ETV Bharat / state

आदिवासी महिला किसान स्मार्ट खेती से बनी लखपति, नेशनल रूरल लाईवलीहुड मिशन ने दिया सहारा - WOMEN FARMER BECOME MILLIONAIR

सरगुजा में एक आदिवासी महिला किसान उन महिलाओं के लिए उदाहरण हैं जो विपरित परिस्थियों में हौंसला खो देती हैं.आईए जानते हैं ये कौन हैं.

National Rural Livelihood Mission
आदिवासी महिला किसान स्मार्ट खेती से बनी लखपति (ETV BHARAT CHATTISGARH)
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 14, 2025, 6:53 AM IST

Updated : Feb 14, 2025, 3:15 PM IST

सरगुजा : देश और प्रदेश में चल रही नेशनल रूरल लाईवलीहुड मिशन की योजना धीरे-धीरे कमाल कर रही है. इस योजना से ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल रही है. वनांचल में रहने वाली ग्रामीण आदिवासी महिला अब मेट्रो सिटी के जैसी वर्किंग वूमेन बन रही है. भले ही ये महिलाएं कम पढ़ी लिखी है. लेकिन इन्होंने स्वरोजगार से पैसे कमाएं और पैसों से ना सिर्फ अपने जीवन को बेहतर बनाया बल्कि आगे की पढ़ाई भी पूरी की. अब ऐसी कई कहानियां सरगुजा जैसे वनांचल से सामने आती है.ऐसी ही एक कहानी है सुषमा सिंह की.


छोटे से गांव की लखपति महिला : सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखंड का गांव अमगसी है. इस गांव में रहने वाली एक आदिवासी महिला सुषमा आत्मनिर्भर और लखपति बन चुकी है. बिहान योजना के तहत सुषमा महिला समूह से जुड़ी और कई तरह की एक्टिविटी शुरु की. सुषमा और उसके पति दोनों ही इस योजना में काम भी करते हैं. जिसके लिए उन्हें 5-5 हजार प्रति माह मानदेय भी मिलता है. सुषमा बकरी पालन, मुर्गी पलान, मछली पालन करती है. खेती का ये तरीका इतना उन्नत है इससे सिर्फ फायदा होता है नुकसान नहीं.

आदिवासी महिला किसान स्मार्ट खेती से बनी लखपति (ETV BHARAT CHATTISGARH)


क्यों हुआ सुषमा को फायदा : इस अनोखी खेती में फायदा अधिक इसलिए होता है क्योंकि प्रशासन के नवाचार का सही उपयोग सुषमा जैसे कृषक कर रहे हैं. बकरी पालन में उसने सिरोही नस्ल का पालन किया है जिसका वजन करीब 50 से 60 किलो तक होता है. वहीं मुर्गी पालन में भी सुषमा ने विशेष नस्ल की मुर्गियां पाली हैं. एक एक मुर्गी का वजन 20 से 21 किलो तक होता है. वहीं बायलर मुर्गा और मछली पालन से भी सुषमा को मुनाफा होता है.सुषमा के मुताबिक उसे साल में तीन लाख तक का मुनाफा होता है.

National Rural Livelihood Mission
सुषमा सिंह ने परिवार के लिए बनवाया है घर (ETV BHARAT CHATTISGARH)

बकरी से एक साल में करीब 60 हजार का मुनाफा होता है, पिछले साल 70 हजार की मछली बेचे थे. वहीं मुर्गी पालन में एक सीजन में करीब डेढ़ लाख का मुनाफा होता है. करीब तीन लाख की कमाई हर साल घर की बाड़ी से होती है.बिहान से मिलने वाला मानदेय अलग है. खुद के लिए घर बनवाया है.साथ ही पति के लिए बाइक और खुद के लिए स्कूटी खरीदी है. बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं - सुषमा,महिला किसान

महिला कृषक सुषमा के जीवन से अब आर्थिक मजबूरियां दूर हो चुकी है. दसवीं फेल होने के बाद सुषमा ने पढ़ाई छोड़ दी थी. शादी के बाद घर वालों ने भी साथ नहीं दिया. पति के साथ अकेले संघर्ष कर रही थी. लेकिन बिहान से जुड़ने के बाद सुषमा ने ना सिर्फ बारहवीं तक पढ़ाई पूरी की,बल्कि अब सीएलएफ में लेखापाल की जिम्मेदारी उठा रही हैं.

National Rural Livelihood Mission
बकरी मुर्गी और मछली पालन से आमदनी (ETV BHARAT CHATTISGARH)

क्या है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और DAY राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन - ये दोनों मिशन गरीबों के लिए आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए बनाए गए हैं. यह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन गरीबी को कम करने और स्थायी आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए है. यह मिशन ग्रामीण गरीबों को वित्तीय सेवाओं, आर्थिक सेवाओं और अन्य अधिकारों का लाभ दिलाता है. यह मिशन स्वरोजगार को बढ़ावा देता है और ग्रामीण गरीबों के संगठन पर केंद्रित है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन गरीबों को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित करता है. यह मिशन समाज के वंचित वर्गों को समावेशित करता है.

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत 13 राज्यों के 77 जिलों में कुल 152 वित्तीय साक्षरता और सेवा वितरण केंद्र (सक्षम केंद्र) शुरू किए गए. सक्षम केन्द्रों का उद्देश्य वित्तीय साक्षरता प्रदान करना और स्वयं सहायता समूह के सदस्यों और ग्रामीण गरीबों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है. वित्तीय साक्षरता एवं सेवा वितरण केन्द्र (सीएफएलएंडएसडी) ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) परिवारों की बुनियादी वित्तीय आवश्यकताओं के लिए वन-स्टॉप समाधान/एकल खिड़की प्रणाली के रूप में कार्य करेगा. इन केंद्रों का प्रबंधन स्वयं सहायता समूह नेटवर्क द्वारा किया जाएगा. मुख्यतः क्लस्टर स्तरीय संघों (सीएलएफ) के स्तर पर प्रशिक्षित सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी) की सहायता करेगा.

एनआरएलएम के तहत किए जाने वाले कुछ काम

  • गरीबों को औपचारिक क्रेडिट की सुविधा देना
  • आजीविका के विविधीकरण और मज़बूती के लिए समर्थन देना
  • एंटाइटेलमेंट और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच मुहैया कराना
  • समुदाय-आधारित संस्थानों को बढ़ावा देना
  • वित्तीय सेवाओं, आर्थिक सेवाओं, और अन्य अधिकारों का प्रावधान करना
  • महिलाओं के लिए मजबूत संस्थाएं बनाना
  • वित्तीय एवं आजीविका सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना


छत्तीसगढ़ में किसान बढ़ा रहे फूलों का उत्पादन, पिछले साल उत्पादन का आंकड़ा 111.8 हजार मीट्रिक टन

Valentine Day 2025 : प्यार का इजहार करने का खास दिन वैलेंटाइन डे, फूलों और गिफ्ट से ऐसे जीते दिल

झिटकु मिटकी की अमर प्रेम कहानी, पानी के लिए 7 भाइयों ने की इकलौती बहन के प्यार की हत्या

सरगुजा : देश और प्रदेश में चल रही नेशनल रूरल लाईवलीहुड मिशन की योजना धीरे-धीरे कमाल कर रही है. इस योजना से ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल रही है. वनांचल में रहने वाली ग्रामीण आदिवासी महिला अब मेट्रो सिटी के जैसी वर्किंग वूमेन बन रही है. भले ही ये महिलाएं कम पढ़ी लिखी है. लेकिन इन्होंने स्वरोजगार से पैसे कमाएं और पैसों से ना सिर्फ अपने जीवन को बेहतर बनाया बल्कि आगे की पढ़ाई भी पूरी की. अब ऐसी कई कहानियां सरगुजा जैसे वनांचल से सामने आती है.ऐसी ही एक कहानी है सुषमा सिंह की.


छोटे से गांव की लखपति महिला : सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखंड का गांव अमगसी है. इस गांव में रहने वाली एक आदिवासी महिला सुषमा आत्मनिर्भर और लखपति बन चुकी है. बिहान योजना के तहत सुषमा महिला समूह से जुड़ी और कई तरह की एक्टिविटी शुरु की. सुषमा और उसके पति दोनों ही इस योजना में काम भी करते हैं. जिसके लिए उन्हें 5-5 हजार प्रति माह मानदेय भी मिलता है. सुषमा बकरी पालन, मुर्गी पलान, मछली पालन करती है. खेती का ये तरीका इतना उन्नत है इससे सिर्फ फायदा होता है नुकसान नहीं.

आदिवासी महिला किसान स्मार्ट खेती से बनी लखपति (ETV BHARAT CHATTISGARH)


क्यों हुआ सुषमा को फायदा : इस अनोखी खेती में फायदा अधिक इसलिए होता है क्योंकि प्रशासन के नवाचार का सही उपयोग सुषमा जैसे कृषक कर रहे हैं. बकरी पालन में उसने सिरोही नस्ल का पालन किया है जिसका वजन करीब 50 से 60 किलो तक होता है. वहीं मुर्गी पालन में भी सुषमा ने विशेष नस्ल की मुर्गियां पाली हैं. एक एक मुर्गी का वजन 20 से 21 किलो तक होता है. वहीं बायलर मुर्गा और मछली पालन से भी सुषमा को मुनाफा होता है.सुषमा के मुताबिक उसे साल में तीन लाख तक का मुनाफा होता है.

National Rural Livelihood Mission
सुषमा सिंह ने परिवार के लिए बनवाया है घर (ETV BHARAT CHATTISGARH)

बकरी से एक साल में करीब 60 हजार का मुनाफा होता है, पिछले साल 70 हजार की मछली बेचे थे. वहीं मुर्गी पालन में एक सीजन में करीब डेढ़ लाख का मुनाफा होता है. करीब तीन लाख की कमाई हर साल घर की बाड़ी से होती है.बिहान से मिलने वाला मानदेय अलग है. खुद के लिए घर बनवाया है.साथ ही पति के लिए बाइक और खुद के लिए स्कूटी खरीदी है. बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं - सुषमा,महिला किसान

महिला कृषक सुषमा के जीवन से अब आर्थिक मजबूरियां दूर हो चुकी है. दसवीं फेल होने के बाद सुषमा ने पढ़ाई छोड़ दी थी. शादी के बाद घर वालों ने भी साथ नहीं दिया. पति के साथ अकेले संघर्ष कर रही थी. लेकिन बिहान से जुड़ने के बाद सुषमा ने ना सिर्फ बारहवीं तक पढ़ाई पूरी की,बल्कि अब सीएलएफ में लेखापाल की जिम्मेदारी उठा रही हैं.

National Rural Livelihood Mission
बकरी मुर्गी और मछली पालन से आमदनी (ETV BHARAT CHATTISGARH)

क्या है राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) और DAY राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन - ये दोनों मिशन गरीबों के लिए आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए बनाए गए हैं. यह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन गरीबी को कम करने और स्थायी आजीविका के अवसर पैदा करने के लिए है. यह मिशन ग्रामीण गरीबों को वित्तीय सेवाओं, आर्थिक सेवाओं और अन्य अधिकारों का लाभ दिलाता है. यह मिशन स्वरोजगार को बढ़ावा देता है और ग्रामीण गरीबों के संगठन पर केंद्रित है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन गरीबों को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित करता है. यह मिशन समाज के वंचित वर्गों को समावेशित करता है.

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत 13 राज्यों के 77 जिलों में कुल 152 वित्तीय साक्षरता और सेवा वितरण केंद्र (सक्षम केंद्र) शुरू किए गए. सक्षम केन्द्रों का उद्देश्य वित्तीय साक्षरता प्रदान करना और स्वयं सहायता समूह के सदस्यों और ग्रामीण गरीबों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है. वित्तीय साक्षरता एवं सेवा वितरण केन्द्र (सीएफएलएंडएसडी) ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) परिवारों की बुनियादी वित्तीय आवश्यकताओं के लिए वन-स्टॉप समाधान/एकल खिड़की प्रणाली के रूप में कार्य करेगा. इन केंद्रों का प्रबंधन स्वयं सहायता समूह नेटवर्क द्वारा किया जाएगा. मुख्यतः क्लस्टर स्तरीय संघों (सीएलएफ) के स्तर पर प्रशिक्षित सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी) की सहायता करेगा.

एनआरएलएम के तहत किए जाने वाले कुछ काम

  • गरीबों को औपचारिक क्रेडिट की सुविधा देना
  • आजीविका के विविधीकरण और मज़बूती के लिए समर्थन देना
  • एंटाइटेलमेंट और सार्वजनिक सेवाओं तक पहुंच मुहैया कराना
  • समुदाय-आधारित संस्थानों को बढ़ावा देना
  • वित्तीय सेवाओं, आर्थिक सेवाओं, और अन्य अधिकारों का प्रावधान करना
  • महिलाओं के लिए मजबूत संस्थाएं बनाना
  • वित्तीय एवं आजीविका सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना


छत्तीसगढ़ में किसान बढ़ा रहे फूलों का उत्पादन, पिछले साल उत्पादन का आंकड़ा 111.8 हजार मीट्रिक टन

Valentine Day 2025 : प्यार का इजहार करने का खास दिन वैलेंटाइन डे, फूलों और गिफ्ट से ऐसे जीते दिल

झिटकु मिटकी की अमर प्रेम कहानी, पानी के लिए 7 भाइयों ने की इकलौती बहन के प्यार की हत्या

Last Updated : Feb 14, 2025, 3:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.