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पुलिस कस्टडी में मौत मामले में तीन सिपाही दोषी करार, कोर्ट ने सुनाई दस साल की सजा - death in police custody case

21 साल पहले युवक ने बंदीगृह में फांसी में लगाई थी. इस मामले में कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने तीन सिपाहियों को दोषी मानते हुए दस साल की सजा के साथ अर्थदंड भी लगाया है.

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high court news (photo credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 25, 2024, 9:23 AM IST

सीतापुर: पुलिस कस्टडी में 21 साल पहले एक व्यक्ति की मौत के मामले में स्पेशल कोर्ट ने तीन सिपाही आरक्षी केशरी नंदन, सुरेश सिंह और सियाराम यादव को दोषी मानते हुए उन्हें दस दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही तीनो पर बीस बीस हजार का अर्थदंड भी लगाया है.

इसे भी पढ़े-फर्रुखाबाद कोर्ट ने अभियुक्त को 7 माह की सुनाई सजा, 20 साल पहले दर्ज किया गया था मुकदमा

यह पूरा मामला वर्ष 2003 का है. थाना रामकोट की कंटीली चौकी पर तैनात पुलिस कर्मी डालचंद नामक व्यक्ति को पकड़कर पुलिस चौकी ले गए. बाद में डालचंद ने बन्दीगृह में फांसी लगा ली थी. पुलिस कस्टडी में मौत की घटना से हड़कंप मच गया था. जिसके बाद मुकदमा दर्ज कराया गया था. इस केस में 3 अप्रैल 2006 को कोर्ट में आरोप विरचित किया गया था.न्यायालय विशेष न्यायाधीश एससी एसटी कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए तीन सिपाहियों को दोषी पाया. जिसके चलते उन्हें एक-एक हजार रुपये अर्थदंड के साथ ही दस दस वर्ष की सजा और 20-20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गयी है.

विशेष न्यायाधीश मोहम्मद शफीक द्वारा सुनाई गई इस सजा में अभियोजन पक्ष की ओर से अरुण कुमार अग्निहोत्री एवं अतुलंजय कुमार तिवारी ने और बचाव पक्ष की ओर से अभय प्रताप सिंह ने पैरवी की. सूत्रों के अनुसार इनमें से एक आरक्षी बहराइच जिले में तैनात है. जबकि दो आरक्षी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इन तीनों दोषसिद्ध सिपाहियों को वारंट बनाकर जेल भेज दिया गया है. तेईस साल पुराने इस मुकदमे में कोर्ट का फैसला आने के बाद पीड़ित पक्ष ने न्यायपालिका पर भरोसा जताया है.


यह भी पढ़े-प्रिंसिपल को मानसिक-आर्थिक प्रताड़ित करने में फंसे दारोगा, कोर्ट ने नोटिस भेजकर किया तलब

सीतापुर: पुलिस कस्टडी में 21 साल पहले एक व्यक्ति की मौत के मामले में स्पेशल कोर्ट ने तीन सिपाही आरक्षी केशरी नंदन, सुरेश सिंह और सियाराम यादव को दोषी मानते हुए उन्हें दस दस वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही तीनो पर बीस बीस हजार का अर्थदंड भी लगाया है.

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यह पूरा मामला वर्ष 2003 का है. थाना रामकोट की कंटीली चौकी पर तैनात पुलिस कर्मी डालचंद नामक व्यक्ति को पकड़कर पुलिस चौकी ले गए. बाद में डालचंद ने बन्दीगृह में फांसी लगा ली थी. पुलिस कस्टडी में मौत की घटना से हड़कंप मच गया था. जिसके बाद मुकदमा दर्ज कराया गया था. इस केस में 3 अप्रैल 2006 को कोर्ट में आरोप विरचित किया गया था.न्यायालय विशेष न्यायाधीश एससी एसटी कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए तीन सिपाहियों को दोषी पाया. जिसके चलते उन्हें एक-एक हजार रुपये अर्थदंड के साथ ही दस दस वर्ष की सजा और 20-20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गयी है.

विशेष न्यायाधीश मोहम्मद शफीक द्वारा सुनाई गई इस सजा में अभियोजन पक्ष की ओर से अरुण कुमार अग्निहोत्री एवं अतुलंजय कुमार तिवारी ने और बचाव पक्ष की ओर से अभय प्रताप सिंह ने पैरवी की. सूत्रों के अनुसार इनमें से एक आरक्षी बहराइच जिले में तैनात है. जबकि दो आरक्षी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इन तीनों दोषसिद्ध सिपाहियों को वारंट बनाकर जेल भेज दिया गया है. तेईस साल पुराने इस मुकदमे में कोर्ट का फैसला आने के बाद पीड़ित पक्ष ने न्यायपालिका पर भरोसा जताया है.


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