इंदौर। इंदौर और मालवा का प्रसिद्ध नाश्ता यानी पोहा जहां अब दुनिया भर में इंदौर की पहचान बन चुका है. वहीं इंदौरी अब पोहे की मार्केटिंग के लिए बाकायदा पोहा दिवस मना रहे हैं. आज 7 जून को इंदौर में पोहा दिवस मनाया जा रहा है. जहां सभी लोग दिन की शुरुआत पोहा खाकर कर रहे हैं. शहर में मुख्य आयोजन राजवाड़ा पर हुआ, जहां नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला, गोलू शुक्ला, महापौर पुष्यमित्र भार्गव आदि लोगों ने एक साथ पोहा खाते हुए पोहा दिवस की शुरुआत की.
इंदौर में पोहे की 1 हजार से ज्यादा दुकानें
दरअसल मालवांचल में कई दशकों से पोहा सुबह का सबसे चर्चित नाश्ता रहा है. इतना ही नहीं पोहे के जायके के कारण अब इंदौर का नाम पूरी दुनिया में है. यहां पोहे की करीब 1000 से ज्यादा दुकानें हैं, जहां लोग सुबह से ही बड़ी संख्या में पोहे का नाश्ता करने पहुंचते हैं. अब स्थिति यह है कि इंदौर के नाम के साथ पोहा जुड़ चुका है. यही वजह है अब इंदौर में पोहे की ब्रांडिंग भी हो रही है. इंदौर में पोहा दिवस 7 जून को मनाया जाता है. इस दौरान लोग शहर की प्रसिद्ध दुकानों पर पोहा खाने पहुंचते हैं.
इंदौर के राजवाड़ा में मना पोहा दिवस
आज शुक्रवार को शहर में पोहा दिवस की शुरुआत शहर के राजवाड़ा से हुई. जहां नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने पोहा दिवस की शुरुआत पोहा खाकर की. इस दौरान उन्होंने कहा ''पोहा एक स्वास्थ्यवर्धक और आसानी से पचने वाला नाश्ता है, जिसका कोई शारीरिक नुकसान नहीं है. जबकि आजकल के बच्चे पिज्जा, बर्गर और मोमोज जैसे जहरीले व्यंजन खा रहे हैं. पोहा ही हमें और हमारी पीढ़ी को ऐसे जहरीले खाद्य पदार्थों से बचा सकता है, इसलिए इसकी मार्केटिंग जरूरी है.''
विजयवर्गीय बोले- सेहत के लिए जहर हैं पिज्जा, बर्गर
कैलाश विजयवर्गीय ने आगे कहा कि ''पिज्जा, बर्गर के अलावा मैदा भी हमारे लिए जहर है. इसलिए पोहे खाने में कोई बुराई नहीं है.'' उन्होंने कहा न केवल इंदौर, बल्कि पूरे भारत के साथ पोहा अमेरिका, जापान, कनाडा जैसे देशों में भी खाया जा रहा है. इतना ही नहीं देश के विभिन्न इलाकों में इंदौर के नाम से पोहा परोसा जा रहा है, यह हमारे लिए गौरव की बात है. इसलिए अब इस पोहा दिवस को भविष्य में हर साल बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा. जहां पोहे की ब्रांडिंग शेयर भर में की जाएगी.''
इंदौर में करीब 90 टन की खपत
उज्जैन में तैयार होने वाला पोहा इंदौर में इस कदर लोकप्रिय है कि यहां रोज 80 से 90 टन पोहा शहर की करीब 1000 से ज्यादा नाश्ते की दुकानों और होटल पर बिक जाता है. शहर में कुछ दुकानें तो ऐसी हैं जो पोहे का ब्रांड बन चुकी हैं, जहां लोग बड़ी मात्रा में प्रतिदिन पोहा खाते हैं. इतना ही नहीं पोहे को लेकर दीवानगी यह है कि यहां पोहे में भी अलग-अलग प्रकार के प्रयोग हो रहे हैं. सादे पोहे के साथ अब ऊसल पोहा अभी इंदौर में काफी चर्चित है, जो नमकीन मसाले और तैयार की गई दाल के साथ भरोसा जाता है. इसके अलावा पोहे पर लगातार प्रयोग होते हैं, कहीं यह जलेबी के साथ परोसा जाता है तो कहीं जीरावन के साथ.
पोहे पर कविताएं और गाने
इंदौर में पोहा इस कदर लोकप्रिय है कि वह पर अब कविताएं और गाने भी बन चुके हैं. हाल ही में यहां एक कविता पोहा दिवस पर चर्चा में रही, जिसे शहर में होर्डिंग के साथ दर्शाया गया. इसके अलावा पोहे पर अब गाने भी तैयार किए गए हैं, जिसमें ठेले वाले बाबू मुझे पोहे खिला दे और पोहा है नमकीन जैसे लिरिक्स पर बजते हैं.
"पोहे संग सेव मिले
धनिया संग रहे प्याज
नींबू संग जीरावन हो तो
बचे न कोई आस"
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उज्जैन से होता है पोहे का उत्पादन
खास बात यह है कि पोहा उज्जैन और आसपास के इलाकों में तैयार होता है. जबकि पोहे की सर्वाधिक खपत इंदौर में है. उज्जैन में करीब 75 साल से पोहा निर्माण का काम किया जाता है. यहां छोटी बड़ी करीब 40 इंडस्ट्री पोहा निर्माण करती हैं, जो रोज 200 तन पोहा तैयार करके डिमांड के अनुरूप इंदौर और अन्य इलाकों में भेजती है. यह बात और है कि डिमांड के अनुरूप उज्जैन से भी पोहे का उत्पादन नहीं हो पाता. यही वजह है कि अब यहां पोहा इंडस्ट्री लगाने की तैयारी है. हालांकि उज्जैन में पोहा तैयार करने के लिए चावल की आवक गुजरात, छत्तीसगढ़ समेत अन्य इलाकों से होती है. इसके बाद पोहा तैयार करके एक्सपोर्ट कर दिया जाता है. अब स्थिति यह है कि न केवल इंदौर और मध्य प्रदेश बल्कि पोहा अमेरिका, जापान और कनाडा में भी बड़ी चाव से खाया जा रहा है.