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दैवीय प्रकोप नहीं बल्कि बैक्टीरियल बीमारी है कुष्ठ, प्रदेश में समय पर उपचार से स्वस्थ हुए 645 मरीज

World Leprosy Day, कुष्ठ की बीमारी आज भी हमारे समाज में विराजमान है. समय पर उपचार लिया जाए तो इस बीमारी से होने वाली शारीरिक विकृतियों से बचा जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर..

World Leprosy Day
विश्व कुष्ठ रोग दिवस
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 30, 2024, 1:18 PM IST

Updated : Jan 30, 2024, 2:21 PM IST

दैवीय प्रकोप नहीं बल्कि बैक्टीरियल बीमारी है कुष्ठ

भरतपुर. सिर की त्वचा सूखी लगे, त्वचा की क्षति होने लगे, आंखों की समस्या, त्वचा लाल व चिकनी होने लगे तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर जांच कराएं. ये कुष्ठ के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं. यह कोई देवीय प्रकोप नहीं बल्कि बैक्टीरिया जनित संक्रमण है, जिसका उपचार संभव है. समय पर उपचार लिया जाए तो इस बीमारी से होने वाली शारीरिक विकृतियों से बचा जा सकता है. प्रदेश में बीते 1 साल में समय पर बेहतर उपचार की वजह से 645 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. वहीं भरतपुर समेत प्रदेश भर में अभी भी 871 मरीजों का उपचार चल रहा है. आइए विश्व कुष्ठ रोग दिवस पर इस बीमारी के बारे में जानते हैं.

ये हैं प्रारंभिक लक्षण : उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (स्वास्थ्य) और कुष्ठ रोग नोडल अधिकारी डॉ. असित श्रीवास्तव ने बताया कि कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में कई प्रकार की भ्रांतियां हैं, लेकिन हकीकत में यह बीमारी माइकोबैक्टीरिया लेप्राई या माइकोबैक्टीरियम लेप्रोमैटोसिस बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है. कुष्ठ रोग के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानना जरूरी है. इनमें -

  • सिर की त्वचा सूखने लगती है.
  • त्वचा को नुकसान होने लगता है.
  • आंखों में समस्या होने लगती है.
  • कान, हाथ की त्वचा लाल व चिकनी होने लगती है.
  • त्वचा पर लाल धब्बे पड़ना शुरू हो जाते हैं.
  • हाथ पैर की उंगलियां विकृत होने लगती हैं.
  • त्वचा संवेदना शून्य होने लगती है.
    World Leprosy Day
    भरतपुर के दूरदर्शन केंद्र में मनाया गया कुष्ठ रोग दिवस

यदि समय पर उपचार नहीं लिया जाए तो यह बीमारी बढ़ जाती है. डॉ असित श्रीवास्तव ने बताया कि यदि मरीज समय रहते चिकित्सकीय परामर्श पर उपचार लेना शुरू कर देता है तो 6 से 12 माह तक उसका उपचार चलता है. समय पर उपचार से मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है. यदि समय पर उपचार नहीं लिया गया तो शरीर में विकृति बढ़ जाती हैं. बाद में उपचार से बीमारी तो ठीक हो जाती है लेकिन शारीरिक विकृति दूर नहीं हो पाती.

इसे भी पढ़ें- जानें क्यों मनाया जाता है विश्व कुष्ठ रोग दिवस, कब तक इस बीमारी के खात्मे का है लक्ष्य

जिले में 32 व प्रदेश में 871 एक्टिव केस : डॉ. असित श्रीवास्तव ने बताया कि फिलहाल भरतपुर जिले में कुष्ठ रोग के 32 एक्टिव मरीज हैं. इनका नियमित उपचार चल रहा है, जबकि प्रदेश में कुल 871 एक्टिव मरीज हैं. इनमें सर्वाधिक मरीज जयपुर में 168, उदयपुर में 123, कोटा में 93, झालावाड़ में 69, जोधपुर में 58, चित्तौड़गढ़ में 44 और बांसवाड़ा में 42 मरीज हैं, जबकि प्रदेश में सबसे कम कुष्ठ रोगी बाड़मेर में एक है. वहीं, चूरू-दौसा में 2-2, धौलपुर- बूंदी में 3-3 मरीज हैं.

एक साल में 645 मरीज स्वस्थ हुए : डॉ. असित ने बताया कि जिले में उपचार की बदौलत एक साल में करीब 15 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. जबकि प्रदेश में कुल 645 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. मंगलवार को शहर के दूरदर्शन केंद्र में कुष्ठ रोग दिवस मनाया गया. इस अवसर पर नोडल अधिकारी डॉ असित श्रीवास्तव, भाजपा के प्रदेश मंत्री गिरधारी तिवारी, डिप्टी प्रोग्राम कॉर्डिनेटर शरद शर्मा आदि ने मरीजों को कंबल, बैसाखी, बेंत आदि वितरित किए.

दैवीय प्रकोप नहीं बल्कि बैक्टीरियल बीमारी है कुष्ठ

भरतपुर. सिर की त्वचा सूखी लगे, त्वचा की क्षति होने लगे, आंखों की समस्या, त्वचा लाल व चिकनी होने लगे तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर जांच कराएं. ये कुष्ठ के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं. यह कोई देवीय प्रकोप नहीं बल्कि बैक्टीरिया जनित संक्रमण है, जिसका उपचार संभव है. समय पर उपचार लिया जाए तो इस बीमारी से होने वाली शारीरिक विकृतियों से बचा जा सकता है. प्रदेश में बीते 1 साल में समय पर बेहतर उपचार की वजह से 645 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. वहीं भरतपुर समेत प्रदेश भर में अभी भी 871 मरीजों का उपचार चल रहा है. आइए विश्व कुष्ठ रोग दिवस पर इस बीमारी के बारे में जानते हैं.

ये हैं प्रारंभिक लक्षण : उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (स्वास्थ्य) और कुष्ठ रोग नोडल अधिकारी डॉ. असित श्रीवास्तव ने बताया कि कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में कई प्रकार की भ्रांतियां हैं, लेकिन हकीकत में यह बीमारी माइकोबैक्टीरिया लेप्राई या माइकोबैक्टीरियम लेप्रोमैटोसिस बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है. कुष्ठ रोग के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानना जरूरी है. इनमें -

  • सिर की त्वचा सूखने लगती है.
  • त्वचा को नुकसान होने लगता है.
  • आंखों में समस्या होने लगती है.
  • कान, हाथ की त्वचा लाल व चिकनी होने लगती है.
  • त्वचा पर लाल धब्बे पड़ना शुरू हो जाते हैं.
  • हाथ पैर की उंगलियां विकृत होने लगती हैं.
  • त्वचा संवेदना शून्य होने लगती है.
    World Leprosy Day
    भरतपुर के दूरदर्शन केंद्र में मनाया गया कुष्ठ रोग दिवस

यदि समय पर उपचार नहीं लिया जाए तो यह बीमारी बढ़ जाती है. डॉ असित श्रीवास्तव ने बताया कि यदि मरीज समय रहते चिकित्सकीय परामर्श पर उपचार लेना शुरू कर देता है तो 6 से 12 माह तक उसका उपचार चलता है. समय पर उपचार से मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है. यदि समय पर उपचार नहीं लिया गया तो शरीर में विकृति बढ़ जाती हैं. बाद में उपचार से बीमारी तो ठीक हो जाती है लेकिन शारीरिक विकृति दूर नहीं हो पाती.

इसे भी पढ़ें- जानें क्यों मनाया जाता है विश्व कुष्ठ रोग दिवस, कब तक इस बीमारी के खात्मे का है लक्ष्य

जिले में 32 व प्रदेश में 871 एक्टिव केस : डॉ. असित श्रीवास्तव ने बताया कि फिलहाल भरतपुर जिले में कुष्ठ रोग के 32 एक्टिव मरीज हैं. इनका नियमित उपचार चल रहा है, जबकि प्रदेश में कुल 871 एक्टिव मरीज हैं. इनमें सर्वाधिक मरीज जयपुर में 168, उदयपुर में 123, कोटा में 93, झालावाड़ में 69, जोधपुर में 58, चित्तौड़गढ़ में 44 और बांसवाड़ा में 42 मरीज हैं, जबकि प्रदेश में सबसे कम कुष्ठ रोगी बाड़मेर में एक है. वहीं, चूरू-दौसा में 2-2, धौलपुर- बूंदी में 3-3 मरीज हैं.

एक साल में 645 मरीज स्वस्थ हुए : डॉ. असित ने बताया कि जिले में उपचार की बदौलत एक साल में करीब 15 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. जबकि प्रदेश में कुल 645 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. मंगलवार को शहर के दूरदर्शन केंद्र में कुष्ठ रोग दिवस मनाया गया. इस अवसर पर नोडल अधिकारी डॉ असित श्रीवास्तव, भाजपा के प्रदेश मंत्री गिरधारी तिवारी, डिप्टी प्रोग्राम कॉर्डिनेटर शरद शर्मा आदि ने मरीजों को कंबल, बैसाखी, बेंत आदि वितरित किए.

Last Updated : Jan 30, 2024, 2:21 PM IST
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