ETV Bharat / state

श्रीयंत्र टापू कांड की 29वीं बरसी, याद किए गए 'शहीद', जानिए क्या था उत्तराखंड का 'ऑपरेशन जाफना'

श्रीयंत्र टापू कांड को 29 साल पूरे, दो लोगों ने गंवाई थी जान, 52 लोग हुए थे घायल, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई 'हकीकत'

Shriyantra Tapu Kand Srinagar
श्रीयंत्र टापू के शहीदों को किया गया याद (ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 10, 2024, 5:51 PM IST

श्रीनगर: उत्तराखंड राज्य 25 वें साल में प्रवेश कर गया है. उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था. जिसमें कई लोगों ने अपना बलिदान भी दिया था. आज से ठीक 29 साल पहले 10 नवंबर 1995 को श्रीनगर के श्रीयंत्र टापू में यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत ने भी अपने प्राणों की आहुति दी. इसके साथ इसी जगह पर 52 लोगों को पुलिसिया बर्बरता का सामना भी करना पड़ा था. जिसमें सभी लोग बुरी तरह घायल हो गए थे. घायल अवस्था में ही तत्कालीन यूपी पुलिस ने इन्हें जेल में भी डाल दिया था.

राज्य आंदोलनकारी देवेंद्र फर्स्वाण ने खोले 'ऑपरेशन जाफना' के राज: आज इस घटना को 29 साल हो गए हैं. इसी कड़ी में यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत की शहादत की बरसी पर इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों ने उस दिन का पूरा हाल बताया और 'ऑपरेशन जाफना' के राज भी खोले. राज्य आंदोलनकारी डॉक्टर देवेंद्र फर्स्वाण ने बताया कि उत्तर प्रदेश से अलग एक राज्य बनाने की मांग को लेकर उत्तराखंड के हर हिस्से में आंदोलन हो रही थी. श्रीनगर में भी आंदोलन अपने चरम पर था. राज्य आंदोलनकारी किशनपाल परमार और दौलत राम पोखरियाल के नेतृत्व में आंदोलनकारी भूख हड़ताल पर थे.

श्रीयंत्र टापू कांड की 29वीं बरसी (वीडियो- ETV Bharat)

रात में नावों पर सवार होकर आई थी पुलिस, आंदोलनकारियों को बुरी तरह से पीटा: सभी आंदोलनकारी श्रीयंत्र टापू में शांतिपूर्वक अपना आंदोलन कर रहे थे. तभी अचानक देर रात यूपी पुलिस नावों के जरिए टापू पर पहुंची और आंदोलनकारियों को लाठी बरसाने लगी. उस घटना के दौरान आंदोलन पर देवेंद्र फर्स्वाण भी बैठे हुए थे. राज्य आंदोलनकारी देवेंद्र फर्स्वाण बताते हैं कि अचानक से 2 से 3 बजे के बीच यूपी पुलिस आंदोलन स्थल पहुंची और आंदोलनकारियों पर लाठी-डंडे से पीटने लगी.

Shriyantra Tapu Kand Srinagar
श्रीयंत्र टापू के शहीदों को किया गया याद (फोटो- ETV Bharat)

यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत नदी में बहे: इस दौरान पुलिस के कुछ जवान यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत के पीछे भागे. जिसके बाद उन्हें पकड़ कर बुरी तरह पीटने लगे. दोनों अलकनंदा नदी की तरफ जाने लगे. इतना ही नहीं उन्हें नदी में पकड़कर मारा और पीटा गया. जिसके बाद वे नदी में बहते चले गए. ठीक एक हफ्ते बाद दोनों का शव बागवान के पास बरामद हुआ. उन्होंने बताया कि पुलिस ने इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन जाफना' नाम दिया था.

राज्य आंदोलनकारी सुखदेव पंत ने बताई आंखों देखी: वहीं, रुद्रप्रयाग जिले के रहने वाले राज्य आंदोलनकारी सुखदेव पंत बताते हैं कि उस दिन सारे आंदोलनकारी अन्य दिनों की भांति रात को आंदोलन के दौरान कीर्तन भजन कर रहे थे. अचानक सभी आंदोलनकारियों को सूचना मिली कि नाव के जरिए टापू में पुलिस आ रही है, लेकिन यह सुनकर कोई भी आंदोलनकारी नहीं घबराया. वहां पर पुलिस हवा में गोलियां भी चला रही थी.

Martyr Yashodhar Benzwal and Rajesh Rawat
शहीद यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत (फाइल फोटो- ETV Bharat)

अचानक पुलिस आई और आंदोलनकारियों को मारने-पीटने लगी. आंदोलनकारी तितर-बितर होने लगे. इस दौरान यशोधर बेंजवाल, राजेश रावत और मानवेंद्र बर्थवाल को पुलिसकर्मी मारते-मारते नदी तट पर ले आए. जिसमें मानवेंद्र बर्थवाल को तो नदी से खींच लिया गया, लेकिन यशोधर और राजेश नदी में कही दूर चले गए. एक हफ्ते बाद उनका शव बरामद हुआ.

राज्य आंदोलनकारी राजेंद्र रावत की छलकी पीड़ा: वहीं, ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्य आंदोलनकारी राजेंद्र रावत कहते हैं कि उस रोज उनके साथियों ने अपनी शहादत दी थी. सब का मानना था कि अलग राज्य बनने के बाद युवाओं को रोजगार मिलेगा, पलायन रुकेगा, यहां की जब अपनी सरकार बनेगी तो राज्य के लोगों का विकास होगा, लेकिन राज्य आंदोलनकारियों का सपना सपना ही रह गया है. आज भी ये सपना पूरा न हो सका, जिसका दुख उन्हें हमेशा रहेगा.

ये भी पढ़ें-

श्रीनगर: उत्तराखंड राज्य 25 वें साल में प्रवेश कर गया है. उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था. जिसमें कई लोगों ने अपना बलिदान भी दिया था. आज से ठीक 29 साल पहले 10 नवंबर 1995 को श्रीनगर के श्रीयंत्र टापू में यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत ने भी अपने प्राणों की आहुति दी. इसके साथ इसी जगह पर 52 लोगों को पुलिसिया बर्बरता का सामना भी करना पड़ा था. जिसमें सभी लोग बुरी तरह घायल हो गए थे. घायल अवस्था में ही तत्कालीन यूपी पुलिस ने इन्हें जेल में भी डाल दिया था.

राज्य आंदोलनकारी देवेंद्र फर्स्वाण ने खोले 'ऑपरेशन जाफना' के राज: आज इस घटना को 29 साल हो गए हैं. इसी कड़ी में यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत की शहादत की बरसी पर इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों ने उस दिन का पूरा हाल बताया और 'ऑपरेशन जाफना' के राज भी खोले. राज्य आंदोलनकारी डॉक्टर देवेंद्र फर्स्वाण ने बताया कि उत्तर प्रदेश से अलग एक राज्य बनाने की मांग को लेकर उत्तराखंड के हर हिस्से में आंदोलन हो रही थी. श्रीनगर में भी आंदोलन अपने चरम पर था. राज्य आंदोलनकारी किशनपाल परमार और दौलत राम पोखरियाल के नेतृत्व में आंदोलनकारी भूख हड़ताल पर थे.

श्रीयंत्र टापू कांड की 29वीं बरसी (वीडियो- ETV Bharat)

रात में नावों पर सवार होकर आई थी पुलिस, आंदोलनकारियों को बुरी तरह से पीटा: सभी आंदोलनकारी श्रीयंत्र टापू में शांतिपूर्वक अपना आंदोलन कर रहे थे. तभी अचानक देर रात यूपी पुलिस नावों के जरिए टापू पर पहुंची और आंदोलनकारियों को लाठी बरसाने लगी. उस घटना के दौरान आंदोलन पर देवेंद्र फर्स्वाण भी बैठे हुए थे. राज्य आंदोलनकारी देवेंद्र फर्स्वाण बताते हैं कि अचानक से 2 से 3 बजे के बीच यूपी पुलिस आंदोलन स्थल पहुंची और आंदोलनकारियों पर लाठी-डंडे से पीटने लगी.

Shriyantra Tapu Kand Srinagar
श्रीयंत्र टापू के शहीदों को किया गया याद (फोटो- ETV Bharat)

यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत नदी में बहे: इस दौरान पुलिस के कुछ जवान यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत के पीछे भागे. जिसके बाद उन्हें पकड़ कर बुरी तरह पीटने लगे. दोनों अलकनंदा नदी की तरफ जाने लगे. इतना ही नहीं उन्हें नदी में पकड़कर मारा और पीटा गया. जिसके बाद वे नदी में बहते चले गए. ठीक एक हफ्ते बाद दोनों का शव बागवान के पास बरामद हुआ. उन्होंने बताया कि पुलिस ने इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन जाफना' नाम दिया था.

राज्य आंदोलनकारी सुखदेव पंत ने बताई आंखों देखी: वहीं, रुद्रप्रयाग जिले के रहने वाले राज्य आंदोलनकारी सुखदेव पंत बताते हैं कि उस दिन सारे आंदोलनकारी अन्य दिनों की भांति रात को आंदोलन के दौरान कीर्तन भजन कर रहे थे. अचानक सभी आंदोलनकारियों को सूचना मिली कि नाव के जरिए टापू में पुलिस आ रही है, लेकिन यह सुनकर कोई भी आंदोलनकारी नहीं घबराया. वहां पर पुलिस हवा में गोलियां भी चला रही थी.

Martyr Yashodhar Benzwal and Rajesh Rawat
शहीद यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत (फाइल फोटो- ETV Bharat)

अचानक पुलिस आई और आंदोलनकारियों को मारने-पीटने लगी. आंदोलनकारी तितर-बितर होने लगे. इस दौरान यशोधर बेंजवाल, राजेश रावत और मानवेंद्र बर्थवाल को पुलिसकर्मी मारते-मारते नदी तट पर ले आए. जिसमें मानवेंद्र बर्थवाल को तो नदी से खींच लिया गया, लेकिन यशोधर और राजेश नदी में कही दूर चले गए. एक हफ्ते बाद उनका शव बरामद हुआ.

राज्य आंदोलनकारी राजेंद्र रावत की छलकी पीड़ा: वहीं, ईटीवी भारत से बात करते हुए राज्य आंदोलनकारी राजेंद्र रावत कहते हैं कि उस रोज उनके साथियों ने अपनी शहादत दी थी. सब का मानना था कि अलग राज्य बनने के बाद युवाओं को रोजगार मिलेगा, पलायन रुकेगा, यहां की जब अपनी सरकार बनेगी तो राज्य के लोगों का विकास होगा, लेकिन राज्य आंदोलनकारियों का सपना सपना ही रह गया है. आज भी ये सपना पूरा न हो सका, जिसका दुख उन्हें हमेशा रहेगा.

ये भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.