जयपुर. बदलती जीवन शैली और खान-पान के कारण कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है. आलम ये है कि 30 साल पहले तक कैंसर के जो रोगी 50 से 60 साल के सामने आते थे, वो आयु घटकर अब 30 से 40 रह गई है. इनमें महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर जबकि पुरुषों में ओरल और फेफड़ों का कैंसर के मामले ज्यादातर सामने आ रहे हैं, लेकिन जीवन शैली और खान-पान सुधार कर 50 फीसदी कैंसर को बॉडी में डेवलप होने से पहले ही रोका जा सकता है.
कैंसर एक जानलेवा बीमारी है लेकिन शुरुआती स्टेज में यदि इसे डायग्नोज कर लिया जाए तो इसका इलाज भी संभव है. इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इनफॉर्मेटिव एंड रिसर्च की ओर से जारी नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट में देशभर में कैंसर के आंकड़ों में वृद्धि बताई गई है, जिसके अनुसार साल 2020 में कैंसर के 13.9 लाख मामले सामने आए थे, जो 2025 में बढ़कर 15.7 लाख तक पहुंचने के आसार है. महिलाओं में कैंसर के मामले पुरुषों की तुलना में अधिक है. 7 लाख 22 हजार 138 केस महिलाओं के हैं, तो 6 लाख 91 हजार 178 पुरुष कैंसर से प्रभावित हैं.
वहीं, ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 के अनुसार भारत में कैंसर के नए मामलों में 32 फीसदी केस ब्रेस्ट, ओरल और सर्वाइकल कैंसर के हैं. इसे लेकर मेडिकल ऑंकोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय बापना ने बताया कि कैंसर के मरीजों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है. उससे भी ज्यादा चिंताजनक बात ये है कि 30 से 40 उम्र के युवाओं में कैंसर के मामले ओर अधिक बढ़ गए हैं. 30 साल पहले तक ये एज ग्रुप 50 से 60 वर्ष का हुआ करता था, जबकि आज ओपीडी में 40 फीसदी मरीज 30 से 40 उम्र के होते हैं. बहुत ज्यादा शुगर और वसा वाला खाना कैंसर का कारक है. इसे फास्ट फूड भी कहा जा सकता है. साथ ही व्यायाम की कमी और घंटों एक ही जगह बैठे रहना प्रमुख कारण माना जा सकता है. इससे व्यक्ति मोटापे की और भी बढ़ रहा है. साथ ही इससे महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और सर्विक्स कैंसर बहुत तेजी से उभर कर आ रहे हैं.
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उन्होंने बताया कि बच्चों के कैंसर को एडल्ट के कैंसर से बिल्कुल तुलना नहीं करनी चाहिए. क्योंकि एडल्ट के कैंसर किसी कारण से होते हैं, वो उनकी दिनचर्या में बदलाव और गलत आदतों की वजह से होते हैं, जबकि बच्चों का कैंसर जिस जींस के साथ वो पैदा होते हैं, उन जीन में खराबी की वजह से होता है. इसमें बच्चों का कोई दोष नहीं होता.
डॉ. बापना ने बताया कि बहुत ज्यादा वसा वाला खाना, शुगर वाला खाना, काफी समय तक रखा हुआ बासी खाना ये सब अवॉइड करना चाहिए. जो फास्ट फूड का एक अभिन्न अंग है. उन्होंने सवाल उठाया कि आज कितने प्रतिशत बच्चे थाली में लगा हुआ भोजन करते हैं ? बच्चों की 14-15 साल के होने पर व्यायाम की तरफ रुझान करवाना चाहिए. घर में बना हुआ खाना, फल, सब्जी पर्याप्त मात्रा में खाएं, भरपूर पानी पीएं और व्यायाम करें, दिनचर्या को नियमित करें, जो 50 फीसदी कैंसर को अपने आप ही कम कर देगा.
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उन्होंने स्पष्ट किया कि पिज्जा में बहुत ज्यादा वसा और शुगर होती है. पास्ता में सिर्फ मैदा होता है, फाइबर नहीं होता और दूसरे फास्ट फूड में भी फाइबर नहीं होता. फाइबर शरीर के लिए बहुत ज्यादा जरूरी है, जो सिर्फ फल, सब्जी, अन्न और मिलेट्स में होते हैं. उस पर ध्यान दें. फास्ट फूड में जो तेल, शुगर, मैदा इस्तेमाल होती है वो शरीर में फैट में वृद्धि कर देते हैं. फाइबर नहीं होने की वजह से बच्चों का डाइजेस्टिव सिस्टम खराब हो जाता है. ज्यादातर बच्चे वेट गेन करने लग जाते हैं. एक्सरसाइज की तरफ रुझान कम हो जाता है. ये धीरे-धीरे आंतों, ब्रेस्ट और दूसरे कैंसर को पैदा करता है. उन्होंने कहा कि यंग लड़कियों की ओर से पाश्चात्य संस्कृति को फॉलो करने की वजह से शारीरिक संरचना कुछ इस तरह की हो जाती है, जिसकी वजह से फर्स्ट शारीरिक संबंध की आयु कम हो जाती है. और बच्चियों में जितनी जल्दी यौन संबंध की आदत पड़ती है, उतनी जल्दी सर्वाइकल कैंसर का खतरा शुरू हो जाता है. क्योंकि तब तक उन्हें सर्वारिक्स वैक्सीन नहीं लगा होता है. ऐसे में 9 से 13 साल की उम्र में जब बच्ची का पहला यौन एक्स्पोज़र हो, तब तक दो वैक्सीन लग जाए. इस बजट में सरकार ने फ्री वैक्सीन देने का महत्वपूर्ण फैसला लिया है. इससे सर्वाइकल कैंसर जैसी भीषण बीमारी से बचा जा सकेगा.
वहीं, सर्जिकल ऑंकोलॉजिस्ट डॉ. शशीकांत सैनी ने बताया कि पहली और दूसरी स्टेज में किसी भी अंग में कैंसर होने पर 70 से 80 फीसदी तक सर्वाइवल पॉसिबल है. इसके लिए मरीज और डॉक्टर दोनों ही पक्षों को जागरूक रहना होगा. सबसे ज्यादा कैंसर की शिकायत गले और मुंह की होती है. यदि कोई भी घाव कुछ सप्ताह में नहीं भर रहा है, स्तन में गांठ है, माहवारी में ज्यादा ब्लीडिंग होना, एक बार माहवारी बंद होने के बाद दोबारा रक्त स्राव हो रहा है तो उसे सीरियस लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि सारे कैंसर का कारण तो मेडिकल साइंस में नहीं है, लेकिन तंबाकू एक वेल नोन फैक्टर है, जिसकी वजह से मुंह, गले, खाने के रास्ते और लंग्स का कैंसर बहुतायत से मिलता है.
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उन्होंने आगे बताया कि इसके अलावा स्मोक फूड (रेडमीट जैसे डायरेक्ट हीट पर पका खाना) से फूड पाइप, पेट और बड़ी आंत का कैंसर होने की संभावना रहती है. ऐसे में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहते हुए ये तय करना होगा कि क्या सेवन करना है, और क्या नहीं. डॉ. सैनी ने कहा कि कोई भी कैंसर के लक्षण आने पर नजदीकी चिकित्सक से सलाह लेते हुए जांच करने में झिझकना नहीं चाहिए, क्योंकि कैंसर का इलाज संभव है.