भिलाई: भिलाई स्टील प्लांट ने एक और कीर्तिमान अपने नाम कर लिया है. विश्व के सबसे ऊंचे बने रेलवे पुलिस में भिलाई स्टील प्लांट का बना लोहा इस्तेमाल किया गया है. करीब 16 हजार टन स्टांग मेटल यहां से ब्रिज के लिए भेजा गया. 16 हजार टन में प्लेट्स, टीएमटी बार और स्ट्रक्चरल्स मेटल शामिल है. देश का मस्तक कहे जाने वाले जम्मू कश्मीर में चिनाब नदी पर ये ब्रिज बना है. चिनाब नदी के ऊपर बना यह पुल नदी तल से करीब 359 मीटर उंची है.
दुनिया के सबसे ऊंचे बने रेलवे पुल में लगा भिलाई स्टील प्लांट का बना लोहा: भिलाई स्टील प्लांट के मुताबिक पुल के निर्माण में करीब 29 हजार मिट्रिक टन स्टील और दस लाख क्यूबिक मीटर अर्थवर्क का इस्तेमाल हुआ है. इसके साथ ही 66 हजार क्यूबिक मीटर से अधिक कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है. पुल को मजबूती देने के लिए कॉक बोल्ट और केबल एंकर का इस्तेमाल किया गया है. 1.3 किलोमीटर लंबा यह पुल पेरिस के प्रतिष्ठित एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है. इसे इंजीनियरिंग की नायाब कारिगरी मानी जा रही है. भिलाई स्टील प्लांट दशकों से देश में होने वाले विकास कार्यो में अपनी अग्रणी भूमिका निभाता चला आ रहा है.
देश के विकास में बीएसपी का बड़ा योगदान: देश के विकास के लिए जब भी बड़े पैमाने पर पुल और बांधों का निर्माण किया जाता है, तब भिलाई स्टील प्लांट का लोहा और स्टील ही उसमें इस्तेमाल किया जाता है. सालों की अथक मेहनत के बाद भिलाई स्टील प्लांट ने ये विश्वास और भरोसा बनाया है. भिलाई स्टील प्लांट में काम करने वाले मजदूरों से लेकर अफसरों तक के लिए ये एक सम्मान की बात है.
कर्मचारियों का बढ़ा मान, देश का हुआ सम्मान: भिलाई स्टील प्लांट में बना लोहा और स्टील देश के रक्षा क्षेत्र से लेकर बिजली के क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता रहा है. भिलाई स्टील प्लांट में बना मेटल मुंबई के फेमस बांद्रा-वर्ली सी-लिंक के साथ अटल सेतु तक में इस्तेमाल किया जा चुका है. अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग, हिमाचल प्रदेश में अटल सुरंग और राष्ट्रीय महत्व की कई अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के निर्माण में भिलाई का बना लोहा काम आ चुका है. सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र ने दिल्ली में बने सेंट्रल विस्टा परियोजना में भी अपना योगदान दिया है.