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हरियाणा में बढ़ते तापमान ने बढ़ाई किसानों की चिंता, गेहूं और सरसों में बढ़ा पीला रतुआ का खतरा - TREATMENT OF PILA RATUA

हरियाणा में बढ़ते तापमान से जहां आम लोगों के लिए राहत भरी है. वहीं किसान फसलों में पीला रतुआ की बीमारी से डरे हुए हैं.

TREATMENT OF PILA RATUA
गेहूं और सरसों में पीला रतुआ का खतरा (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 28, 2025, 10:43 PM IST

अंबाला/कुरुक्षेत्रः बीते कई दिनों से हरियाणा के कई जिलों में लगातार तेज धूप निकलने से तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही है. बढ़ते तापमान का अब फसलों पर भी असर देखने को मिल सकता है. बढ़ते तापमान से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खिंच गई है. तापमान बढ़ने के कारण गेहूं और सरसों की फसलों में पीला रतुआ बीमारी की आशंका बढ़ गई है.

पीला-भूरा-सफेद रतुआ की आशंकाः पीला रतुआ से बचाव के लिए किसानों को क्या सावधानियां रखनी चाहिए. इसके बारे में अंबाला में एग्रीकल्चर डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर सैनी ने बताया कि राज्य में कई दिनों से लगातार तेज धूप निकलने से तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. तापमान का असर फसलों पर पड़ सकता है. खासकर गेहूं की फसल में पीला रतुआ, भूरा रतुआ बीमारी और सरसों में सफेद रतुआ बीमारी आने की आशंका बढ़ गई है. किसानों को चाहिए कि फसलों की सिंचाई करते रहें, जिससे फसलों में नमी और ठंडक बनी रहे.

गेहूं और सरसों में पीला रतुआ का खतरा (Etv Bharat)

कैंप लगाकर किसानों को किया जा रहा है जागरूकः डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर सैनी ने बताया कि बढ़ते तापमान से दोनों फसलों गेहूं और सरसों में बीमारी की आशंका बढ़ जाती है. वहीं, सरसों में सफेद रतुआ बीमारी आ सकती है. उन्होंने किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि बढ़ते तापमान को देखते हुए फसलों की सिंचाई करते रहना चाहिए. दूसरी ओर किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग की तरफ से कैंप भी लगाए जा रहे हैं.

YELLOW RUST IN WHEAT
पीला रतुआ (Etv Bharat)

क्या है पीला रतुआ बीमारीः कुरुक्षेत्र के जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. करमचंद ने बताया कि दिन के समय तापमान 19-20 डिग्री सेल्सियस जा रहा है. जबकि रात के समय यह चार डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है. इस मौसम में गेहूं सहित अन्य किस्म की फसलों में पीला रतुआ बीमारी आने की बहुत ज्यादा संभावना होती है. उन्होंने बताया कि पीला रतुआ बीमारी गेहूं और सरसों की फसलों के बहुत ही ज्यादा खतरनाक बीमारी है. इसमें पीले रंग का पाउडर होता है जो गेहूं की फसल की पत्तियों पर आ जाता है. यह बीमारी पहले खेत के किसी एक भाग में होता है और फिर धीरे-धीरे इसका प्रभाव बढ़ता जाता है और यह पूरे खेत में फैल जाता है.

YELLOW RUST IN WHEAT
गेहूं में पीला रतुआ का असर (Etv Bharat)

यमुना किनारे दिखता है ज्यादा प्रभावः डॉ. करमचंद ने बताया कि हरियाणा में यमुना से लगने वाले जिलों में इसका ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है. इस बीमारी में पहले पौधे की पत्तियों पर पीले रंग की धारियां होती हैं और फिर पाउडर बन जाता है. धीरे-धीरे पौधा काला हो जाता है. इसके बाद पौधा सूख कर मर जाता है, क्योंकि पौधा सूर्य की प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम नहीं रह पाता है. पौधे अपना भोजन नहीं बन पाता है, जिससे उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ता है.

YELLOW RUST IN WHEAT
गेहूं की फसल की निगरानी करते किसान (Etv Bharat)

50 फीसदी फसलों को हो सकता है नुकसानः डॉ. करमचंद ने बताया कि किसानों को सुबह शाम अपने खेतों की निगरानी रखनी चाहिए. अगर कहीं भी थोड़ी सी भी शिकायत मिलती है तो तुरंत कृषि अधिकारी से मिलकर इसका उचित प्रबंध करें. अगर समय रहते इसका प्रबंध न हो तो यह गेहूं की फसल पर 50 फीसदी या उससे भी अधिक उत्पादन पर प्रभाव डाल सकती है.

कैसे करें बचाव:-

YELLOW RUST IN WHEAT
खेत में दवाई छिड़काव की तैयारी करते किसान (Etv Bharat)

विशेषज्ञ की सलाह पर दवा का उपयोग करेंः कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि इस बीमारी से गेहूं को बचाने के लिए कई प्रकार की दवा मार्केट में उपलब्ध है. कृषि अधिकारी से संपर्क करके किसान प्रभावित फसलों की स्थिति, क्षेत्रफल के आधार पर दवाई का प्रयोग करें. पीला रतुआ पर काबू पाने के लिए प्रोपिकोनाजोल नाम की दवाई 200 एमएल 250 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करना चाहिए या फिर मैन्कोजेब या दीथाने एम45 नामक दवा 800 ग्राम दवा एक एकड़ खेत में डालें.

YELLOW RUST IN WHEAT
पीला रतुआ का उपचार (Etv Bharat)

10 दिन के अंतराल पर करें स्प्रेः अगर किसी खेत में इसकी समस्या बहुत कम है और जिन पौधों को उसने अपना शिकार बनाया है. उनको उखाड़ कर मिट्टी में दबा दें या उसे पर फंगीसाइड नामक दवाई का स्प्रे करें. अगर किसी खेत में बीमारी का प्रकोप ज्यादा है तो 10 दिन के अंतराल में एक बार फिर से स्प्रे करें. एक बात अवश्य ध्यान रखें कि अगर किसान के खेत में यह बीमारी आई हुई है तो वह उसमें निगरानी करने के लिए बीच-बीच में नियमित रूप से निगरानी करें.

पीला रतुआ का पाउडर लगा कपड़ा दूसरे खेत में न पहनेंः खेत में जाने के दौरान कपड़ों पर अगर पीला रतुआ का पाउडर लग जाता है तो उस कपड़ों को लेकर या स्प्रे करने के दौरान उन कपड़ों को लेकर दूसरे खेत में ना जायें. वरना दूसरे खेत में भी इसका प्रकोप हो सकता है. इस प्रकार से किस पीला रतुआ बीमारी पर नियंत्रण कर सकते हैं.

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अंबाला/कुरुक्षेत्रः बीते कई दिनों से हरियाणा के कई जिलों में लगातार तेज धूप निकलने से तापमान में बढ़ोतरी देखी जा रही है. बढ़ते तापमान का अब फसलों पर भी असर देखने को मिल सकता है. बढ़ते तापमान से किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खिंच गई है. तापमान बढ़ने के कारण गेहूं और सरसों की फसलों में पीला रतुआ बीमारी की आशंका बढ़ गई है.

पीला-भूरा-सफेद रतुआ की आशंकाः पीला रतुआ से बचाव के लिए किसानों को क्या सावधानियां रखनी चाहिए. इसके बारे में अंबाला में एग्रीकल्चर डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर सैनी ने बताया कि राज्य में कई दिनों से लगातार तेज धूप निकलने से तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. तापमान का असर फसलों पर पड़ सकता है. खासकर गेहूं की फसल में पीला रतुआ, भूरा रतुआ बीमारी और सरसों में सफेद रतुआ बीमारी आने की आशंका बढ़ गई है. किसानों को चाहिए कि फसलों की सिंचाई करते रहें, जिससे फसलों में नमी और ठंडक बनी रहे.

गेहूं और सरसों में पीला रतुआ का खतरा (Etv Bharat)

कैंप लगाकर किसानों को किया जा रहा है जागरूकः डिप्टी डायरेक्टर जसविंदर सैनी ने बताया कि बढ़ते तापमान से दोनों फसलों गेहूं और सरसों में बीमारी की आशंका बढ़ जाती है. वहीं, सरसों में सफेद रतुआ बीमारी आ सकती है. उन्होंने किसानों को जागरूक करते हुए कहा कि बढ़ते तापमान को देखते हुए फसलों की सिंचाई करते रहना चाहिए. दूसरी ओर किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग की तरफ से कैंप भी लगाए जा रहे हैं.

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पीला रतुआ (Etv Bharat)

क्या है पीला रतुआ बीमारीः कुरुक्षेत्र के जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. करमचंद ने बताया कि दिन के समय तापमान 19-20 डिग्री सेल्सियस जा रहा है. जबकि रात के समय यह चार डिग्री सेल्सियस तक जा रहा है. इस मौसम में गेहूं सहित अन्य किस्म की फसलों में पीला रतुआ बीमारी आने की बहुत ज्यादा संभावना होती है. उन्होंने बताया कि पीला रतुआ बीमारी गेहूं और सरसों की फसलों के बहुत ही ज्यादा खतरनाक बीमारी है. इसमें पीले रंग का पाउडर होता है जो गेहूं की फसल की पत्तियों पर आ जाता है. यह बीमारी पहले खेत के किसी एक भाग में होता है और फिर धीरे-धीरे इसका प्रभाव बढ़ता जाता है और यह पूरे खेत में फैल जाता है.

YELLOW RUST IN WHEAT
गेहूं में पीला रतुआ का असर (Etv Bharat)

यमुना किनारे दिखता है ज्यादा प्रभावः डॉ. करमचंद ने बताया कि हरियाणा में यमुना से लगने वाले जिलों में इसका ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है. इस बीमारी में पहले पौधे की पत्तियों पर पीले रंग की धारियां होती हैं और फिर पाउडर बन जाता है. धीरे-धीरे पौधा काला हो जाता है. इसके बाद पौधा सूख कर मर जाता है, क्योंकि पौधा सूर्य की प्रकाश संश्लेषण करने में सक्षम नहीं रह पाता है. पौधे अपना भोजन नहीं बन पाता है, जिससे उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ता है.

YELLOW RUST IN WHEAT
गेहूं की फसल की निगरानी करते किसान (Etv Bharat)

50 फीसदी फसलों को हो सकता है नुकसानः डॉ. करमचंद ने बताया कि किसानों को सुबह शाम अपने खेतों की निगरानी रखनी चाहिए. अगर कहीं भी थोड़ी सी भी शिकायत मिलती है तो तुरंत कृषि अधिकारी से मिलकर इसका उचित प्रबंध करें. अगर समय रहते इसका प्रबंध न हो तो यह गेहूं की फसल पर 50 फीसदी या उससे भी अधिक उत्पादन पर प्रभाव डाल सकती है.

कैसे करें बचाव:-

YELLOW RUST IN WHEAT
खेत में दवाई छिड़काव की तैयारी करते किसान (Etv Bharat)

विशेषज्ञ की सलाह पर दवा का उपयोग करेंः कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि इस बीमारी से गेहूं को बचाने के लिए कई प्रकार की दवा मार्केट में उपलब्ध है. कृषि अधिकारी से संपर्क करके किसान प्रभावित फसलों की स्थिति, क्षेत्रफल के आधार पर दवाई का प्रयोग करें. पीला रतुआ पर काबू पाने के लिए प्रोपिकोनाजोल नाम की दवाई 200 एमएल 250 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करना चाहिए या फिर मैन्कोजेब या दीथाने एम45 नामक दवा 800 ग्राम दवा एक एकड़ खेत में डालें.

YELLOW RUST IN WHEAT
पीला रतुआ का उपचार (Etv Bharat)

10 दिन के अंतराल पर करें स्प्रेः अगर किसी खेत में इसकी समस्या बहुत कम है और जिन पौधों को उसने अपना शिकार बनाया है. उनको उखाड़ कर मिट्टी में दबा दें या उसे पर फंगीसाइड नामक दवाई का स्प्रे करें. अगर किसी खेत में बीमारी का प्रकोप ज्यादा है तो 10 दिन के अंतराल में एक बार फिर से स्प्रे करें. एक बात अवश्य ध्यान रखें कि अगर किसान के खेत में यह बीमारी आई हुई है तो वह उसमें निगरानी करने के लिए बीच-बीच में नियमित रूप से निगरानी करें.

पीला रतुआ का पाउडर लगा कपड़ा दूसरे खेत में न पहनेंः खेत में जाने के दौरान कपड़ों पर अगर पीला रतुआ का पाउडर लग जाता है तो उस कपड़ों को लेकर या स्प्रे करने के दौरान उन कपड़ों को लेकर दूसरे खेत में ना जायें. वरना दूसरे खेत में भी इसका प्रकोप हो सकता है. इस प्रकार से किस पीला रतुआ बीमारी पर नियंत्रण कर सकते हैं.

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