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सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल खाएगा ब्रिटेन-अमेरिका; स्वाद और सुगंध के मुरीद रहे हैं अंग्रेज, 70 साल बाद एक्सपोर्ट - Export of Kala Namak rice

पिछले 70 साल में जो कभी न हुआ उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार वह करने जा रही है. अब तक नेपाल, सिंगापुर, जर्मनी और दुबई ही उत्तर प्रदेश के काला नमक (Kala Namak Rice) का स्वाद चखते रहे हैं, लेकिन अब इंग्लैंड और अमेरिका को भी काला नमक का निर्यात किया जाएगा.

इंग्लैंड और अमेरिका को निर्यात होगा काला नमक.
इंग्लैंड और अमेरिका को निर्यात होगा काला नमक. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 9:44 PM IST

Updated : Jul 28, 2024, 12:13 PM IST

लखनऊ : काला नमक के स्वाद और सुगंध का मुरीद इंग्लैंड रह चुका है. सात दशक पहले गुलाम भारत में देशभर में अंग्रेजों के बड़े बड़े फॉर्म हाउस हुआ करते थे. ये इतने बड़े थे कि इनके नाम से उस क्षेत्र की पहचान थी. मसलन बर्डघाट, कैंपियरगंज. सिद्धार्थनगर भी इसका अपवाद नहीं था. उस समय सिद्धार्थ नगर में अंग्रेजों के फार्म हाउसेज में काला नमक धान की बड़े पैमाने पर खेती होती थी.

अंग्रेज काला नमक के स्वाद और सुगंध से वाकिफ थे. इन खूबियों की वजह से इंग्लैंड में काला नमक के दाम भी अच्छे मिल जाते थे. तब जहाजों से चावल इंग्लैंड भेजा जाता था. करीब सात दशक पहले जमींदारी उन्मूलन के बाद यह सिलसिला कम हो गया और आजादी मिलने के बाद खत्म हो गया. इस साल पहली बार इंग्लैंड को चावल सप्लाई किया जाएगा. पहली बार अमेरिका को भी चावल का निर्यात होगा.

ओडीओपी घोषित करने के बाद बढ़ता गया कालानमक का क्रेज : योगी सरकार ने जबसे काला नमक धान को सिद्धार्थनगर का एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित किया है तबसे देश और दुनिया में स्वाद और सुगंध में बेमिसाल और पौष्टिकता में परंपरागत चावलों से बेहतर काला नमक धान के चावल का क्रेज लगातार बढ़ रहा है. जीआई मिलने से इसका दायरा भी बढ़ा है. योगी सरकार ने इसे सिद्धार्थनगर का एक जिला एक उत्पाद घोषित करने के साथ इसकी खूबियों की जबरदस्त ब्रांडिंग भी की है. रकबे उपज और मांग में भी बढ़ोतरी हुई है.

काला नमक चावल की खूबियां.
काला नमक चावल की खूबियां. (Photo Credit: ETV Bharat)



तीन साल में बढ़ा तीन गुने से अधिक एक्सपोर्ट : 17 दिसंबर 2021 को राज्यसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2019-2020 में इसका निर्यात दो फीसद था. अगले साल यह बढ़कर चार फीसद हो गया. 2021-2022 में यह सात फीसद रहा. काला नमक धान को केंद्र में रखकर पिछले दो दशक से काम कर रही गोरखपुर की संस्था पीआरडीएफ (पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन) के चेयरमैन पदमश्री डाॅ. आरसी चौधरी के मुताबिक पिछले दो वर्ष के दौरान उनकी संस्था ने सिंगापुर को 55 टन और नेपाल को 10 टन काला नमक चावल का निर्यात किया.

इन दोनों देशों से अब भी लगातार मांग आ रही है. इसके अलावा कुछ मात्रा में दुबई और जर्मनी को भी निर्यात हुआ है. पीआरडीएफ के अलावा भी कई संस्थाएं काला नमक चावल के निर्यात में लगी हैं. डॉ. चौधरी बताते हैं कि निर्यात का प्लेटफार्म बन चुका है. आने वाले समय में यह और बढ़ेगा.

यह भी पढ़ें : पद्मश्री से नवाजे जाएंगे काला नमक चावल को पुनर्जीवित करने वाले डॉ. आरसी चौधरी, कहा- पूर्वांचल की माटी का बड़ा योगदान

यह भी पढ़ें : Kala Namak Rice: निर्यात पर प्रतिबंध से 50 देशों को नहीं मिलेगा खाने को चावल, अंतर्राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक ने भारत सरकार को लिखा पत्र

लखनऊ : काला नमक के स्वाद और सुगंध का मुरीद इंग्लैंड रह चुका है. सात दशक पहले गुलाम भारत में देशभर में अंग्रेजों के बड़े बड़े फॉर्म हाउस हुआ करते थे. ये इतने बड़े थे कि इनके नाम से उस क्षेत्र की पहचान थी. मसलन बर्डघाट, कैंपियरगंज. सिद्धार्थनगर भी इसका अपवाद नहीं था. उस समय सिद्धार्थ नगर में अंग्रेजों के फार्म हाउसेज में काला नमक धान की बड़े पैमाने पर खेती होती थी.

अंग्रेज काला नमक के स्वाद और सुगंध से वाकिफ थे. इन खूबियों की वजह से इंग्लैंड में काला नमक के दाम भी अच्छे मिल जाते थे. तब जहाजों से चावल इंग्लैंड भेजा जाता था. करीब सात दशक पहले जमींदारी उन्मूलन के बाद यह सिलसिला कम हो गया और आजादी मिलने के बाद खत्म हो गया. इस साल पहली बार इंग्लैंड को चावल सप्लाई किया जाएगा. पहली बार अमेरिका को भी चावल का निर्यात होगा.

ओडीओपी घोषित करने के बाद बढ़ता गया कालानमक का क्रेज : योगी सरकार ने जबसे काला नमक धान को सिद्धार्थनगर का एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित किया है तबसे देश और दुनिया में स्वाद और सुगंध में बेमिसाल और पौष्टिकता में परंपरागत चावलों से बेहतर काला नमक धान के चावल का क्रेज लगातार बढ़ रहा है. जीआई मिलने से इसका दायरा भी बढ़ा है. योगी सरकार ने इसे सिद्धार्थनगर का एक जिला एक उत्पाद घोषित करने के साथ इसकी खूबियों की जबरदस्त ब्रांडिंग भी की है. रकबे उपज और मांग में भी बढ़ोतरी हुई है.

काला नमक चावल की खूबियां.
काला नमक चावल की खूबियां. (Photo Credit: ETV Bharat)



तीन साल में बढ़ा तीन गुने से अधिक एक्सपोर्ट : 17 दिसंबर 2021 को राज्यसभा में दिए गए आंकड़ों के अनुसार 2019-2020 में इसका निर्यात दो फीसद था. अगले साल यह बढ़कर चार फीसद हो गया. 2021-2022 में यह सात फीसद रहा. काला नमक धान को केंद्र में रखकर पिछले दो दशक से काम कर रही गोरखपुर की संस्था पीआरडीएफ (पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन) के चेयरमैन पदमश्री डाॅ. आरसी चौधरी के मुताबिक पिछले दो वर्ष के दौरान उनकी संस्था ने सिंगापुर को 55 टन और नेपाल को 10 टन काला नमक चावल का निर्यात किया.

इन दोनों देशों से अब भी लगातार मांग आ रही है. इसके अलावा कुछ मात्रा में दुबई और जर्मनी को भी निर्यात हुआ है. पीआरडीएफ के अलावा भी कई संस्थाएं काला नमक चावल के निर्यात में लगी हैं. डॉ. चौधरी बताते हैं कि निर्यात का प्लेटफार्म बन चुका है. आने वाले समय में यह और बढ़ेगा.

यह भी पढ़ें : पद्मश्री से नवाजे जाएंगे काला नमक चावल को पुनर्जीवित करने वाले डॉ. आरसी चौधरी, कहा- पूर्वांचल की माटी का बड़ा योगदान

यह भी पढ़ें : Kala Namak Rice: निर्यात पर प्रतिबंध से 50 देशों को नहीं मिलेगा खाने को चावल, अंतर्राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिक ने भारत सरकार को लिखा पत्र

Last Updated : Jul 28, 2024, 12:13 PM IST
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