हमीरपुर: जिले के विंवार थाना क्षेत्र के लोदीपुर-निवादा गांव में मंगलवार के दिन पुरानी बाजार स्थल में माहिलाओं के दंगल का आयोजन किया गया. घूंघट की ओट में महिलाओ ने जमकर दांव आजमाए. मान्यता है कि यह परंपरा आल्हा-ऊदल के दौर से चली है. इसमें गांव की सभी बहुएं और सास हिस्सा लेतीं हैं. रक्षा बंधन के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को इस परंपरा का निर्वहन किया गया. यह परंपरा 104 साल पुरानी है. इस दंगल में सास और बहुओं ने कई कुश्ती लड़ी. दंगल में महिलाओं का उत्साह बढ़ाने के लिए ढोल की थाप भी गूंजती रही. इस अनोखे दंगल में पुरुषों का प्रवेश प्रतिबंधित रहा.
सेवानिवृत्त अध्यापक जगदीश जोशी और सुरेशचंद शुक्ल ने बताया कि रक्षाबंधन के अगले दिन परेवा पर इस दंगल का आयोजन किया जाता है जिसमें महिलाएं शाम के समय पहले बजरंगा तालाब में कजिलिया विसर्जन करतीं हैं उसके बाद दंगल होता है.
बताया गया कि इस बार दंगल में कुल 14 कुश्तियां हुईं, इनमें पहली कुश्ती गिरजा देवी और रामदेवी के बीच हुई जिसमें रामदेवी जीतीं. दूसरी कुश्ती रानी देवी और गत्तों सविता के बीच हुई जिसमे रानी देवी जीतीं. तीसरी कुश्ती मनीषा पाल और खुशबू पाल के बीच हुई जिसमें मनीषा ने बाजी मारी. इसी तरह फूलमती और फूलारानी के बीच हुई कुश्ती में फूलमती विजयी रहीं. वहीं मीरा और उमाकांती के बीच हुई कुश्ती में मीरा ने बाजी मारी.
दंगल में रेफरी की भूमिका अभिलाषा गुप्ता और पूजा गुप्ता ने निभाई. संचालन नेहा और मालती शुक्ला ने किया और कार्यक्रम का आयोजन ग्राम प्रधान गिरजा देवी द्वारा कराया गया. आयोजन में गांव के चौकीदार श्यामसिंह की भी विशेष भूमिका रही. आयोजन के समापन के बाद रेफरी अभिलाषा गुप्ता ने बताया कि वह बीते पांच साल से इस दंगल में रेफरी की भूमिका निभा रहीं है. उन्होंने बताया कि यह पंरपरा रानी लक्ष्मीबाई के आह्वान पर शुरू हुई थी. यह महिलाओं का एक तरह से शक्ति प्रदर्शन है. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह संदेश देना है कि महिलाएं किसी से कम नहीं है.