जयपुर. 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है. जनसंख्या दिवस मनाने का मुख्य मकसद लोगों को बढ़ती जनसंख्या से होने वाली वैश्विक समस्याओं के प्रति जागृत करना है. जनसंख्या के लिहाज से यदि राजस्थान की बात की जाए, तो जनगणना 2011 के अनुसार राजस्थान की कुल आबादी 6 करोड़ 85 लाख 48 हजार 437 आंकी गई थी. हालांकि, इसके बाद अभी तक जनसंख्या को लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया है. फिर भी माना जा रहा है कि राजस्थान की मौजूदा जनसंख्या 8 करोड़ से अधिक पहुंच गई है. वहीं, राजस्थान भले ही क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन जनसंख्या के आधार पर राजस्थान का नंबर देश में सातवां है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर समय-समय पर कई कार्यक्रम राजस्थान में सरकार की ओर से चलाए जा रहे हैं और हर बार जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक मजबूत कानून बनाने की मांग उठती रही है.
राजस्थान में कानून : राजस्थान में वैसे तो जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कोई मजबूत कानून नहीं बना है, लेकिन दो दशक पहले राजस्थान मे जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक कानून लाया गया था, जिसके अनुसार जिन प्रतिनिधियों के दो से अधिक बच्चे होंगे वे पंचायत में निकाय का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. राजस्थान में वर्ष 2002 में यह कानून बना दिया गया था. इसके साथ ही सरकारी नौकरी में भी इसे लागू किया गया था. सरकारी नौकरी में आने के बाद दो से ज्यादा बच्चे होते हैं, तो सरकार ने प्रमोशन पर रोक लगा दी थी. हालांकि, बाद में इसमें बदलाव कर दिया गया.
सरकार उठा रही ये कदम : जनसंख्या नियंत्रण को लेकर सरकार लगातार कदम उठा रही है. इसके तहत सरकार कई अभियान चला रही है, जिसमें टीवी विज्ञापन, पोस्टर और होर्डिंग्स, साल भर चलने वाला रेडियो शो और परिवार नियोजन को लेकर कार्यक्रम शामिल हैं. जागरूकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस पखवाड़ा और पुरुष नसबंदी पखवाड़ा मनाया जाता है. उच्च प्रजनन मिशन परिवार विकास जिलों में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रचार गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. सरकार गुणवत्तापूर्ण परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है.
इसी तरह नए गर्भनिरोधक जैसे कि इंजेक्शन योग्य गर्भनिरोधक और सेंटक्रोमैन को मौजूदा विकल्पों में शामिल किया गया है. प्रसव के तुरंत बाद आईयूसीडी लगाने की विधि भी शुरू की गई है. कंडोम, ओ.सी.पी. और ई.सी.पी. की पैकेजिंग में सुधार किया गया है. इसे दुबारा डिजाइन किया गया है, ताकि इन वस्तुओं की मांग में वृद्धि हो सके. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय लाभार्थी को मजदूरी की हानि के लिए तथा नसबंदी करने वाली टीम को भी मुआवजा प्रदान करता है.
क्लिनिकल आउटरीच टीम (सीओटी) योजना : यह योजना दूर-दराज, कम सुविधा वाले और भौगोलिक दृष्टि से कठिन क्षेत्रों में मान्यता प्राप्त संगठनों की मोबाइल टीमों के माध्यम से परिवार नियोजन सेवाएं प्रदान करने के लिए शुरू की गई है. इसमें आशा कार्यकर्ताओं द्वारा लाभार्थियों के घर तक गर्भ निरोधकों की होम डिलीवरी की योजना है.