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इस 81 वर्षीय बुजुर्ग के लिए साइकिल ही जिंदगी, अब तक कर चुके हैं 8 लाख किलोमीटर से अधिक का सफर - World Bicycle Day 2024

World Bicycle Day 2024, भरतपुर के 81 वर्षीय केसरिया राम आधुनिक युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल हैं. केसरिया राम बीते 44 साल से हर दिन साइकिल से 50 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. वहीं, बीते 44 साल में वो 8 लाख किलोमीटर से अधिक साइकिल चला चुके हैं.

World Bicycle Day 2024
44 साल में चलाई 8 लाख किलोमीटर से अधिक साइकिल (ETV BHARAT BHARATPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 3, 2024, 3:35 PM IST

युवा पीढ़ी के लिए मिसाल बने 81 वर्षीय बुजुर्ग (ETV BHARAT BHARATPUR)

भरतपुर. आधुनिक सुविधाभोगी जिंदगी और अनियमित खान-पान के चलते जहां लोग लगातार अपना स्वास्थ्य कमजोर कर रहे हैं. वहीं, भरतपुर के 81 वर्षीय केसरिया राम आधुनिक युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं. केसरिया राम बीते 44 साल से हर दिन साइकिल से 50 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो बीते 44 साल में केसरिया राम ने 8 लाख किलोमीटर से अधिक साइकिल चलाई है, जो कि पृथ्वी की 20 चक्कर लगाने के समान है. यही वजह है कि जिंदगी के 81 बसंत पूरे करने के बावजूद केसरिया राम पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्हें याद नहीं कि वो आखिरी बार कब बीमार पड़े थे. यहां तक कि कई दशक से उन्हें अस्पताल का दरवाजा तक नहीं देखा. विश्व साइकिल दिवस पर केसरिया राम युवा पीढ़ी को स्वस्थ रहने के लिए साइकिल चलाने का सुझाव दे रहे हैं.

हर दिन 50 किमी चलाते हैं साइकिल : जिले के गांव मुंढेरा निवासी भूतपूर्व सैनिक केसरिया राम धाकड़ हर अपने गांव से 25 किमी की दूरी तय कर भरतपुर के एमएसजे कॉलेज आते हैं. केसरिया राम कॉलेज के पुस्तकालय में बुक लिफ्टर के रूप में कार्यरत हैं. यहां से ड्यूटी पूरी कर वापस 25 किमी साइकिल चलाकर गांव पहुंचते हैं. यानी सर्दी, गर्मी, बरसात पूरे 12 महीने केसरियाराम साइकिल से इतनी दूरी तय करते हैं.

World Bicycle Day 2024
भूतपूर्व सैनिक केसरिया राम धाकड़ (ETV BHARAT BHARATPUR)

इसे भी पढ़ें - विश्व साइकिल दिवस : साइकिल बढ़ा रही लोगों की इम्यूनिटी पावर...कोरोना काल में साइकिल बनी फेवरेट

ऐसे शुरू हुआ साइकिल सफर : भूतपूर्व सैनिक केसरिया राम ने बताया कि वर्ष 1964 में वो भारतीय सेवा में व्हीकल मैकेनिक के रूप में भर्ती हुए. 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जम्मू कश्मीर के सांबा पोस्ट पर एक वाहन को ठीक कर रहे थे. उसी दौरान पाकिस्तान में बमबारी कर दी. बम की गैस की चपेट में आने से केसरियराम की दाहिनी आंख खराब हो गई. बाद में सीने में चोट लगने की वजह से वर्ष 1968 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. बाद में वर्ष 1979 में केसरियाराम अलवर की कॉलेज में बुक लिफ्टर के रूप में नौकरी लग गए. वर्ष 1980 में अलवर से भरतपुर के एमएसजे कॉलेज में ट्रांसफर हो गया. तभी से साइकिल का सफर शुरू हो गया.

44 साल से चला रहे साइकिल : भूतपूर्व सैनिक केसरिया राम ने बताया कि वर्ष 1980 से लगातार वह अपने गांव मुंढेरा से डेढ़ घंटे में 25 किमी साइकिल चलाकर कॉलेज आते हैं और ड्यूटी पूरी कर वापस साइकिल से गांव जाते हैं. यानी बीते 44 साल से केसरियाराम हर दिन करीब 50 किमी साइकिल चलाते हैं. इस हिसाब से केसरियाराम बीते 44 साल में करीब 8 लाख किमी साइकिल चला चुके हैं जो कि पृथ्वी के 20 चक्कर ( पृथ्वी का एक चक्कर 40 हजार किमी) के बराबर है.

इसे भी पढ़ें - जानें, साइकिल चलाने के क्या हैं फायदे, कैसे हुआ था इसका आविष्कार - Benefits Of Cycling

शराब से नफरत, कभी बीमार नहीं पड़े : केसरिया राम ने बताया कि उन्हें शराब से बहुत नफरत है. उन्होंने कभी शराब का सेवन नहीं किया. हर दिन सुबह शाम दूध का नियमित सेवन करते हैं. खाने में छाछ का भी सेवन करते हैं. वो साइकिल को अपनी जिंदगी बताते हैं. उन्होंने बताया कि यह नियमित साइकिल चलाने का ही प्रतिफल है कि वो कभी बीमार नहीं पड़े. आधुनिकता की इस प्रदूषित जीवनशैली में वो युवाओं को ज्यादा से ज्यादा साइकिल चलाने की सलाह देते हैं.

युवा पीढ़ी के लिए मिसाल बने 81 वर्षीय बुजुर्ग (ETV BHARAT BHARATPUR)

भरतपुर. आधुनिक सुविधाभोगी जिंदगी और अनियमित खान-पान के चलते जहां लोग लगातार अपना स्वास्थ्य कमजोर कर रहे हैं. वहीं, भरतपुर के 81 वर्षीय केसरिया राम आधुनिक युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल पेश कर रहे हैं. केसरिया राम बीते 44 साल से हर दिन साइकिल से 50 किलोमीटर का सफर तय करते हैं. इस हिसाब से देखा जाए तो बीते 44 साल में केसरिया राम ने 8 लाख किलोमीटर से अधिक साइकिल चलाई है, जो कि पृथ्वी की 20 चक्कर लगाने के समान है. यही वजह है कि जिंदगी के 81 बसंत पूरे करने के बावजूद केसरिया राम पूरी तरह से स्वस्थ हैं. उन्हें याद नहीं कि वो आखिरी बार कब बीमार पड़े थे. यहां तक कि कई दशक से उन्हें अस्पताल का दरवाजा तक नहीं देखा. विश्व साइकिल दिवस पर केसरिया राम युवा पीढ़ी को स्वस्थ रहने के लिए साइकिल चलाने का सुझाव दे रहे हैं.

हर दिन 50 किमी चलाते हैं साइकिल : जिले के गांव मुंढेरा निवासी भूतपूर्व सैनिक केसरिया राम धाकड़ हर अपने गांव से 25 किमी की दूरी तय कर भरतपुर के एमएसजे कॉलेज आते हैं. केसरिया राम कॉलेज के पुस्तकालय में बुक लिफ्टर के रूप में कार्यरत हैं. यहां से ड्यूटी पूरी कर वापस 25 किमी साइकिल चलाकर गांव पहुंचते हैं. यानी सर्दी, गर्मी, बरसात पूरे 12 महीने केसरियाराम साइकिल से इतनी दूरी तय करते हैं.

World Bicycle Day 2024
भूतपूर्व सैनिक केसरिया राम धाकड़ (ETV BHARAT BHARATPUR)

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ऐसे शुरू हुआ साइकिल सफर : भूतपूर्व सैनिक केसरिया राम ने बताया कि वर्ष 1964 में वो भारतीय सेवा में व्हीकल मैकेनिक के रूप में भर्ती हुए. 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जम्मू कश्मीर के सांबा पोस्ट पर एक वाहन को ठीक कर रहे थे. उसी दौरान पाकिस्तान में बमबारी कर दी. बम की गैस की चपेट में आने से केसरियराम की दाहिनी आंख खराब हो गई. बाद में सीने में चोट लगने की वजह से वर्ष 1968 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली. बाद में वर्ष 1979 में केसरियाराम अलवर की कॉलेज में बुक लिफ्टर के रूप में नौकरी लग गए. वर्ष 1980 में अलवर से भरतपुर के एमएसजे कॉलेज में ट्रांसफर हो गया. तभी से साइकिल का सफर शुरू हो गया.

44 साल से चला रहे साइकिल : भूतपूर्व सैनिक केसरिया राम ने बताया कि वर्ष 1980 से लगातार वह अपने गांव मुंढेरा से डेढ़ घंटे में 25 किमी साइकिल चलाकर कॉलेज आते हैं और ड्यूटी पूरी कर वापस साइकिल से गांव जाते हैं. यानी बीते 44 साल से केसरियाराम हर दिन करीब 50 किमी साइकिल चलाते हैं. इस हिसाब से केसरियाराम बीते 44 साल में करीब 8 लाख किमी साइकिल चला चुके हैं जो कि पृथ्वी के 20 चक्कर ( पृथ्वी का एक चक्कर 40 हजार किमी) के बराबर है.

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शराब से नफरत, कभी बीमार नहीं पड़े : केसरिया राम ने बताया कि उन्हें शराब से बहुत नफरत है. उन्होंने कभी शराब का सेवन नहीं किया. हर दिन सुबह शाम दूध का नियमित सेवन करते हैं. खाने में छाछ का भी सेवन करते हैं. वो साइकिल को अपनी जिंदगी बताते हैं. उन्होंने बताया कि यह नियमित साइकिल चलाने का ही प्रतिफल है कि वो कभी बीमार नहीं पड़े. आधुनिकता की इस प्रदूषित जीवनशैली में वो युवाओं को ज्यादा से ज्यादा साइकिल चलाने की सलाह देते हैं.

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