लखनऊ : साड़ी भारतीय परंपरा को दर्शाती है. इन दिनों लखनऊ की मशहूर चिकन की साड़ियों का अलग ही क्रेज देखने को मिल रहा है. आम महिला हो या फिर सेलिब्रिटी हर किसी को लखनऊ की कारीगरी वाली साड़ियां बेहद लुभा रही हैं. लखनऊ की चिकनकारी विश्व भर में प्रसिद्ध है. यहां से विदेशों तक साड़ियां जाती हैं. हमेशा ट्रेंड बदलता रहता है, इस बार अलग-अलग तरह के कपड़ों पर अब चिकनकारी हो रही है. शिफॉन में कई तरह के कपड़े आते हैं.
शिफॉन के कपड़े बहुत बारीक होते हैं, उसमें भी अब चिकन कारीगरी हो रही है. बहुत ही बारीकी से इनमें काम किया जाता है. ज्यादातर महिलाएं शिफॉन की चिकनकारी साड़ी को अपने कलेक्शन में जरूर रखती हैं. यह एक लखनऊ आर्ट है, जिसमें एम्ब्रॉयडरी या ब्लॉक प्रिंटिंग की जाती है.
व्यापारी वर्तिका पंजाबी ने बताया कि लखनऊ से विश्वभर में चिकन कारीगरी की साड़ियां जाती हैं. हर किसी को यह बहुत ही आकर्षित करती हैं. खास बात यह है कि शादियों के सीजन में महिलाएं चिकन कारीगरी वाली साड़ी भी अपनी साड़ियों के कलेक्शन में शामिल कर रही हैं. चिकन कारीगरी साड़ी है तो यह किसी हल्के रंग में या सफेद रंग में होगी. ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. अब हर रंग में, हर फैब्रिक में चिकन कारीगरी हो रही है और इतनी बेहतरीन हो रही है कि एक नजर में हर किसी को लुभा रही है.
उन्होंने बताया कि इस समय बहुत सारी चीज बदल चुकी है. हर तरीके के फैब्रिक पर चिकनकारी हो रही है. खासकर अगर हम अपनी भारतीय परिधान साड़ी की बात करें तो सर्दियों में भी अब हर तरह के फैब्रिक पर चिकन की कढ़ाई की जा रही है. हालांकि, यह बहुत मेहनत का काम है. इसे करने में कारीगर को करीब एक से दो महीना लग जाता है.
आज के समय में हर किसी को सिल्क की साड़ियां बहुत पसंद होती हैं. सिल्क पर भी चिकन कारीगरी हो रही है, जिस पर बंधे वाली कढ़ाई होती है और इसे करने में कारीगर को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. इसकी कीमत निर्भर करती है कि ग्राहक कौन सी साड़ी पसंद कर रहा है. करीब तीन से चार हजार से शुरुआत हो जाती है, बाकी साड़ी पर किए गए वर्क के ऊपर आधारित होता है.
शिफॉन सबसे बारीक फैब्रिक: उन्होंने बताया कि शिफॉन फैब्रिक बहुत महीन होता है. यह ऐसा फैब्रिक है, जिस पर अगर जरा सा भी इधर-उधर हुआ तो कपड़ा भसक जाता है. शिफॉन पर भी अब चिकन कारीगरी हो रही है. इसे बहुत ही बारीकी से किया जाता है. एक साड़ी को बनाने में तीन से चार कारीगर लगते हैं, तब इसे तैयार किया जाता है.
चिकन साड़ियों का ट्रेंड वापस आ चुका है. पॉलीटिशियन से लेकर सेलिब्रिटी तक हर महिला चिकन की साड़ी को पहनना पसंद कर रही है. खासकर यह इतना स्टाइलिश हो चुका है, कि इसे पहने में हर महिला को कॉन्फिडेंस महसूस होता है. एक नॉर्मल चिकन की साड़ी 500 से शुरू हो जाती है. अलग-अलग फैब्रिक का अलग-अलग शुल्क है.
जॉर्जेट में भी एक से बढ़कर एक कलेक्शन : महिला कारीगर ने बताया कि बीते 15 वर्षों से वह चिकन कारीगरी का काम कर रही है. इसी से उनका रोजगार है. उन्होंने बताया कि जॉर्जेट फैब्रिक में चिकन कारीगरी हो रही है, जिसको बहुत बारीकी से तैयार किया जाता है. एक साड़ी को बनाने में एक महीना तो पूरा लग जाता है. यह एक लखनऊ आर्ट है, जिसमें एम्ब्रॉयडरी या ब्लॉक प्रिंटिंग की जाती है.
खूब भा रहीं अलग-अलग रंगों की साड़ियां : उन्होंने बताया कि पिछले 5 वर्षों में देखा गया है कि चिकन कारीगरी वाली साड़ियां बहुत ज्यादा ट्रेंड में हैं और एक नजर में महिलाओं को पसंद आ रही हैं. इसमें अलग-अलग फैब्रिक में और अलग-अलग रंगों में भी अब चिकन की साड़ियां उपलब्ध हैं. चिकन कारीगरी की साड़ियां उपलब्ध हैं. चिकन शिफॉन की साड़ियां उपलब्ध हैं. शादियों में हर कोई अब इनकी ओर आकर्षित हो रहा है. दुल्हन भी अपनी साड़ियों के कलेक्शन में चिकन कारीगरी वाली साड़ी जरूर शामिल कर रही हैं. यहां तक की दुल्हन के लिए लाल जोड़े वाली साड़ियां भी उपलब्ध हैं, जिस पर चिकन कारीगरी की गई है.
अलग-अलग कपड़ों पर होती है कारीगरी : एक और महिला कारीगर ने बताया कि टेप्ची, कांटा, पंखड़ी, लौंग जंजीरा, राहत, बंगला जाली, मुंदराजी जाजी, सिद्दौर जाली, बुलबुल चश्म जाली की कारीगरी होती है. उन्होंने बताया कि चिकन कारीगरी में सबसे पहले डिजाइन बनाया जाता है और फिर उसके ऊपर चिकन का काम किया जाता है. चिकन कढ़ाई ज्यादातर कॉटन, सेमी-जॉर्जेट, प्योर जॉर्जेट, क्रेप जैसे कपड़ों पर की जाती है. अब धीरे-धीरे अलग-अलग तरीके के फैब्रिक पर इसका काम किया जा रहा है, जिसमें सिर्फ शिफॉन और सिल्क भी शामिल हो गया है.