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पर्यावरण संरक्षण की मिसाल बना झालाना जंगल, वन विभाग की मुहिम लाई रंग, कई बड़े पेड़ों का किया गया ट्रांसप्लांट - World Environment Day 2024

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 5, 2024, 5:28 PM IST

World Environment Day विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर हम आपको एक ऐसी खबर से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसमें कई बड़े पेड़ों को जीवनदान मिला है. विकास की राह में रोड़ा बने और आंधी-तूफान में जड़ से गिरे पेड़ों के लिए वन विभाग ने नई मुहिम शुरू की है. ऐसे पेड़ों का झालाना के जंगल में ट्रासप्लांट किया गया है, जो अब वापस हरे-भरे हो गए हैं. जानिए पूरी खबर.

world environment day
विश्व पर्यावरण दिवस (ETV Bharat GFX Team)
विश्व पर्यावरण दिवस. (ETV Bharat jaipur)

जयपुर. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. पौधा लगाना तो बहुत आसान है, लेकिन पौधे को बड़ा वृक्ष बनाने में मेहनत लगती है. कई बार देखने को मिलता है कि विकास कार्य, मकान निर्माण या सड़क निर्माण कार्य के दौरान कई पेड़-पौधों को काट दिया जाता है. कई बार मौसम की मार से भी बड़े-बड़े पेड़ धराशाई हो जाते हैं. विकास और मौसम की मार से धराशाई हुए पेड़ों को वापस जीवनदान देने के लिए वन विभाग प्रयास शुरू किया है. शहरीकरण और विकास कार्य के चलते धराशाई होने वाले पेड़-पौधों के लिए झालाना जंगल आशियाना बना हुआ है. झालाना जंगल में करीब 10 पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया जा चुका है, जिनमें अधिकतर हरे-भरे हो गए हैं. क्षेत्रीय वन अधिकारी सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि सितंबर 2020 से शुरू किए गए इस अभियान के तहत अब तक झालाना में 10 बड़े वृक्षों का ट्रांसप्लांट किया जा चुका है.

पेड़ों को काटें नहीं : सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि वन विभाग की ओर से बर्ड्स के लिए उपयोगी माने जाने वाले पेड़ों का ट्रांसप्लांट झालाना में किया जाता है. कहीं पर भी कोई पेड़ निर्माण कार्य में बाधा बन रहा है, तो ऐसे उपयोगी पेड़ों का ट्रांसप्लांट करने के लिए वन विभाग तैयार है. इसके साथ ही वन विभाग की ओर से भी आमजन को जागरूक किया जा रहा है कि अगर किसी भी पेड़ पौधे को काटने की नौबत आए, तो वन विभाग को सूचना दें, ताकि उस पौधे को झालाना जंगल में लाकर ट्रांसप्लांट करके नया जीवनदान दिया जा सके.

इसे भी पढ़ें-World Environment Day, बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण बढ़ रही है ग्लोबल वार्मिंग, निदान के लिए करना होगा यह उपाय - World Environment Day 2024

पेड़ लगाना और उनका संरक्षण करना जरूरी : क्षेत्रीय वन अधिकारी ने बताया कि पेड़-पौधे लगाने के साथ ही उनका संरक्षण करना भी जरूरी है. झालाना लेपर्ड रिजर्व में सितंबर 2020 में पेड़-पौधों के ट्रांसप्लांट का काम शुरू किया गया. अब तक करीब 10 पेड़ों का झालाना में ट्रांसप्लांट किया जा चुका है, जिनमें से 3 पीपल, 3 बरगद समेत अन्य पेड़ शामिल हैं. मुख्य रूप से बरगद, पीपल और गूलर जो सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं और जिन पर सबसे ज्यादा पक्षियों की आवाजाही रहती है, ऐसे पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया जाता है.

पहले ट्रांसप्लांट 2020 में किया : सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि पहला पौधा हिम्मतनगर से सितंबर 2020 में लगाया गया था. हाल ही में एक भारी बरगद का वृक्ष, जो कि तूफान से धराशाई हो गया था, उसे झालाना जंगल में ट्रांसप्लांट किया गया. एक पीपल का पेड़ रीको इंडस्ट्रियल एरिया में निर्माण के दौरान बाधा बन गया था, जिसे भी झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया. पर्यावरण का संतुलन बनाने के लिए कई तरीके होते हैं. वृक्षारोपण और ट्रांसप्लांट भी इसी का एक तरीका है. एक पौधे को पेड़ बनाने में 15 साल की जो मेहनत लगती है, वह ट्रांसप्लांट करने से पहले साल में ही मिल जाता है. जो फायदे 10 साल बाद मिलते हैं, वह पहली साल से मिलना शुरू हो जाते हैं.

ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया : वन अधिकारी ने बताया कि अगर कोई पौधा गिर गया है, तो जेसीबी मशीन की सहायता से खोद कर उसे ट्रांसप्लांट के लिए लाया जाता है. अगर पेड़ गिरा नहीं है, तो उसके लिए 1 दिन पहले रिंग बनाई जाती है. गड्ढा खोदकर उसमें पानी भर दिया जाता है, ताकि जमीन नरम हो जाए. इसके बाद जेसीबी मशीन से खोदकर क्रेन की सहायता से जंगल में लाकर उलस पेड़ का ट्रांसप्लांट किया जाता है.

इसे भी पढ़ें-पृथ्वी को हरा-भरा करने के उद्देश्य से पौधारोपण कर दिया खास संदेश, स्कूली बच्चों को किया जागरूक - World Environment Day 2024

इन पेड़ों का किया गया ट्रांसप्लांट

  1. बरगद का पेड़ : हिम्मतनगर जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जिसकी जड़े पानी के टैंक की दीवार को नुकसान पहुंचा रही थी.
  2. चीकू का पेड़ : फर्नीचर कॉलोनी आदर्श नगर जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर निर्माण के लिए काटना पड़ रहा था.
  3. फालसा का पेड़ : फर्नीचर कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर निर्माण के लिए काटना पड़ रहा था.
  4. अशोक का पेड़ : जनता कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर की दीवार को नुकसान पहुंचा रहा था.
  5. बांस का पेड़ : जनता कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया.
  6. पीपल का पेड़ : कुमावत कॉलोनी झोटवाड़ा जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया.
  7. बरगद का पेड़ : टोंक फाटक जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो तेज आंधी के चलते गिर गया था
  8. पीपल का पेड़ : मालवीय नगर रीको एरिया से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो बेसमेंट निर्माण कार्य में बाधा बन रहा था.

वन अधिकारी ने बताया कि ट्रांसप्लांट किए गए इन पेड़ों में से 2 पेड़ों को छोड़ कर सभी झालाना के जंगल में शान से खड़े हैं. उन्होंने बताया कि जब किसी पेड़ को ट्रांसप्लांट किया जाता है, तो उसकी दूर से जड़ें काट दी जाती हैं. ऐसे में पौधे को जीवित रखने के लिए, कई तरीके लगाए जाते हैं. बरगद का पेड़ ट्रांसप्लांट किया गया, जिसकी जड़ें बाहर की तरफ आ रही थी. उन्हें पाइप के सहारे जमीन में गाड़ कर भोजन देने का काम किया जा रहा है, पाइप में मिट्टी भरकर उसमें पानी डाल दिया जाता है. ऐसे में दो जगह से पेड़ को भोजन प्राप्त होता है, ताकि पेड़ जल्दी पनप सके. बड़, पीपल और गूलर के फल बर्ड्स के लिए काफी उपयोगी होते हैं. बर्ड्स के लिए एक पेड़ एक कॉलोनी का काम करता है. बहुत सारे पक्षियों का पेड़ पर आवास रहता है. पक्षी पेड़ पर अपना घोंसला बनाते हैं.

विश्व पर्यावरण दिवस. (ETV Bharat jaipur)

जयपुर. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने के लिए हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. पौधा लगाना तो बहुत आसान है, लेकिन पौधे को बड़ा वृक्ष बनाने में मेहनत लगती है. कई बार देखने को मिलता है कि विकास कार्य, मकान निर्माण या सड़क निर्माण कार्य के दौरान कई पेड़-पौधों को काट दिया जाता है. कई बार मौसम की मार से भी बड़े-बड़े पेड़ धराशाई हो जाते हैं. विकास और मौसम की मार से धराशाई हुए पेड़ों को वापस जीवनदान देने के लिए वन विभाग प्रयास शुरू किया है. शहरीकरण और विकास कार्य के चलते धराशाई होने वाले पेड़-पौधों के लिए झालाना जंगल आशियाना बना हुआ है. झालाना जंगल में करीब 10 पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया जा चुका है, जिनमें अधिकतर हरे-भरे हो गए हैं. क्षेत्रीय वन अधिकारी सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि सितंबर 2020 से शुरू किए गए इस अभियान के तहत अब तक झालाना में 10 बड़े वृक्षों का ट्रांसप्लांट किया जा चुका है.

पेड़ों को काटें नहीं : सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि वन विभाग की ओर से बर्ड्स के लिए उपयोगी माने जाने वाले पेड़ों का ट्रांसप्लांट झालाना में किया जाता है. कहीं पर भी कोई पेड़ निर्माण कार्य में बाधा बन रहा है, तो ऐसे उपयोगी पेड़ों का ट्रांसप्लांट करने के लिए वन विभाग तैयार है. इसके साथ ही वन विभाग की ओर से भी आमजन को जागरूक किया जा रहा है कि अगर किसी भी पेड़ पौधे को काटने की नौबत आए, तो वन विभाग को सूचना दें, ताकि उस पौधे को झालाना जंगल में लाकर ट्रांसप्लांट करके नया जीवनदान दिया जा सके.

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पेड़ लगाना और उनका संरक्षण करना जरूरी : क्षेत्रीय वन अधिकारी ने बताया कि पेड़-पौधे लगाने के साथ ही उनका संरक्षण करना भी जरूरी है. झालाना लेपर्ड रिजर्व में सितंबर 2020 में पेड़-पौधों के ट्रांसप्लांट का काम शुरू किया गया. अब तक करीब 10 पेड़ों का झालाना में ट्रांसप्लांट किया जा चुका है, जिनमें से 3 पीपल, 3 बरगद समेत अन्य पेड़ शामिल हैं. मुख्य रूप से बरगद, पीपल और गूलर जो सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं और जिन पर सबसे ज्यादा पक्षियों की आवाजाही रहती है, ऐसे पेड़ों का ट्रांसप्लांट किया जाता है.

पहले ट्रांसप्लांट 2020 में किया : सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि पहला पौधा हिम्मतनगर से सितंबर 2020 में लगाया गया था. हाल ही में एक भारी बरगद का वृक्ष, जो कि तूफान से धराशाई हो गया था, उसे झालाना जंगल में ट्रांसप्लांट किया गया. एक पीपल का पेड़ रीको इंडस्ट्रियल एरिया में निर्माण के दौरान बाधा बन गया था, जिसे भी झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया. पर्यावरण का संतुलन बनाने के लिए कई तरीके होते हैं. वृक्षारोपण और ट्रांसप्लांट भी इसी का एक तरीका है. एक पौधे को पेड़ बनाने में 15 साल की जो मेहनत लगती है, वह ट्रांसप्लांट करने से पहले साल में ही मिल जाता है. जो फायदे 10 साल बाद मिलते हैं, वह पहली साल से मिलना शुरू हो जाते हैं.

ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया : वन अधिकारी ने बताया कि अगर कोई पौधा गिर गया है, तो जेसीबी मशीन की सहायता से खोद कर उसे ट्रांसप्लांट के लिए लाया जाता है. अगर पेड़ गिरा नहीं है, तो उसके लिए 1 दिन पहले रिंग बनाई जाती है. गड्ढा खोदकर उसमें पानी भर दिया जाता है, ताकि जमीन नरम हो जाए. इसके बाद जेसीबी मशीन से खोदकर क्रेन की सहायता से जंगल में लाकर उलस पेड़ का ट्रांसप्लांट किया जाता है.

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इन पेड़ों का किया गया ट्रांसप्लांट

  1. बरगद का पेड़ : हिम्मतनगर जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जिसकी जड़े पानी के टैंक की दीवार को नुकसान पहुंचा रही थी.
  2. चीकू का पेड़ : फर्नीचर कॉलोनी आदर्श नगर जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर निर्माण के लिए काटना पड़ रहा था.
  3. फालसा का पेड़ : फर्नीचर कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर निर्माण के लिए काटना पड़ रहा था.
  4. अशोक का पेड़ : जनता कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर की दीवार को नुकसान पहुंचा रहा था.
  5. बांस का पेड़ : जनता कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया.
  6. पीपल का पेड़ : कुमावत कॉलोनी झोटवाड़ा जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया.
  7. बरगद का पेड़ : टोंक फाटक जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो तेज आंधी के चलते गिर गया था
  8. पीपल का पेड़ : मालवीय नगर रीको एरिया से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो बेसमेंट निर्माण कार्य में बाधा बन रहा था.

वन अधिकारी ने बताया कि ट्रांसप्लांट किए गए इन पेड़ों में से 2 पेड़ों को छोड़ कर सभी झालाना के जंगल में शान से खड़े हैं. उन्होंने बताया कि जब किसी पेड़ को ट्रांसप्लांट किया जाता है, तो उसकी दूर से जड़ें काट दी जाती हैं. ऐसे में पौधे को जीवित रखने के लिए, कई तरीके लगाए जाते हैं. बरगद का पेड़ ट्रांसप्लांट किया गया, जिसकी जड़ें बाहर की तरफ आ रही थी. उन्हें पाइप के सहारे जमीन में गाड़ कर भोजन देने का काम किया जा रहा है, पाइप में मिट्टी भरकर उसमें पानी डाल दिया जाता है. ऐसे में दो जगह से पेड़ को भोजन प्राप्त होता है, ताकि पेड़ जल्दी पनप सके. बड़, पीपल और गूलर के फल बर्ड्स के लिए काफी उपयोगी होते हैं. बर्ड्स के लिए एक पेड़ एक कॉलोनी का काम करता है. बहुत सारे पक्षियों का पेड़ पर आवास रहता है. पक्षी पेड़ पर अपना घोंसला बनाते हैं.

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