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बसंत पंचमी आज, पूरे दिन कर सकते हैं मां सरस्वती की आराधना, जानिए पूजन का विधान - बसंत पंचमी सरस्वती पूजन

माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी के रूप में मनाने की परंपरा है. इस बार बसंत पंचमी 14 फरवरी को पड़ रही है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 13, 2024, 8:08 PM IST

Updated : Feb 14, 2024, 6:18 AM IST

माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी के रूप में मनाने की परंपरा है.

वाराणसी : सनातन धर्म में माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी के रूप में मनाने की परंपरा है. इस बार बसंत पंचमी 14 फरवरी को पड़ रही है. बसंत पंचमी तिथि (माघ शुक्ल पंचमी) 13 फरवरी को रात्रि 07 बजकर 48 मिनट से लग रही है, जो 14 फरवरी को सायं 05 बजकर 40 मिनट तक रहेगी. इस बार बसंत पंचमी पर शुभ योग रहेगा. यह अपने आप में बहुत पुण्यदायी होगा.

इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि बसंत पंचमी बसंत के आगमन का उत्सव पर्व है. इस दिन किसान अपने खेतों में से जौ की बाली ले आते हैं और उनको भस्म कर उसमें घी व मीठा मिलाकर पवित्र हो अग्नि को प्रज्ज्वलित कर हवन करते हैं. शेष अन्न अपने इष्ट देव कुलदेव को अर्पित करते हैं. इस दिन सरस्वती पूजन वाग्शेवरी जयंती का भी विधान होता है. इस दिन विशेषकर शिक्षार्थियों को माता सरस्वती का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करना चाहिए.

इस बारे में ज्योतिषाचार्य और श्री काशी विश्वनाथ न्यास के सदस्य पंडित दीपक मालवीय कहते हैं कि माता सरस्वती वाणी, ज्ञान, विज्ञान, बुद्धि, विवेक व शिक्षा की देवी हैं. अत: माता सरस्वती का पूजन-वंदन करने से माता की विशेष अनुकम्पा प्राप्त होती है. तंत्रशास्त्र में भी माता सरस्वती वशीकरण की देवी के रूप में मानी जाती है. जिन लोगों का समाज में वैचारिक मतभेद का माहौल रहता हो या स्वभाव में उग्रता आदि हो, उन लोगों को भी समाज में प्रेम परस्पर वातावरण बना रहे, उनके निमित्त वे लोग भी आज के दिन सरस्वती जी का विधिवत पूजन करने से उनलोगों को लाभ मिलता है. वहीं, इस दिन काशी में वागेश्वरी देवी के दर्शन का भी विधान है एवं इसी दिन रतिकात महोत्सव मनाने की भी परंपरा है.

क्या है पूजन विधि

बताया कि माघ शुक्ल पंचमी को उत्सव वेदी पर सफेद वस्त्र बिछाकर अक्षतों का अष्टदल कमल बनायें. उसके अग्रभाग में प्रथम पूज्य गणेश जी और पृष्ठ भाग में बसंत (जौ या गेहूं का कुंज) कलश में डालकर उसी वेदी पर स्थापित कर सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करें. उसके उपरांत कुंज में रति और कामदेव का आहवान कर उनपर अबीर-गुलाल आदि डालना चाहिए. तत्पश्चात रति-कामदेव का ध्यान कर विधिवत पूजन करना चाहिए. इस पूजन से गृहस्थ जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा दाम्पत्य जीवन भी उत्तम व्यतीत होता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन देवाधिदेव महादेव का तिलकोत्सव भी हुआ था, जबकि शिवरात्रि को उनका विवाह हुआ था. अत: बसंत पंचमी को भगवान शिव का अभिषेक इत्यादि कर पूजन करना चाहिए. जिससे चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है. बसंत पंचमी एक अपुच्छ मुहूर्त है. जिसमें किसी भी शुभ कार्य को किया जा सकता है.

विद्यार्थी किताबों का करें पूजन

पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि इस दिन विद्यार्थियों को अपनी किताबें अपनी पेन पेंसिल और पढ़ाई लिखाई से संबंधित हर वस्तु माता सरस्वती के आगे रखकर उसका भी पूजन करना चाहिए, यदि कोई भी बच्चा स्कूल में पढ़ रहा है तो स्कूल की किताबें कोई विद्यार्थी वेद से शिक्षा को ग्रहण कर रहा है तो वेद की किताबें या फिर कोई विद्यार्थी जो हायर एजुकेशन की पढ़ाई कर रहा है, वह उसे हिसाब से अपनी किताबों को रखकर माता सरस्वती का ध्यान करके उनका पूजन करें और किताबों का भी पूजन करें.

यह भी पढ़ें : यूपी में आठ IPS के तबादले, लखनऊ और वाराणसी जोन के एडीजी बदले

यह भी पढ़ें : फोटोग्राफी का है शौक तो काशी सांसद प्रतियोगिता में लीजिए हिस्सा, ऐसे होगा रजिस्ट्रेशन

माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी के रूप में मनाने की परंपरा है.

वाराणसी : सनातन धर्म में माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी के रूप में मनाने की परंपरा है. इस बार बसंत पंचमी 14 फरवरी को पड़ रही है. बसंत पंचमी तिथि (माघ शुक्ल पंचमी) 13 फरवरी को रात्रि 07 बजकर 48 मिनट से लग रही है, जो 14 फरवरी को सायं 05 बजकर 40 मिनट तक रहेगी. इस बार बसंत पंचमी पर शुभ योग रहेगा. यह अपने आप में बहुत पुण्यदायी होगा.

इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि बसंत पंचमी बसंत के आगमन का उत्सव पर्व है. इस दिन किसान अपने खेतों में से जौ की बाली ले आते हैं और उनको भस्म कर उसमें घी व मीठा मिलाकर पवित्र हो अग्नि को प्रज्ज्वलित कर हवन करते हैं. शेष अन्न अपने इष्ट देव कुलदेव को अर्पित करते हैं. इस दिन सरस्वती पूजन वाग्शेवरी जयंती का भी विधान होता है. इस दिन विशेषकर शिक्षार्थियों को माता सरस्वती का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन करना चाहिए.

इस बारे में ज्योतिषाचार्य और श्री काशी विश्वनाथ न्यास के सदस्य पंडित दीपक मालवीय कहते हैं कि माता सरस्वती वाणी, ज्ञान, विज्ञान, बुद्धि, विवेक व शिक्षा की देवी हैं. अत: माता सरस्वती का पूजन-वंदन करने से माता की विशेष अनुकम्पा प्राप्त होती है. तंत्रशास्त्र में भी माता सरस्वती वशीकरण की देवी के रूप में मानी जाती है. जिन लोगों का समाज में वैचारिक मतभेद का माहौल रहता हो या स्वभाव में उग्रता आदि हो, उन लोगों को भी समाज में प्रेम परस्पर वातावरण बना रहे, उनके निमित्त वे लोग भी आज के दिन सरस्वती जी का विधिवत पूजन करने से उनलोगों को लाभ मिलता है. वहीं, इस दिन काशी में वागेश्वरी देवी के दर्शन का भी विधान है एवं इसी दिन रतिकात महोत्सव मनाने की भी परंपरा है.

क्या है पूजन विधि

बताया कि माघ शुक्ल पंचमी को उत्सव वेदी पर सफेद वस्त्र बिछाकर अक्षतों का अष्टदल कमल बनायें. उसके अग्रभाग में प्रथम पूज्य गणेश जी और पृष्ठ भाग में बसंत (जौ या गेहूं का कुंज) कलश में डालकर उसी वेदी पर स्थापित कर सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करें. उसके उपरांत कुंज में रति और कामदेव का आहवान कर उनपर अबीर-गुलाल आदि डालना चाहिए. तत्पश्चात रति-कामदेव का ध्यान कर विधिवत पूजन करना चाहिए. इस पूजन से गृहस्थ जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा दाम्पत्य जीवन भी उत्तम व्यतीत होता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन देवाधिदेव महादेव का तिलकोत्सव भी हुआ था, जबकि शिवरात्रि को उनका विवाह हुआ था. अत: बसंत पंचमी को भगवान शिव का अभिषेक इत्यादि कर पूजन करना चाहिए. जिससे चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है. बसंत पंचमी एक अपुच्छ मुहूर्त है. जिसमें किसी भी शुभ कार्य को किया जा सकता है.

विद्यार्थी किताबों का करें पूजन

पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि इस दिन विद्यार्थियों को अपनी किताबें अपनी पेन पेंसिल और पढ़ाई लिखाई से संबंधित हर वस्तु माता सरस्वती के आगे रखकर उसका भी पूजन करना चाहिए, यदि कोई भी बच्चा स्कूल में पढ़ रहा है तो स्कूल की किताबें कोई विद्यार्थी वेद से शिक्षा को ग्रहण कर रहा है तो वेद की किताबें या फिर कोई विद्यार्थी जो हायर एजुकेशन की पढ़ाई कर रहा है, वह उसे हिसाब से अपनी किताबों को रखकर माता सरस्वती का ध्यान करके उनका पूजन करें और किताबों का भी पूजन करें.

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Last Updated : Feb 14, 2024, 6:18 AM IST
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