लखनऊ: आज विश्व स्वास्थ्य दिवस पूरे विश्व में मनाया जा रहा है.विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार भारत में 66 प्रतिशत मृत्यु गलत जीवन शैली की वजह से होती है. स्वस्थ आदतें स्थापित करना और बनाए रखना न केवल जीवनकाल बढ़ाता है. बल्कि, यह आपके जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने मे भी मदद करता है. वर्तमान समय में ज्यादातर दिक्कतें मरीजों को उनके रहन-सहन और बदलते जीवन शैली के कारण हो रही है. इस बार विश्व स्वास्थ्य दिवस का थीम मेरा स्वास्थ्य मेरा अधिकार रखा गया है. यह एक बड़ा संदेश जनमानस में फैलता है. वर्तमान में पिछले 5 साल में काफी कुछ बदलाव हुआ है. इसको देखते हुए इस बार का थीम बिल्कुल सटीक बैठता है.
अपनी सेहत के प्रति रहे सतर्क और जागरुक: सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य यह है, कि लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक और सतर्क रहें. अगर कोई समस्या होती है, तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर अपनी प्राथमिक जांच कराएं और इलाज शुरू करें. बहुत से ऐसे मरीज हैं, जो शुरुआती लक्षणों को नजर अंदाज करते हैं और बाद में वह लक्षण एक बड़ी बीमारी का रूप ले लेता है. ऐसे में जरूरी है कि हर व्यक्ति को अपनी सेहत की खबर जरूर होना चाहिए. इसलिए साल में दो बार हॉल बॉडी चेकअप जरूर करवा लेना चाहिए. इस बार का थीम "मेरा स्वास्थ्य मेरा अधिकार" भी बहुत अच्छा रखा गया है. हर जगह सरकारी स्वास्थ्य केंद्र है. जहां पर आम लोग अपना स्वास्थ्य परीक्षण कर सकते हैं. अपने स्वास्थ्य के प्रति ईमानदार भी होने की आवश्यकता है. क्योंकि, बदलती जीवन शैली के कारण स्वास्थ्य के साथ लोग खिलवाड़ कर रहे हैं.
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एके श्रीवास्तव के मुताबिक स्वास्थ्य दिवस मनाने का उद्देश्य है, कि लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहे. लेकिन, पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ बदलाव आया है. एक तरफ कोविड के बाद लोगों की इम्युनिटी कमजोर हुई है और दूसरी तरफ लोगों ने बाहरी चीजों को अधिक खानी शुरू कर दी है. अपनी पर्सनल हाइजीन को भी बरकरार नहीं रखते हैं. ऐसे में खुद की लापरवाही लोगों पर खुद ही भारी पड़ रही है. जब स्थिति अधिक खराब हो जाती है, उसके बाद अस्पतालों के चक्कर लगाते हैं. कई बार शुरुआती लक्षण में ही अगर मरीज इलाज शुरू कर दें, तो वह समस्या उतने पर ही रख सकती है. लेकिन, लोगों की यह बहुत खराब आदत है कि वह शुरुआती लक्षणों को नजर अंदाज कर देते हैं.
संतुलित आहार: संतुलित आहार में शरीर के विकास, स्वस्थ रहने और रोग-मुक्त रहने के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं. इसके अलावा, एक स्वस्थ, संतुलित आहार आवश्यक ऊर्जा आवश्यकता प्रदान करता है, विटामिन, खनिज और अन्य पोषण संबंधी कमियों से बचाता है, और प्रतिरक्षा बनाता है. भोजन में अधिक से अधिक सलाद और फलों को शामिल कर खाने में अधिक चीनी और नमक का का प्रयोग कम करें. अधिक चीनी या नमक के प्रयोग से मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप जैसे रोग होने की आशंका अधिक रहती है.
व्यायाम: नियमित व्यायाम सबसे अच्छी आदतों में से एक है. जिससे बीमारी की रोकथाम करने, स्वस्थ शारीरिक वजन को बनाए रखने, स्वस्थ्य और लंबा जीवन बनाए रखने, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद मिलती है.
पर्याप्त नींद: रात में आठ घंटे की नींद आपका दिल स्वस्थ रखता है, तनाव कम करता है और रक्त शर्करा को स्थिर रखने में मदद करता है. एक शोध के अनुसार अच्छी नींद वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है, और स्मृति निर्माण और स्पष्ट सोच के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
सकारात्मक सोच: विशेषज्ञों ने बताया, कि संयुक्त राज्य अमेरिका में किए गए 30 वर्षों में 300 अध्ययनों के मेटा-विश्लेषण में पाया गया, कि जिन लोगों की सोच सकारात्मक होती है. उन लोगों में हृदयाघात की संभावना कम होती है. और वे लोग स्वस्थ और लंबा जीवन जीते है.
खुद के साथ समय बिताएं: जब हम खुद के साथ समय बिताते हैं, तब तनाव से मुक्ति मिलती है. मन एकाग्र होता है. आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और जीवन की आगे की योजनाएं बनाने में हम सफल होते हैं.
धूम्रपान, मद्यपान से दूरी: किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहे. ये स्वास्थ पर अत्यंत नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. वर्तमान में युवा पीढ़ी नकारात्मक चीजों की तरफ तेजी से आकर्षित हो रही है. उन चीजों को उन्होंने अपना फैशन ट्रेंड समझ रखा है. जबकि, यही सारी समस्याएं भविष्य में बड़ी बीमारियों को दावत देता है. धूम्रपान से मुंह का कैंसर हृदय की समस्या इत्यादि समस्या होती है. कई बार मरीज की किडनी फेल हो जाती है. और लीवर काम करना बंद कर देता है. मल्टी ऑर्गन फेलियर वाले केस हो जाते हैं. ऐसे में जरूरी है, कि युवा वर्ग इस बात को समझें और अपनी सेहत के प्रति गंभीर हो.
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