सरगुजा: कोई भी एनजीओ या नॉन गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन, यह एक गैर सरकारी संगठन होता है. यह सरकार का नहीं होता, फिर भी संविधान के दायरे में रहते हुए देश और समाज हित में सरकार के विभिन्न बिंदुओं पर कार्य करते हुए अपना योगदान देती है. कोई भी एनजीओ 3 प्रकार के अधिनियमों के तहत पंजीकृत होता है. एक राज्य पंजीकरण, यहां छत्तीसगढ़ राज्य पंजीयन अधिनियम एक्ट है. ऐसे ही मध्यप्रदेश, बिहार एवं प्रत्येक राज्य का है. दूसरा कंपनी एक्ट के तहत, तीसरा ट्रस्ट एक्ट के तहत रजिट्रेशन कराया जाता है.
समाज के विकास एनजीओ देता है योगदान: एनजीओ सेक्टर में काम कर रहे वरिष्ठ समाज सेवी मंगल पांडेय बताते हैं, "सामान्य तौर पर लोग सोचते हैं कि एनजीओ केवल आध्यात्मिक, धार्मिक या आपदा प्रबंधन के समय ही काम करता है, लेकिन ऐसा नहीं है. मैं मानता हूं कि संविधान के नियम के तहत समाज के विकास के लिये जो काम अवैधानिक नहीं है, वो सभी काम एनजीओ कर सकता है. विदेशों में जो एनजीओ होता है, वो सरकार के अंग जैसे जिला पंचायत या कलेक्ट्रेट है, ये एनजीओ ही चलाते हैं. हमारे देश में आजादी के बाद एनजीओ ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम किया है. भारत के विकास में इनका बड़ा योगदान रहा है."
एनजीओ का उद्देश्य है समाजसेवा: मंगल पांडेय का मानना है कि, "एनजीओ में जो काम करते हैं, जिनका उद्देश्य ही समाजसेवा है, वो अपने उद्देश्य से नहीं भटकते. मेरा 30 साल का अनुभव ये कहता है कि एक तो वो लोग होते हैं, जो सही मायने में सामाजिक काम करने के लिये रजिस्ट्रेशन कराए हैं. सरकार के साथ मिलकर, विदेशी फंडिंग एजेंसियों के साथ मिलकर और कम्यूनिटी के साथ मिलकर काम करते हैं. दूसरे वे लोग हैं जो राजनीतिक प्रभाव वाले लोग हैं. आईएएस लोग भी एनजीओ पंजीकृत कराकर रखते हैं और शासन के जो काम है, उन कामों को अपने स्तर पर लेकर करते हैं. जिसके बाद शिकायत मिलती है कि एनजीओ पैसा लेकर भाग गया या उसने काम नहीं किया."
मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि जो भी संस्था समाज सेवा करती है, वो कभी गलत काम नहीं करती है. लेकिन राजनीतिक प्रभाव वाले लोग इसका दुरुपयोग करते हैं. जिसका दुष्प्रभाव समाज पर पड़ता है. एनजीओ और समाज के बीच दूरी भी बढ़ती जाती है. - मंगल पांडेय, एनजीओ संचालक
कोविड के समय कई एनजीओ ने की मदद: जब कोविड के समय कई एनजीओ सामने आये और कई सारे लोगों ने एनजीओ को सहयोग किया. इस तरह एनजीओ ने लोगों को राशन, खाना स्वच्छता सामग्री पहुंचाई. इस दौरान एनजीओ, शासन और स्वास्थ्य विभाग के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे. इससे पता चलता है कि एनजीओ की उपयोगिता कितनी है.
दरअसल, कई बार एनजीओ पर भ्रष्टाचार, गबन के बड़े आरोप भी लगते रहे हैं. दस्तावेज उपलब्ध नहीं करने के कारण सरकार ने कई एनजीओ का पंजीयन भी निरस्त किया था. लेकिन ये भी सच हैं कि इतने बड़े देश में आपदा प्रबंधन के समय मदद पहुंचाने में एनजीओ सहायक साबित होते हैं. अम्बिकापुर की बात करें तो कोरोना से होने वाली मौत में जब शव के अंतिम संस्कार के लिए परिजन को राक दिया गया. तब एनजीओ के लोगों ने अपनी जान के परवाह किये बगैर कोरोना पीड़ित मृतकों का अन्तिम संस्कार का जिम्मा उठाया था.