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विश्व हेपेटाइटिस दिवस: आयुर्वेद का यह उपाय आपको दिला सकता है लीवर की बीमारियों से मुक्ति - World Hepatitis Day 2024

हेपेटाइटिस (World Hepatitis Day 2024) लीवर से जुड़ी हुई एक गंभीर समस्या है. इसका यदि सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह आगे चलकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है. इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है.

World Hepatitis Day 2024
World Hepatitis Day 2024 (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 27, 2024, 5:18 PM IST

वाराणसी: एलोपैथ में हेपेटाइटिस को लेकर तमाम तरीके से इलाज है, मगर सबसे ज्यादा कारगर आयुर्वेद को माना जाता है. क्योंकि यह बीमारी जीवन में और नियमित तब खानपान पर लापरवाही के कारण होती है. ऐसे में यदि आयुर्वेदिक नियमों का पालन कर व्यक्ति अपना खान-पान सुधार ले तो इस बीमारी से सुरक्षित रह सकता है. आयुर्वेदिक तरीके से कैसे इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है. इसको लेकर के ईटीवी भारत की टीम से वाराणसी के राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के चिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के प्रवक्ता डॉ. अजय कुमार से खास बातचीत की.

हेपेटाइटिस के कारण.
हेपेटाइटिस के कारण. (Photo Credit: ETV Bharat)
जानें क्या है हेपेटाइटिस:
डाॅ. अजय कुमार बताते हैं कि हेपेटाइटिस का अर्थ होता है लीवर यानी यकृत में सूजन हो जाना. यह रोग वायरल संक्रमण, बैक्टीरियल संक्रमण, अधिक दवा के सेवन से या अल्कोहल जैसे हानिकारक पदार्थों के अधिक सेवन की वजह से होता है. प्रारम्भ में इसके लक्षण बहुत सीमित या न के बराबर प्रकट हो सकते हैं, लेकिन इसमें प्राय: पीलिया, अत्यधिक थकान, भूख कम लगना, बुखार आदि लक्षण दिखते हैं. इनमें से सबसे घातक हेपेटाइटिस बी होता है. प्रत्येक वर्ष हेपेटाइटिस बी के कारण लाखों लोग मृत्यु के शिकार हो जाते है और कुछ लोगों में क्रॉनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं. क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर का खतरा अधिक होता है.

कैसे करें हेपैटाइटिस से बचाव:

  • अपना रेजर, टूथब्रश और सूई को किसी से शेयर न करें.
  • टैटू करने के वक्त उपकरणों को हमेशा स्टेरीलाइज कराएं.
  • कान को छेद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि मशीन साफ और स्टेरलाइज हो.
  • बच्चों को हेपेटाइटिस से बचाव के लिए समय पर टिका लगवाएं.
  • हॉट, स्पाइसी, और ऑयली खाने से परहेज करें.
  • प्रिजर्व्ड़ फूड, केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, एल्कोहल और सोडा वाले ड्रिंक से परहेज करें.
  • खाने मे केला, आम, टमाटर, पालक, आलू, आंवला, अंगूर, मूली, नींबू, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची ज्यादा शामिल करें.
  • इस स्थिति मे ज्यादा फिजिकल वर्क न करें और पूरा आराम करें.
    हेपेटाइटिस की जांच.
    हेपेटाइटिस की जांच. (Photo Credit: ETV Bharat)


आयुर्वेद में हेपेटाइटिस कारगर: डाॅ. गुप्ता कहते हैं कि आयुर्वेद इसमें बेहद कारगर है. इलाज में देर होने और अनियमित खान पान के कारण ये रोग अधिक उग्र होता जाता है. इसके रोगी के उपचार के लिए औषधि के साथ–साथ उचित आहार व्यवस्था भी जरूरी होती है. साथ ही पूर्ण विश्राम एवं संतुलित आहार से इस रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में इसके लिए बहुत सी औषधिया बताई गई है. जिसे वैद्य की सलाह से लेने पर बहुत फायदा मिलता है. इन औषधियों के साथ ही पंचकर्म विशेष रूप से विरेचन कर्म बहुत ही लाभदायक होता है.

हेपेटाइटिस को कैसे पहचानें.
हेपेटाइटिस को कैसे पहचानें. (Photo Credit: ETV Bharat)
आर्युवेद में ये दवाएं हैं खास:• कुटकी • भुमयामल्की • काकमाची• त्रिफला चूर्ण • अविपत्तिकर चूर्ण• अरोग्यवर्धिनि वॅटी• पुनर्नावादी मंडूर • यक्रिदारी लौह • रोहितकारिष्ट• कालमेघासव• कुमारियासाव


हेपेटाइटिस में यह खाएं:
• करेले के पत्तों के रस को हरीतकी के साथ सेवन करने पर पीलिया रोग नष्ट होता है.
• मकोय का रस 5 ग्राम मात्रा में सुबह-शाम पीने से पीलिया रोग में बहुत लाभ होता है.
• गन्ने का रस दिन में दो बार अवश्य सेवन करें.
• तक्र (मट्ठे) में चार-पांच काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करें.
• गिलोय का 5 ग्राम रस सुबह और 5 ग्राम रस शाम को पिएं.
• हल्के सुपाच्य खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें.
• जल को उबालकर और छानकर पिएं.
• इस रोग में साफ़ एवं स्वच्छ गन्ने का रस लेना लाभकारी होता है.
• इस रोग में कच्चे नारियल का पानी पीना बहुत लाभकारी होता है.
• रात के समय एक गिलास पानी में मुन्नका को भिगों दे.सुबह मुन्नका के बीज निकाल कर इन्हें खालें और ऊपर से बच्चा हुआ पानी पी लें.
• पपीता का सेवन करें.
• हमेशां पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन लें.
• उष्ण, तीक्षण और अम्लीय पदार्थों का त्याग कर दें.
• शराब एवं अन्य प्रकार के नशे से दूर रहना ही अच्छा रहता है.



हेपेटाइटिस में क्या नहीं खाएं
• घी, तेल, मक्खन, अंडे, मांस-मछली का सेवन न करें.
• उष्ण मिर्च-मसालों और अम्ल रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.
• चाय, कॉफी, शराब का सेवन न करें.
• छोले-भटूरे, गोल-गप्पें, टिकिया, समोसे आदि चटपटे खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए.
• फॉस्ट फूड, चाइनीज व्यंजन का बिल्कुल सेवन न करें.
• दूषित जल, कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें.

यह भी पढ़ें : World Hepatitis Day 2023: हेपेटाइटिस से जंग में बीएचयू की अनोखी मुहिम, जानें क्या है लक्षण और उपचार

यह भी पढ़ें : World Hepatitis Day : संक्रमित महिला बच्चे को करा सकती है स्तनपान, बस इन बातों का रखना होगा ध्यान

वाराणसी: एलोपैथ में हेपेटाइटिस को लेकर तमाम तरीके से इलाज है, मगर सबसे ज्यादा कारगर आयुर्वेद को माना जाता है. क्योंकि यह बीमारी जीवन में और नियमित तब खानपान पर लापरवाही के कारण होती है. ऐसे में यदि आयुर्वेदिक नियमों का पालन कर व्यक्ति अपना खान-पान सुधार ले तो इस बीमारी से सुरक्षित रह सकता है. आयुर्वेदिक तरीके से कैसे इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है. इसको लेकर के ईटीवी भारत की टीम से वाराणसी के राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय के चिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के प्रवक्ता डॉ. अजय कुमार से खास बातचीत की.

हेपेटाइटिस के कारण.
हेपेटाइटिस के कारण. (Photo Credit: ETV Bharat)
जानें क्या है हेपेटाइटिस: डाॅ. अजय कुमार बताते हैं कि हेपेटाइटिस का अर्थ होता है लीवर यानी यकृत में सूजन हो जाना. यह रोग वायरल संक्रमण, बैक्टीरियल संक्रमण, अधिक दवा के सेवन से या अल्कोहल जैसे हानिकारक पदार्थों के अधिक सेवन की वजह से होता है. प्रारम्भ में इसके लक्षण बहुत सीमित या न के बराबर प्रकट हो सकते हैं, लेकिन इसमें प्राय: पीलिया, अत्यधिक थकान, भूख कम लगना, बुखार आदि लक्षण दिखते हैं. इनमें से सबसे घातक हेपेटाइटिस बी होता है. प्रत्येक वर्ष हेपेटाइटिस बी के कारण लाखों लोग मृत्यु के शिकार हो जाते है और कुछ लोगों में क्रॉनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं. क्योंकि इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर का खतरा अधिक होता है.

कैसे करें हेपैटाइटिस से बचाव:

  • अपना रेजर, टूथब्रश और सूई को किसी से शेयर न करें.
  • टैटू करने के वक्त उपकरणों को हमेशा स्टेरीलाइज कराएं.
  • कान को छेद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि मशीन साफ और स्टेरलाइज हो.
  • बच्चों को हेपेटाइटिस से बचाव के लिए समय पर टिका लगवाएं.
  • हॉट, स्पाइसी, और ऑयली खाने से परहेज करें.
  • प्रिजर्व्ड़ फूड, केक, पेस्ट्री, चॉकलेट, एल्कोहल और सोडा वाले ड्रिंक से परहेज करें.
  • खाने मे केला, आम, टमाटर, पालक, आलू, आंवला, अंगूर, मूली, नींबू, सूखे खजूर, किशमिश, बादाम और इलायची ज्यादा शामिल करें.
  • इस स्थिति मे ज्यादा फिजिकल वर्क न करें और पूरा आराम करें.
    हेपेटाइटिस की जांच.
    हेपेटाइटिस की जांच. (Photo Credit: ETV Bharat)


आयुर्वेद में हेपेटाइटिस कारगर: डाॅ. गुप्ता कहते हैं कि आयुर्वेद इसमें बेहद कारगर है. इलाज में देर होने और अनियमित खान पान के कारण ये रोग अधिक उग्र होता जाता है. इसके रोगी के उपचार के लिए औषधि के साथ–साथ उचित आहार व्यवस्था भी जरूरी होती है. साथ ही पूर्ण विश्राम एवं संतुलित आहार से इस रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में इसके लिए बहुत सी औषधिया बताई गई है. जिसे वैद्य की सलाह से लेने पर बहुत फायदा मिलता है. इन औषधियों के साथ ही पंचकर्म विशेष रूप से विरेचन कर्म बहुत ही लाभदायक होता है.

हेपेटाइटिस को कैसे पहचानें.
हेपेटाइटिस को कैसे पहचानें. (Photo Credit: ETV Bharat)
आर्युवेद में ये दवाएं हैं खास:• कुटकी • भुमयामल्की • काकमाची• त्रिफला चूर्ण • अविपत्तिकर चूर्ण• अरोग्यवर्धिनि वॅटी• पुनर्नावादी मंडूर • यक्रिदारी लौह • रोहितकारिष्ट• कालमेघासव• कुमारियासाव


हेपेटाइटिस में यह खाएं:
• करेले के पत्तों के रस को हरीतकी के साथ सेवन करने पर पीलिया रोग नष्ट होता है.
• मकोय का रस 5 ग्राम मात्रा में सुबह-शाम पीने से पीलिया रोग में बहुत लाभ होता है.
• गन्ने का रस दिन में दो बार अवश्य सेवन करें.
• तक्र (मट्ठे) में चार-पांच काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करें.
• गिलोय का 5 ग्राम रस सुबह और 5 ग्राम रस शाम को पिएं.
• हल्के सुपाच्य खाद्य पदार्थों का ही सेवन करें.
• जल को उबालकर और छानकर पिएं.
• इस रोग में साफ़ एवं स्वच्छ गन्ने का रस लेना लाभकारी होता है.
• इस रोग में कच्चे नारियल का पानी पीना बहुत लाभकारी होता है.
• रात के समय एक गिलास पानी में मुन्नका को भिगों दे.सुबह मुन्नका के बीज निकाल कर इन्हें खालें और ऊपर से बच्चा हुआ पानी पी लें.
• पपीता का सेवन करें.
• हमेशां पौष्टिक एवं सुपाच्य भोजन लें.
• उष्ण, तीक्षण और अम्लीय पदार्थों का त्याग कर दें.
• शराब एवं अन्य प्रकार के नशे से दूर रहना ही अच्छा रहता है.



हेपेटाइटिस में क्या नहीं खाएं
• घी, तेल, मक्खन, अंडे, मांस-मछली का सेवन न करें.
• उष्ण मिर्च-मसालों और अम्ल रस से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें.
• चाय, कॉफी, शराब का सेवन न करें.
• छोले-भटूरे, गोल-गप्पें, टिकिया, समोसे आदि चटपटे खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए.
• फॉस्ट फूड, चाइनीज व्यंजन का बिल्कुल सेवन न करें.
• दूषित जल, कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें.

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