ETV Bharat / state

विश्व वन्यजीव दिवस: जयपुर के गोविंद बने बेजुबानों के मसीहा, जान जोखिम में डालकर करते रक्षा

author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 3, 2024, 6:44 PM IST

World Wildlife Day 2024, हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस खास मौके पर ईटीवी भारत ने एक ऐसे शख्स से बात की, जो अपने जीवन को वन्यजीवों की सेवा के लिए समर्पित कर चुके हैं. साथ ही फिलहाल तक हजारों वन्यजीवों का उपचार कर चुके हैं.

World Wildlife Day 2024
World Wildlife Day 2024
जयपुर के गोविंद भारद्वाज

जयपुर. राजस्थान में एक शख्स ऐसा भी है, जो महज एक फोन पर बेजुबानों के इलाज के लिए दौड़ पड़ता है. जयपुर के पावटा तहसील निवासी गोविंद भारद्वाज दिन-रात वन्यजीवों की रक्षा में जुटे रहते हैं. गोविंद पशुपालन विभाग में एलएसए हैं, लेकिन बीते एक दशक से वन्यजीवों और पशु-पक्षियों का निशुल्क इलाज कर रहे हैं. उन्होंने अपना जीवन वन्यजीवों को समर्पित कर दिया है.

इनका किया उपचार : विश्व वन्यजीव दिवस के मौके पर जब विभिन्न मंचों पर वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर मंथन हो रहा है. वहीं, गोविंद भारद्वाज एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने खुद इनिशिएटिव लेते हुए वन्यजीवों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है. उन्होंने करीब 24 हजार 603 गाय, 2 हजार 371 नील गाय, 1 हजार 920 मोर, 154 बंगर, 61 लंगूर, 2 जरख, 3 बाज, 2 बिज्जू और 700 से ज्यादा छोटे परिन्दों का उपचार किया है. यही नहीं ऐसे 234 वन्य जीवों के बच्चों का निप्पल और बोतल से दूध पिलाकर पालन पोषण किया है, जिनकी मां मर गई या उन्हें जंगल में छोड़कर चली गई.

बेजुबानों का इलाज कर रहे गोविंद भारद्वाज
बेजुबानों का इलाज कर रहे गोविंद भारद्वाज

पढ़ें. मुहाना कंजर्वेशन रिजर्व बनेगा बर्ड्स का बड़ा डेस्टिनेशन, 139 प्रजातियों के पक्षी रिकॉर्ड

दवा और अन्य खर्चे खुद वहन करते हैं : गोविंद भारद्वाज ने अपनी जान की परवाह किए बिना कुएं में गिरकर घायल हुए 25 वन्य जीवों को निकालकर उनकी जान बचाई. करीब 6 हजार लावारिस गायों के प्लास्टर कर उन्हें चलने योग्य बनाया है. भारद्वाज विराटनगर, कोटपूतली, बानसूर, पावटा, शाहपुरा, नारायणपुर क्षेत्र में बेजुबान जीवों का उपचार करने जाते है. इन पशुओं के उपचार में काम आने वाली दवा और अन्य खर्चे वो खुद वहन करते हैं.

कोरोना काल में भी पशु-पक्षियों का जीवन बचाने में जुटे रहे : भारद्वाज ने कहा कि वन्य जीव प्रकृति की धरोहर है, इन्हें बचाना परम कर्तव्य है. ये बचेंगे तभी आने वाली पीढ़ियां इन्हें देख पाएंगी, वरना ये सिर्फ फोटो तक सिमट कर रह जाएंगे. चूंकि आजकल जंगलों का विनाश हो रहा है, ऐसे में उन्होंने अपील करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करें और वन्यजीवों की रक्षा करें. कोरोना काल में भी जब लोग अपना जीवन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस वक्त भी गोविंद भारद्वाज अपने साथी डॉ. गौरीशंकर शर्मा, मोहित शर्मा और दिव्या शर्मा के साथ बेजुबान घायल पशु-पक्षियों का जीवन बचाने में जुटे हुए थे.

बेजुबानों का इलाज कर रहे गोविंद भारद्वाज
बेजुबानों का इलाज कर रहे गोविंद भारद्वाज

पढ़ें. राजस्थान के राज्य पक्षी की अनदेखी, 2018 के बाद से अब तक नहीं हुई गोडावण की गणना

कुंए में उतरकर एक गीदड़ को निकाला : बीते साल अक्टूबर में शाहपुरा में अलवर तिराहे पर एक बंदर के मुंह से गर्दन तक लकड़ी आर-पार हो गई थी, जिसे निकालकर गोविंद भारद्वाज ने बंदर को नया जीवन दिया. इसी तरह दिसंबर 2023 को ग्राम जोधपुरा में उनके साथी दिव्या शर्मा और डॉ. गौरीशंकर शर्मा के साथ मिलकर उन्होंने कुंए में उतरकर एक गीदड़ को सकुशल निकालकर उसकी जान भी बचाई थी.

उन्होंने 2022 में फैली लम्पी बीमारी के दौरान उन्होंने करीब 1 हजार 500 से ज्यादा गायों की जान बचाई. गोविंद भारद्वाज ने बताया कि लम्पी काल में उनके साथी मोहित और दिव्या रोजाना सुबह उठकर जहां ज्यादा संख्या में गायों का झुंड बैठता था. वहां रोगाणुनाशन दवा डालना और गायों को चारा-पानी खिलाना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया था और ये दौर अभी भी बरकरार है.

जयपुर के गोविंद भारद्वाज

जयपुर. राजस्थान में एक शख्स ऐसा भी है, जो महज एक फोन पर बेजुबानों के इलाज के लिए दौड़ पड़ता है. जयपुर के पावटा तहसील निवासी गोविंद भारद्वाज दिन-रात वन्यजीवों की रक्षा में जुटे रहते हैं. गोविंद पशुपालन विभाग में एलएसए हैं, लेकिन बीते एक दशक से वन्यजीवों और पशु-पक्षियों का निशुल्क इलाज कर रहे हैं. उन्होंने अपना जीवन वन्यजीवों को समर्पित कर दिया है.

इनका किया उपचार : विश्व वन्यजीव दिवस के मौके पर जब विभिन्न मंचों पर वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर मंथन हो रहा है. वहीं, गोविंद भारद्वाज एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने खुद इनिशिएटिव लेते हुए वन्यजीवों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है. उन्होंने करीब 24 हजार 603 गाय, 2 हजार 371 नील गाय, 1 हजार 920 मोर, 154 बंगर, 61 लंगूर, 2 जरख, 3 बाज, 2 बिज्जू और 700 से ज्यादा छोटे परिन्दों का उपचार किया है. यही नहीं ऐसे 234 वन्य जीवों के बच्चों का निप्पल और बोतल से दूध पिलाकर पालन पोषण किया है, जिनकी मां मर गई या उन्हें जंगल में छोड़कर चली गई.

बेजुबानों का इलाज कर रहे गोविंद भारद्वाज
बेजुबानों का इलाज कर रहे गोविंद भारद्वाज

पढ़ें. मुहाना कंजर्वेशन रिजर्व बनेगा बर्ड्स का बड़ा डेस्टिनेशन, 139 प्रजातियों के पक्षी रिकॉर्ड

दवा और अन्य खर्चे खुद वहन करते हैं : गोविंद भारद्वाज ने अपनी जान की परवाह किए बिना कुएं में गिरकर घायल हुए 25 वन्य जीवों को निकालकर उनकी जान बचाई. करीब 6 हजार लावारिस गायों के प्लास्टर कर उन्हें चलने योग्य बनाया है. भारद्वाज विराटनगर, कोटपूतली, बानसूर, पावटा, शाहपुरा, नारायणपुर क्षेत्र में बेजुबान जीवों का उपचार करने जाते है. इन पशुओं के उपचार में काम आने वाली दवा और अन्य खर्चे वो खुद वहन करते हैं.

कोरोना काल में भी पशु-पक्षियों का जीवन बचाने में जुटे रहे : भारद्वाज ने कहा कि वन्य जीव प्रकृति की धरोहर है, इन्हें बचाना परम कर्तव्य है. ये बचेंगे तभी आने वाली पीढ़ियां इन्हें देख पाएंगी, वरना ये सिर्फ फोटो तक सिमट कर रह जाएंगे. चूंकि आजकल जंगलों का विनाश हो रहा है, ऐसे में उन्होंने अपील करते हुए कहा कि ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करें और वन्यजीवों की रक्षा करें. कोरोना काल में भी जब लोग अपना जीवन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस वक्त भी गोविंद भारद्वाज अपने साथी डॉ. गौरीशंकर शर्मा, मोहित शर्मा और दिव्या शर्मा के साथ बेजुबान घायल पशु-पक्षियों का जीवन बचाने में जुटे हुए थे.

बेजुबानों का इलाज कर रहे गोविंद भारद्वाज
बेजुबानों का इलाज कर रहे गोविंद भारद्वाज

पढ़ें. राजस्थान के राज्य पक्षी की अनदेखी, 2018 के बाद से अब तक नहीं हुई गोडावण की गणना

कुंए में उतरकर एक गीदड़ को निकाला : बीते साल अक्टूबर में शाहपुरा में अलवर तिराहे पर एक बंदर के मुंह से गर्दन तक लकड़ी आर-पार हो गई थी, जिसे निकालकर गोविंद भारद्वाज ने बंदर को नया जीवन दिया. इसी तरह दिसंबर 2023 को ग्राम जोधपुरा में उनके साथी दिव्या शर्मा और डॉ. गौरीशंकर शर्मा के साथ मिलकर उन्होंने कुंए में उतरकर एक गीदड़ को सकुशल निकालकर उसकी जान भी बचाई थी.

उन्होंने 2022 में फैली लम्पी बीमारी के दौरान उन्होंने करीब 1 हजार 500 से ज्यादा गायों की जान बचाई. गोविंद भारद्वाज ने बताया कि लम्पी काल में उनके साथी मोहित और दिव्या रोजाना सुबह उठकर जहां ज्यादा संख्या में गायों का झुंड बैठता था. वहां रोगाणुनाशन दवा डालना और गायों को चारा-पानी खिलाना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया था और ये दौर अभी भी बरकरार है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.