान पर नक्सली अपनी जान अदालत लगते थे और स्वतंत्रता दिवस का विरोध करते रहे थे.

Changes in Naxal-affected areas
बच्ची के साथ पलामू एसपी (ईटीवी भारत)

नक्सली इसी मैदान पर काला झंडा लगाते थे. पलामू के मनातू के इलाके में स्वतंत्रता दिवस को लेकर 2024 में कई बदलाव देखने को मिले हैं. स्वतंत्रता दिवस को लेकर कार्तिक उरांव हाई स्कूल के मैदान में लगातार कई कार्यक्रम आयोजित हुए. इन कार्यक्रम में उन गांव की महिलाओं और बच्चों ने भाग लिया. 15 लाख के इनामी नक्सली आक्रमण गंझू मनातू थाना क्षेत्र के डुमरी, जबकि जबकि 10 लाख के इनामी नक्सली शशिकांत गंझू केदल का रहने वाला है.

दोनों गांव के दर्जनों महिलाओं और बच्चों ने स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया. नक्सल इलाके के महिला और बच्चे का हौसला बढ़ाने के लिए खुद पलामू एसपी रीष्मा रमेशन मौजूद थीं. इस दौरान एसपी ने खुद बच्चों और महिलाओं से बातचीत किया और उनके हौसले को बढ़ाया. इस दौरान इन्होंने उनकी समस्याएं भी सुनीं.

इलाके का माहौल बदल रहा है पुलिस सुरक्षित वातावरण उपलब्ध करवा रही है. लोग यह धीरे-धीरे समझने गए हैं कि मुख्यधारा से जुड़कर विदेश और समाज को मजबूत करेंगे. पुलिस इलाके के युवाओं एवं महिलाओं को हर संभव मदद कर रही है. उनके समस्याओं का समाधान किया जा रहा है और मुख्य धारा में बने रहने के लिए लगातार अपील की जा रही है. - रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू

पहले गांव में नक्सली आते थे और धमका कर चले जाते थे. फिर कोई भी झंडा फहराने नाहीं जाता था. अब उनके मन मे उत्साह है और खुश है - सुनीता गंझू, स्थानीय महिला, डुमरी

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