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छोटे भाई ने कुदाल से हमला कर बड़े भाई को उतारा था मौत के घाट, कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

बाराबंकी में चार साल (Murder of elder brother) पहले छोटे भाई ने कुदाल मारकर बड़े भाई की की हत्या की थी. कोर्ट ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा के साथ 20 हजार जुर्माने की भी सजा सुनाई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 31, 2024, 10:06 PM IST

बाराबंकी: जिले की एक अदालत ने साढ़े चार वर्ष पूर्व छोटे भाई द्वारा बड़े भाई की कुदाल मारकर हत्या करने के मामले में फैसला सुनाया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-2 अनिल कुमार शुक्ल ने बुधवार को छोटे भाई को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

अभियोजक अधिकारी अमित अवस्थी और रमाकांत द्विवेदी ने बताया कि बनगांवा थाना के टिकैतनगर निवासी मथुरा प्रसाद ने 10 अगस्त 2019 को थाने में तहरीर दी थी. जिसमें बताया गया था कि 10 अगस्त 2019 की रात करीब 11 बजे उसके बेटों राम बिहारी और श्याम बिहारी के बीच अचानक गाली गलौज और मारपीट होने लगी. जिसकी सूचना उसने पुलिस को दी. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस देखकर उसके दोनों बेटे घर से भाग गए. पुलिस ने दोनों की तलाश की नहीं मिले.

पुलिस के जाने के बाद दोनों भाई वापस आए और आधी रात को गांव के बाहर सड़क पर फिर से आपस में लड़ाई करने लगे. शोरगुल सुनकर बीच बचाव करने जब पिता पहुंचा तो उसके सामने ही श्याम बिहारी ने कुदाल मारकर बड़े भाई रामबिहारी की हत्या कर दी. पिता की तहरीर पर छोटे बेटे श्याम बिहारी के विरुद्ध पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 में मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की. अभियोजन पक्ष ने बताया कि दोनों सगे भाइयों की पत्नियां भी सगी बहने थीं.

इसे भी पढ़े-बच्ची के साथ दुष्कर्म मामले में दोषी को 20 वर्ष का कारावास, कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया

हत्या के पीछे कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आ सका है. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग कर साक्ष्य संकलित कर न्यायालय पर चार्जशीट दाखिल की गई. अभियोजन पक्ष ने मामले में मुख्य गवाह के रूप में वादी मथुरा प्रसाद को पेश किया. साथ ही पंचायतनामे के गवाह और डॉक्टर समेत कई को ठोस गवाह के रूप में पेश कर उनकी गवाही कराई.

हालांकि प्रति परीक्षा में वादी पिता द्वारा घटना का समर्थन नहीं किया गया, लेकिन उसने यह बयान दिया कि जिस कुदाल द्वारा आरोपी ने अपने भाई की हत्या की थी उसको छुपाकर अपने घर की लैट्रिन के पीछे रखा है. यह बात उसके अलावा कोई नहीं जानता था. उसकी निशानदेही पर कुदाल की बरामदगी हुई थी. अभियोजन और बचाव पक्षो द्वारा पेश किए गए गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं द्वारा की गई बहस सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-2 अनिल कुमार शुक्ल ने श्याम बिहारी को दोषसिद्ध ठहराया. कोर्ट ने दोषी को बुधवार आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुना दी.

यह भी पढ़े-सरकारी अधिवक्ताओं की तैयारी और बहस से हाईकोर्ट संतुष्ट, पहले पारित किया था सख्त आदेश

बाराबंकी: जिले की एक अदालत ने साढ़े चार वर्ष पूर्व छोटे भाई द्वारा बड़े भाई की कुदाल मारकर हत्या करने के मामले में फैसला सुनाया है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर-2 अनिल कुमार शुक्ल ने बुधवार को छोटे भाई को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

अभियोजक अधिकारी अमित अवस्थी और रमाकांत द्विवेदी ने बताया कि बनगांवा थाना के टिकैतनगर निवासी मथुरा प्रसाद ने 10 अगस्त 2019 को थाने में तहरीर दी थी. जिसमें बताया गया था कि 10 अगस्त 2019 की रात करीब 11 बजे उसके बेटों राम बिहारी और श्याम बिहारी के बीच अचानक गाली गलौज और मारपीट होने लगी. जिसकी सूचना उसने पुलिस को दी. सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस देखकर उसके दोनों बेटे घर से भाग गए. पुलिस ने दोनों की तलाश की नहीं मिले.

पुलिस के जाने के बाद दोनों भाई वापस आए और आधी रात को गांव के बाहर सड़क पर फिर से आपस में लड़ाई करने लगे. शोरगुल सुनकर बीच बचाव करने जब पिता पहुंचा तो उसके सामने ही श्याम बिहारी ने कुदाल मारकर बड़े भाई रामबिहारी की हत्या कर दी. पिता की तहरीर पर छोटे बेटे श्याम बिहारी के विरुद्ध पुलिस ने आईपीसी की धारा 302 में मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू की. अभियोजन पक्ष ने बताया कि दोनों सगे भाइयों की पत्नियां भी सगी बहने थीं.

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हत्या के पीछे कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आ सका है. तत्कालीन विवेचक द्वारा वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग कर साक्ष्य संकलित कर न्यायालय पर चार्जशीट दाखिल की गई. अभियोजन पक्ष ने मामले में मुख्य गवाह के रूप में वादी मथुरा प्रसाद को पेश किया. साथ ही पंचायतनामे के गवाह और डॉक्टर समेत कई को ठोस गवाह के रूप में पेश कर उनकी गवाही कराई.

हालांकि प्रति परीक्षा में वादी पिता द्वारा घटना का समर्थन नहीं किया गया, लेकिन उसने यह बयान दिया कि जिस कुदाल द्वारा आरोपी ने अपने भाई की हत्या की थी उसको छुपाकर अपने घर की लैट्रिन के पीछे रखा है. यह बात उसके अलावा कोई नहीं जानता था. उसकी निशानदेही पर कुदाल की बरामदगी हुई थी. अभियोजन और बचाव पक्षो द्वारा पेश किए गए गवाहों की गवाही और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं द्वारा की गई बहस सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या-2 अनिल कुमार शुक्ल ने श्याम बिहारी को दोषसिद्ध ठहराया. कोर्ट ने दोषी को बुधवार आजीवन कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुना दी.

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