सरगुजा: विश्व मानव विज्ञान दिवस पर हम आपको मानव इतिहास से जुड़े कुछ ऐसे रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं, जो हर व्यक्ति को जानना चाहिए. ऐसे कई लेखक हुए जिन्होंने मानव विज्ञान पर बेहतर रिसर्च और बातें लिखी हैं. इनमे सबसे चर्चित और समसामयिक पुस्तक सेपियंस है, जो मानव विज्ञान के बेहद रोचक तथ्य और वैज्ञानिक प्रमाणिकता बताती है. खासकर इंसान, जिसे होमो सेपियन्स कहा जाता है, इसकी उत्पति और इसके स्वभाव पर बेहद शानदार व्याख्या की गई है. इस विषय पर हमने बायोटेक साइंटिस्ट डॉ प्रशांत शर्मा से बातचीत की और मानव विज्ञान विषय पर उनकी राय जानी.
विज्ञान के संबंध में डॉ युवाल नोआ के विचार: इस रोचक विषय पर एक महान लेखक डॉ युवाल नोआ हरारी ने कहा "आग ने हमें शक्ति दी, वार्तालाप ने हमें परस्पर सहयोग करने मदद की, कृषि ने हमें और अधिक के लिए भूखा बनाया, मिथकों ने क़ानून और व्यवस्था कायम की, धन ने हमें एक ऐसी चीज दी, जिस पर हम सचमुच भरोसा कर सकते थे. अन्तर्विरोधियों ने संस्कृति की रचना की और विज्ञान ने हमें घातक बनाया."
20 लाख साल पहले शुरु हुआ मानव विकास: बायोटेक साइंटिस्ट डॉ प्रशांत शर्मा बताते हैं "हम मनुष्यों की सतत विकास प्रक्रिया 20 लाख साल पहले शुरु हुई थी. पूर्वी अफ्रीका में हमारी सभ्यता थी, तब से लेकर आज तक 6 विभिन्न प्रकार की हमारी सभ्यता थी. ये मानव विज्ञान कोई विषय नहीं, बल्कि सभी मनुष्यों के सतत विकास के जानने कील विधा है. इसे सभी मनुष्यो को पढ़ना चाहिए. इससे हमें पता चलता है कि जो हमारे पूर्वज थे, उनका रहन सहन कैसा था, उनका अचार विचार कैसा था. जो स्थिति आज हम होमो सेपियंस या बुद्धिमान मनुष्य की है, इस स्थिति तक हम किस क्रमिक इतिहास से होकर पहुंचे हैं. यह सम्पूर्ण विकास की गाथा हमारा मानव विज्ञान कहलाता है."
बहुत से वैज्ञानिकों ने अपने अपने तरह से मानव विज्ञान को समझने का प्रयास किया है. हम हाल ही में देखे तो सेपियंस में मानव विज्ञान को विस्तृत रूप में बताया गया है. उनके अनुसार, हम देखें तो पृथ्वी पर लगभग 6 मानव प्रजातियां थी. इनमें मुख्य रूप से रूडल फ्रिंसिस, अलगास्टर, इरक्टर्स, नियेंडरथेल्स, होमो सेपियंस आये. ऐसा माना जाता है कि जो आज हम हैं, इनका जन्म नियेंडरथेल्स और होमो सेपियंस दोनों के क्रमिक विकास के बाद हुआ है. - डॉ प्रशांत शर्मा, बायोटेक साइंटिस्ट
सेपियंस बुक ने खोला मानव विकास का रहस्य: सेपियंस बुक में बहुत ही रोचक बात बताई गई है कि संस्कृतियों का मिलन किस प्रकार हुआ. आज कल लोग एक दूसरे से मिलना जुलना छोड़ रहे हैं. लेकिन सेपियंस किताब में बताया गया है कि जब लोग एक दूसरे से मिलते हैं, बातचीत करते हैं, तो हमारे विचारों का आदान प्रदान होता है. इसी तरह से हमारा विकास हुआ. हम होमो सेपियंस विभिन्न 5 प्रजातियों से होकर गुजरे. इन सभी की तकनीक को मिलाया गया है, तब जाकर एक प्रबुद्ध मनुष्य का विकास हुआ.
दोस्तों और परिवार के बीच हंसी ठिठोली की परम्परा जब तक जीवित रहेंगी, तब तक हमारा क्रमिक विकास होता रहेगा. जैसे कहते हैं न कि गुमटी में मिलने से मजा आता है. लोग मानव संस्कृति की बात करते हैं तो ये तब होगा, जब हम मानव की सतत विकास प्रक्रिया अपनाएंगे. डार्विन की वैज्ञानिक व्याख्या है कि मानव का इतिहास क्रमिक विकास और परिवर्तन का है. - डॉ प्रशांत शर्मा, बायोटेक साइंटिस्ट
कैसे सामाजिक हुए होमो सेपियंस: सेपियंस बुक के अनुसार, नियेंडरथेल्स जो थे, वो सामजिक और भावुक थे. हालांकि उनके जबड़े का आकर बड़ा था, वो स्थूलकाय थे. जो हम होमो सेपियंस पहले थे, वो आक्रामक थे. वो गोरिल्ला युद्ध लड़ते थे, दूसरी प्रजातियों पर अधिपत्य जमाते थे, उनके भोजन पर अधिपत्य जमाते थे. लेकिन जब हम नियेंडरथेल्स से पूर्वी एशिया में मिले, तब मानव ने देखा की ये शांत प्राजति के हैं. होमो सेपियंस ने उनकी सांस्कृति को अपनाया. जिसमें मानव ने सीखा कि कैसे आग की खोज के बाद जानवरों से खुद को बचाते हैं, कैसे भोजन पकाते हैं, कैसे कंद वर्गीय चीजों को वो पकाकर खाते हैं. यह होमो सेपियंस ने नियेंडरथेल्स ये सीखा. अभी जो जेनेटिक साइंटिस्ट हैं, उन्होंने प्रमाण सहित व्याख्या किया है कि जो आज के होमो सेपियंस हैं, उनके डीएनए में 1.6 फीसदी जेनेटिक मटेरियल नियेंडरथेल्स से आये हैं. जब हम इनसे मिले तब, आज के होमो सेपियंस सामाजिक हुए.