अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में पहली बार विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर जागरूकता अभियान चलाया गया. इसमें सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने भाग लिया. जागरूकता रैली, व्याख्यान, पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता भी की गई. वाइस चांसलर प्रोफेसर नईम खातून ने रैली में भाग लेकर छात्रों को जागरूक किया.
एएमयू वाइस चांसलर प्रोफेसर नईमा खातून ने रैली में भाग लेकर खुद छात्रों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान को सफल बनाने के लिए सहभागिता निभाई. इस दौरान वाइस चांसलर नईमा खातून के द्वारा आर्ट फैकल्टी से यूनिवर्सिटी के बाबे सय्यद गेट तक छात्रों के साथ रैली में भाग लेकर इस अभियान को सफल बनाने के लिए अन्य छात्रों को जागरूक रहने की बात कही है. इस जागरूकता अभियान के तहत लोगों को आत्महत्या के प्रति जागरूक रहते हुए इसे रोकने की बात कही है, जिससे लगातार देश भर में हो रही आत्महत्याओं पर लगाम लगाई जा सके.
रैली में शामिल छात्रों ने बताया कि आजकल छोटी-छोटी बातों पर लोग मौत को गले लगा लेते हैं, जिसका खामियाजा परिवार को भुगतना पड़ता है. कई बार ऐसा भी होता है कि जिन बातों का हल निकल सकता है, उन बातों पर ही लोग आत्महत्या करने पर अपने आप को बेबस नजर आते हैं. जो चीजें बातों से खत्म हो सकती हैं उसको बातों से खत्म करना चाहिए, लेकिन कुछ लोग उन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए मौत को गले लगा लेते हैं. जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यह अभियान विश्व भर में लोगों को आत्महत्या के प्रति रोकने के लिए चलाया जा रहा है, जिससे आत्महत्याओं पर लगाम लगाई जा सके.
रैली में शामिल छात्रों ने कहा कि पढ़ाई से लेकर परिवार तक का बोझ छात्र अपने ऊपर लेकर चलते हैं, लेकिन छात्रों को चिंतन करने की जरूरत है. छात्रों को भविष्य में आगे बढ़ना चाहिए. तमाम परेशानियों से निपटने के लिए उन्हें अपने माता-पिता से बातचीत करती रहनी चाहिए. साथ ही माता-पिता को भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर बातचीत करते रहना चाहिए जिससे छात्रों को आत्महत्या से रोका जा सके. एएमयू वाइस चांसलर प्रोफेसर नईम खातून ने कहा कि जिस तरह से नौकरी को लेकर लोगों पर बोझ रहता है, उसको लेकर यह जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. अपने परिवार का ध्यान रखने के लिए लोग आपस में ज्यादा से ज्यादा बातचीत करें, जिससे आत्महत्या को रोका जा सकता है.
छात्रों ने बताया कि विद्यार्थियों पर पढ़ाई लिखाई से लेकर परिवार तक का बोझ रहता है, लेकिन छात्रों और उनके परिवारीजनों को आपस में बातचीत करके सारे हल निकालना चाहिए, नाकि छात्रों को आत्महत्या करनी चाहिए. युवा ज्यादातर आत्महत्या की ओर जा रहे हैं. उन्हें सोचने की जरूरत है. आत्महत्या से बचने की भी जरूरत है.