वाराणसी : बनारस अपनी गलियों, गंगा घाट, साड़ी और विश्वनाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, वहीं यहां के अखाड़े भी दुनियाभर में फेमस हैं. देसी के साथ-साथ विदेशी पहलवान भी यहां के अखाड़ों के दीवाने हैं. शुक्रवार को नाग पंचमी के दिन विदेशी पहलवानों ने भी देसी पहलवानों के साथ जमकर कुश्ती की. जिसमें इजराइल, नीदरलैंड और स्पेन के पहलवान शामिल रहे. इस दौरान सभी ने देसी अंदाज में जमकर कुश्ती लड़ी.
गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा (अखाड़ा स्वामीनाथ) प्राचीन मोहल्ला भदैनी अस्सी क्षेत्र में स्थित है. इस अखाड़े में कुश्ती लड़कर युवा आज रेलवे, आर्मी, पुलिस सहित कई संस्थानों में कोच के रूप में कार्य कर रहे हैं. किसी जमाने में यहां के कल्लू पहलवान राष्ट्रीय स्तर पर पहलवानी किया करते थे. बनारस में दर्जन भर से ज्यादा अखाड़े आज भी शहर में मौजूद हैं. जिसमें लाल कुटिया अखाड़ा, महामृत्युंजय मंदिर अखाड़ा, गोस्वामी अखाड़ा प्रमुख हैं. यहां पर आज भी दंगल का आयोजन किया जाता है. ऐसा ही एक अखाड़ा है गोस्वामी तुलसीदास अखाड़ा. यहां युवकों के साथ युवतियां भी कुश्ती के दांव-पेंच सीखती हैं. श्रीराम और हनुमान जी के अनन्य भक्त और श्री राम चरित्र मानस की रचना करने वाले गोस्वामी तुलसीदास ने अपने जीवन का बहुत समय काशी के तुलसी घाट पर बिताया. यहीं पर उन्होंने राम चरित्र मानस के कुछ अंश की रचना भी की. साथ ही यहीं पर एक अखाड़े का निर्माण किया. आज लगभग साढ़े 400 वर्ष बीत चुके हैं, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा स्थापित अखाड़ा आज भी मौजूद है और लोग आस्था के साथ इस अखाड़े में आते हैं. कुश्ती-दंगल और जोड़ी फेरते हैं.
गोस्वामी तुलसीदास अखाड़े को बनारस का अनोखा अखाड़ा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यही वह अखाड़ा है जहां पहली बार लड़कियों को अखाड़े में जाने की अनुमति दी गई थी. यहीं से लड़कियों ने कुश्ती लड़कर अंतरराष्ट्रीय लेवल तक अपनी पहचान बनाई. नाग पंचमी के दिन भी लड़कियों ने लड़कों के साथ जमकर कुश्ती की. साल 2018 से महान संकट मोचन मंदिर स्वामी विशंभर नाथ मिश्र ने इस कुश्ती का प्रारंभ किया था. विदेशी पहलवानों में इजराइल फोर्स में काम करने वाले लाहत ने देसी पहलवानों के साथ कुश्ती लड़ी तो वहीं नीदरलैंड के पहलवान हरबर्ट ने जोड़ी गदा फेरकर (कुश्ती का दांव) बनारस के पहलवानों के साथ रियाज किया, वहीं स्पेन के पहलवान शांति नाग पंचमी के अवसर पर बनारसी अंदाज में नजर आए.
इजराइल फोर्स में काम करने वाले लाहत ने बताया कि हमारे दादाजी भारतीय थे, इसलिए मुझे भारत से जुड़ाव है और आज यहां पर आकर मैं कुश्ती में हिस्सा ले रहा हू, मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है. मैं पूरे देश में ताइक्वांडो और कुंग फू सीखा हूं, लेकिन आज बनारस में कुश्ती लड़कर बहुत ही आनंद आया.
संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वभरनाथ मिश्र ने बताया कि यह अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा स्थापित है. तब से लेकर आज तक नाग पंचमी के दिन साल भर यहां पर मेहनत करने वाले पहलवान कुश्ती दंगल का अपना कौशल दिखाते हैं. यहां हनुमान जी की एक पुरानी प्रतिमा है, जहां पहलवान अपनी कुश्ती के माध्यम से भगवान हनुमान जी महाराज की आराधना करते हैं. इस बार तो यहां पर इजरायल, नीदरलैंड, स्पेन से पहलवान आए हैं और वह भी कुश्ती लड़ रहे हैं. मुख्य रूप से पूरे देश का यह पहला अखाड़ा माना जाता है जहां पर महिलाओं को सीखने का और कुश्ती लड़ने का मौका दिया गया है.